मैं कसम खाता हूं, मेरे जरिए अस्पताल में फायर के उपकरण पूरे किए गए हैं। इसके बाद भी कोई भी अग्निकांड की घटना घटित होगी तो इसकी जिम्मेदारी अस्पताल की होगी। निजी अस्पताल फायर के मानक पूरे न करने पड़े इसके लिए तीन चार फायर सिलेंडर अस्पताल में टांगकर फायर के सभी मानक पूरे होने का दावा कर रहे हैं। शपथ पत्र लेकर निजी अस्पतालों को खुद की जिम्मेदारी देकर संचालन कराया जाता है। फायर उपकरणों की जांच तक नहीं होती है।
लखनऊ के करीब 1200 से अधिक निजी अस्पतालों का संचालन हो रहा है। इसमें 90 फीसदी अस्पतालों पास फायर एनओसी न होने बाद भी सालों से संचालन हो रहा है। कॉरपोरेट अस्पतालों समेत कुछ अन्य बड़े अस्पतालों पास फायर एनओसी है। छोटे व मध्यमवर्गीय अस्पतालों के संचालन के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जुगाड़ का रास्ता खोज कर दिया था। अस्पताल पंजीकरण-नवीनीकरण वक्त फायर मानकों का शपथ पत्र लेकर उनका पंजीकरण किया जा रहा है। सीएमओ कार्यालय में पंजीकरण वक्त फायर की मानकों की अनदेखी की जाती रही।
सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल के मुताबिक, शासन के नए आदेश के तहत तीन मंजिला भवन-अस्पताल के लिए फायर की एनओसी जरूरी नहीं है मगर उनके यहां पर फायर के सभी उपकरण होना जरूरी है। टीम जरिए सभी निजी अस्पतालों की जांच कराकर उन्हें नोटिस दी जा रही है। जिन भी अस्पताल में फायर उपकरण खराब मिल रहे हैं उन अस्पताल का संचालन रोका जा रहा है।