नगर के सबसे वरिष्ठ एवं वयोवृद्ध रंगकर्मी एवं थियेटर एवं फिल्मों से संबंधित ज्ञान के जीवित इन्साइक्लोपीडिया माने जाने वाले सुरेश गुरुरानी नहीं रहे। मंगलवार सुबह साढ़े पांच बजे उनका 80 वर्ष की आयु में देहरादून में देहावसान हो गया है।
स्वर्गीय गुरुरानी अपने पीछे पत्नी तथा मुंबई में कार्यरत पुत्र विकास और अमेरिका में रहने वाली दो पुत्रियों-प्रियदर्शिनी व प्रियंका तथा उनके परिवार को छोड़ गए हैं। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार उनका अंतिम संस्कार आज ही देहरादून में किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि नगर के मल्लीताल बड़ा बाजार में अपनी पत्नी के साथ रहने वाले गुरुरानी काफी समय से अस्वस्थ चल रहे थे। देहरादून के जॉलीग्रांट अस्पताल से उनका उपचार चल रहा था। स्वर्गीय गुरुरानी की अगुवाई में 1976-77 में ‘नैनी लोक कलाकार संघ’ ने शरदोत्सव के दौरान आयोजित होने वाली अखिल भारतीय नाटक प्रतियोगिता को एक बार पुनः प्रारंभ कराया। जिसमें पूरे देश से उत्कृष्ट नाटकों की प्रस्तुतियां होती थी।
इस दौरान तत्कालीन डीएसबी महाविद्यालय में आयोजित होने वाली प्रसिद्ध नाटक प्रतियोगिता में प्रेम चंद की कहानी ‘मंत्र’ पर आधारित नाटक में उनके द्वारा निभाए गए बूढ़े पिता तथा मल्लीताल में होने वाली रामलीला के दौरान प्रदर्शित नाटक में विश्वामित्र के चरित्र के लिए किए गए उनके अभिनय को आज भी याद किया जाता था।
वर्ष 2000 में सुरेश गुरुरानी दूरदर्शन के ‘डीडी मेट्रो’ पर प्रदर्शित कश्मीर की आतंकवाद की समस्या पर जेएनयू के प्रोफेसर पुष्पेश पंत के पुत्र इंद्रजीत ने निर्माण व निर्देशन में बने धारावाहिक ‘अपने लोग’ में पूरे देश के दर्शकों के सामने आए थे। इस धारावाहिक में नगर की रंगकर्मी बीना सुयाल व मिथिलेश पांडे भी प्रमुख भूमिकाओं में थे। हालिया वर्षों में आयोजित होने वाली नाटक प्रतियोगिताओं में निर्णायक एवं विशेषज्ञ के रूप में उनकी सक्रिय भूमिका रहती थी।
स्वर्गीय सुरेश गुरुरानी के निधन पर नगर की ‘प्रयोगांक’ संस्था के कलाकारों ने शोक व्यक्त किया है। संस्था के उपाध्यक्ष मुकेश धस्माना ने उनके द्वारा रंगमंच के क्षेत्र में दिये गये योगदान में प्रकाश डालते हुए कहा कि जब भी नाटकों की रिहर्शल होती थी तो इस उम्र में भी वह दिशा-निर्देशन प्रदान करने पहुंच जाते थे। मदन मेहरा ने कहा कि बुजुर्ग होने के बावजूद भी वह युवा व बाल कलाकारों से भी दोस्ताना व्यवहार रखते थे। वरिष्ठ रंगकर्मी मिथिलेश पांडे ने कहा कि वह फिल्मों एवं रंगमंच के जीवित इन्साइक्लोपीडिया थे।
रंगकर्मी जहूर आलम, राजेश आर्या, प्रमोद बिष्ट, उमेश कांडपाल, रोहित वर्मा, दीवान सिंह, नासिर अली, अनवर रजा, सतीश कुमार, धीरज कुमार, हरीश राणा व कुमाऊं विवि शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रो. ललित तिवारी सहित अन्य पदाधिकारियों ने भी उनके देहावसान पर शोक जताया है।