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टोक्यो में भारत –जापान 2+2 मंत्रीस्तरीय वार्ता के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का प्रेस वक्तव्य

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सर्वप्रथम, मैं अपने मेजबान मंत्रियों, उनके शिष्टमंडलों और उनके कर्मचारियों का उत्तम कोटि के संवाद और उनके गर्मजोशी भरे आतिथ्य के लिए आभार व्यक्त करता हूं। हमारे द्विपक्षीय संबंधों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की मैं तहे दिल से सराहना करता हूं।

आज हमारी चर्चा के दौरान, हमने पारस्परिक हित के द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों के एक विस्तृत आयामपर चर्चा की। एशिया में दो सक्षम लोकतंत्रों के रूप में, हम एक विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी का अनुसरण कर रहे हैं। यह वर्ष भारत और जापान दोनों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम अपने कूटनीतिक संबंधों की स्थापना के 70 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए यह एक महत्वपूर्ण रिश्ता है।

आज की चर्चा के दौरान, हमने दोनों पक्षों के बीच सैन्य सहयोग और आदान-प्रदान के क्षेत्र में हुई प्रगति का उल्लेख किया। हमने अपने द्विपक्षीय अभ्यासों के दायरे और जटिलताओं को और बढ़ाने की साझा इच्छा व्यक्त की। हमने तीनों सेनाओं और तटरक्षक बल के बीच स्टाफ वार्ता और उच्च स्तरीय वार्ता शुरू की है। मुझे खुशी है कि अब हम जापानी सेल्फ डिफेंस फोर्सेज के ज्वाइंट स्टाफ और भारत के इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के बीच स्टाफ वार्ता आयोजित करने पर भी पर सहमत हो गएहैं।बहुपक्षीय अभ्यास मिलान में पहली बार जापान की भागीदारी और इस वर्ष मार्च में आपूर्ति और सेवा समझौते के पारस्परिक प्रावधानों की शुरुआत हमारी सेनाओं के बीच रक्षा सहयोग की प्रगति में मील का पत्थर है। हमें यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि हमारी वायु सेनाएं वायु सेना के लड़ाकू अभ्यास के शीघ्र संचालन के लिए मिलकर काम कर रही हैं।

भारत और जापान के बीच रक्षा उपकरण और तकनीकी सहयोग बढ़ाना हमारी प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है। आज की हमारी बैठक में मुझे उभरते और महत्वपूर्ण तकनीकी क्षेत्रों में सहभागिता का प्रस्ताव करने का अवसर मिला। मैंने जापानी रक्षा कंपनियों को भारतीय रक्षा गलियारों में निवेश के अवसरों की तलाश करने के लिए आने का भी आमंत्रण दिया है।

हमने समुद्री डोमेन जागरूकता सहित समुद्री सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर व्यापक विचार-विमर्श किया है।दोनों पक्षों में इस बात पर सहमति बनी है कि राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर आधारित स्वतंत्र, खुले, नियम-आधारित और समावेशी हिंद-प्रशांत के लिए एक मजबूत भारत-जापान संबंध बहुत महत्वपूर्ण है। भारत की इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव (आईपीओआई) जापान के फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक (एफओआईपी) के साथ कई समानताएं साझा करता है। भारत ने क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (सागर) के हमारे समावेशी दृष्टिकोण के अनुरूप क्षेत्रीय भागीदारों के साथ समुद्री सहयोग भी विकसित किया है। आसियान के साथ भारत के संबंध हमारी विदेश नीति का आधार बनकर उभरे हैं। एडीएमएम प्लसके माध्यम से, भारत और जापान दोनों आसियान और अन्य प्लस देशों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि समुद्री सुरक्षा, एचएडीआर, शांति अभियानों आदि सहित सभी क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत किया जा सके। आज हमें महत्वपूर्ण मुद्दों, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर अपने विचार साझा करने का अवसर मिला और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता पर सहमति बनी। मैं एक बार फिर मंत्री हयाशी और मंत्री हमदा को आज की अत्यंत उपयोगी चर्चा के लिए और भारत-जापान साझेदारी को आगे बढ़ाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करने के लिए धन्यवाद देता हू

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