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सदियों पुरानी परंपरा पर भारी पड़ा कीचड़ का पानी, रामनगर रामलीला में बदला गया ताड़का वध का लीला स्थान

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वाराणसी के विश्व प्रसिद्ध रामलीला में वह हुआ जो कभी देखने को नहीं मिला। सदियों पुरानी परंपरा पर कीचड़ और गंदा पानी भारी पड़ गया। जो चीज रामनगर की रामलीला में कभी होती नहीं वह रविवार को हो गई। कीचड़ के चलते ताड़का वध का लीला स्थान अपने मूल स्थान से लगभग 20 से 30 मीटर की दूरी पर बदलना पड़ गया। ताड़का वध की लीला स्थानीय लाल बहादुर शास्त्री चिकित्सालय के पीछे स्थित बाउंड्री के ठीक पीछे होती है। जो कोदोपुर क्षेत्र का खुला स्थान होने के नाते आस पास के पशु पालकों ने इसे अपने आवास में बदल लिया है।

पूरे साल वो इसमे अपने पशु पालते है। इसके चलते यह पूरा स्थल साल भर गोबर और कीचड़ से भरा होता है। बरसात आते ही स्थिति नारकीय बन जाती है। अमूमन हर साल यह होता है कि लीला शुरू होने से एक सप्ताह पहले नगर पालिका और जिला प्रशासन यहां से लोगों के पशु हटा कर साफ सफाई करा देती थी। लेकिन इस बार नगर निगम और नगर पालिका का ऐसा चक्कर चला कि इस लीला स्थल के साथ साथ परम्परा की भी बलि चढ़ गई। नगर पालिका प्रशासन वह तेजी नहीं दिखा रहा और नगर निगम अभी रामनगर कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है। कीचड़ के चलते मूल स्थान पर लीला होनी संभव थी नहीं लिहाजा 30 मीटर हट कर सड़क पर ताड़का वध हुआ। इसे लेकर लीला प्रेमियों में आक्रोश देखने को मिला।

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