Search
Close this search box.

संस्कृति और भाषा के लिए इसाई धर्मांतरण बड़ा खतराः धनराज

Share:

कार्यक्रम के दौरान मचांसीन

हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी विभाग और गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में पश्चिम में ईसाई धर्म एवं उसका भारत की संस्कृति व हिन्दी के प्रति दृष्टिकोण विषय पर विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया। प्रबन्ध अध्ययन संकाय सभागार में आयोजित इस विशेष व्याख्यान की वक्ता एस्टर धनराज रहीं।

एस्टर धनराज ने कहा कि पश्चिमी देशों में ईसाई धर्म कमजोर हो रहा है, मगर भारत जैसे विकासशील देश में यह तेजी से पैर पसार रहा है। एस्टर धनराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति और भाषा के लिए ईसाई धर्मांतरण एक बहुत बड़ा खतरा है। भारतीय वैदिक धर्म और ईसाईयत पर तुलानात्मक अध्ययन प्रस्तुत करने हुए धनराज ने कहा कि ईसाई धर्म की बुनियाद कमजोर आध्यात्मिक चेतना पर रखी हुई है। ईसाई धर्म में आध्यात्मिक प्रश्नों के तर्क संगत उत्तर नहीं मिलते हैं। अपने व्याख्यान में पीपीटी प्रस्तुति के माध्यम से उन्होंने ईसाई धर्म को कमजोर नैतिक मूल्यों का धर्म बताया।

उन्होंने कहा कि गुरुकुल जैसी संस्था को भारतीय संस्कृति एवं भाषा के संरक्षण के लिए काम करना होगा अन्यथा ईसाई मिशनरी भारत में सांस्कृतिक प्रदूषण फैलाते रहेंगे।

अध्यक्षीय सम्बोधन में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. सुनील कुमार ने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय भारतीय संस्कृति पर आधारित शिक्षा प्रदान करता है और हमारे छात्र-छात्राओं ने देश विदेश में भारतीय संस्कृति के राजदूत बनकर कार्य किया है। डॉ. सुनील कुमार बहुसंस्कृतिवाद के खतरे को रेखांकित करते हुए कहा कि हमें अपनी भारतीयता की जड़ों को मजबूत करने की आवश्यकता है।

हिन्दी दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ. बबीता शर्मा ने कविता पाठ किया। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन प्रो. सत्यदेव निगमालंकार और संचालन डॉ. अजित तोमर ने किया।

व्याख्यान कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के वित्ताधिकारी प्रो. वी. के. सिंह कन्या गुरुकुल परिसर, हरिद्वार कोर्डिनेटर प्रो. श्यामलता जुयाल, प्रो. मनुदेव बंधु, प्रो. नवनीत, प्रो. सुरेन्द्र त्यागी, डॉ. अजय मलिक, सुनील कुमार, अरुण सिंह अवाना, डॉ. वरुण बक्शी सहित अन्य शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

गौरतलब है कि एस्टर धनराज का मूल नाम कामाक्षी है। इनका जन्म एक तमिल हिन्दू परिवार में हुआ। एस्टर धनराज ने धर्मांतरण कर ईसाई धर्म स्वीकार किया। ईसाई धर्म के अध्ययन के दौरान उन्होंने ईसाई धर्म की कमियों और विरोधाभासों पर मुखरता से आवाज उठायी। धनराज के कुछ इंटरव्यू बहुचर्चित हुए हैं। वे खुद को तार्किक बुद्धिवादी मानती हैं और ईसाई धर्म की विसंगतियों पर देश भर में संवाद करती हैं। धनराज वैदिक संस्कृति और आर्य समाज से काफी प्रभावित रही हैं।

Leave a Comment

voting poll

What does "money" mean to you?
  • Add your answer

latest news