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लखनऊ: छह महीने बाद आशाओं के चेहरे पर खिली मुस्कान

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राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने एक प्रेस विज्ञप्ति के जरिये बतायाहै कि उत्तर प्रदेश के 2022-23 के बजट में कर्मचारियों के लिए बहुत कुछ नहीं है फिर भी सरकार ने राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की मांग पत्र में से कुछ मांगों पर ध्यान दिया है। प्रदेश की दो लाख 20 हजार आशा कार्यकत्रियों को जनवरी 2022 में मुख्यमंत्री ने उनको 35 सौ मानदेय फिक्स करने की घोषणा की थी। उसके लिए बजट की व्यवस्था कर दी गई है। आशाओं के लिए 300 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है।

उन्होंने कहा कि इसका लाभ आशाओं को मिलेगा तथा उनको बढ़ा हुआ मानदेय प्राप्त होने लगेगा। बजट में आशा बहुओं के बजट आवंटन का आशा हेल्थ वर्कर्स एसोसिएशन की अध्यक्ष कुसुमलता यादव ने भी स्वागत किया है।

उन्होंने कहा कि माध्यमिक विद्यालयों में 7500 से अधिक पदों को भरे जाने मेडिकल कॉलेजों में 10,000 से अधिक पदों को भरे जाने का निर्णय भी स्वागत योग्य है। बजट में चार लाख लोगों को नौकरी देने की घोषणा भी है। यह घोषणा बेरोजगारों में आशा का संचार करती है लेकिन अगर यह धरातल पर दिखाई पड़ेगी, तभी इसका लाभ मिल पाएगा। पिछले वर्षों में भी बेरोजगारी को लेकर बड़ी-बड़ी घोषणाएं हुई, लेकिन उनका लाभ बेरोजगारों को नहीं मिला। बेरोजगारी समाप्त करने का मतलब पढ़े लिखे युवक-युवतियों को आत्मनिर्भर बनाना है। इसके लिए सरकार को आउटसोर्सिंग एवं संविदा जैसी योजनाओं से अलग हटकर नियमित नियुक्तियों पर काम करना होगा।

उन्होंने कहा कि आउट सोर्स संविदा पर रखे जा रहे कर्मचारियों को रोजगार देने की श्रेणी में नहीं गिना जा सकता है, क्योंकि यह सब अस्थाई व्यवस्था है और इससे उनका भविष्य अंधकार में भी हो रहा है। कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ता का बजट नहीं आवंटित किया गया है, इससे भी कर्मचारियों को निराशा हुई है। संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की गई है। मुख्यमंत्री से अनुरोध है कि बजट संशोधन पर चर्चा में कर्मचारियों की मुख्य समस्याओं पर जरूर ध्यान दें।

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