बीएचयू के आयुर्वेद संकाय में अब जल्द ही नाड़ी परीक्षा की ओपीडी शुरू हो जाएगी। क्रिया शारीर विभाग बीएचयू से भेेजे गए प्रस्ताव पर केंद्र सरकार ने अपनी मुहर लगा दी है। भारत सरकार ने इसका गजट भी जारी कर दिया है। केंद्र सरकार की इस घोषणा के बाद आयुर्वेद चिकित्सा का चेहरा ही बदल जाएगा। इससे जहां भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा मिलेगा और वहीं रोगियाें के रोग का सही और सटीक निदान भी होगा।
आयुर्वेद परंपरा एवं चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए क्रिया शारीर विभाग बीएचयू के असिस्टेंट प्रोफेसर वैद्य सुशील कुमार दुबे ने केंद्र सरकार को नाड़ी परीक्षण की ओपीडी शुरू करने का प्रस्ताव आयुष मंत्रालय को दिसंबर 2019 में भेजा था। इसके बाद मंत्रालय ने इस प्रस्ताव की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए जनवरी 2020 में भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद को अध्ययन व क्रियान्वयन करने के लिए भेज दिया था। दो साल के परीक्षण व कवायद के बाद भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद ने फरवरी 2022 में इसको अपनी मंजूरी दे दी। इसके बाद केंद्र सरकार ने इसका गजट भी जारी कर दिया। वहीं बीएचयू में बोर्ड आफ स्टडीज की बैठक के बाद इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है और जल्द ही यह धरातल पर उतरेगा। वैद्य सुशील कुमार दुबे ने बताया कि केंद्र सरकार के गजट के बाद जल्द ही नाड़ी परीक्षण ओपीडी की शुरुआत जल्द ही हो जाएगी।
राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालयों में बहिरंग व अंतरंग रोगी विभाग के माध्यम से रोगों के निदान के लिए प्रथम सत्र से ही आयुर्वेद के छात्रों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। छात्रों को नामांकन के पहले साल से ही प्रकृति, सार मूल्यांकन, नाड़ी अभ्यास, दोष वृद्धि क्षय लक्षणों की रिकॉर्डिंग, ऊंचाई की माप, वजन, बॉडी मास इंडेक्स आदि की गतिविधियों के बारे में सिखाई जाएंगी।
गजट होने के बाद इस प्रस्ताव को पिछले महीने हुई संकाय स्तर की बैठक में रखा गया था। गजट में दिए गए नियम व निर्देशों के अनुरूप इसका संचालन कराया जाएगा। संकाय स्तर पर जगह का चयन किया जाना है। – प्रो. केएन द्विवेदी, प्रमुख आयुर्वेद संकाय बीएचयू