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जलवायु परिवर्तन का विश्लेषण कर आगे बढ़ने की आवश्यकता: तोमर

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केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने देश में जलवायु परिवर्तन की वर्तमान व भावी परिस्थितियों का विश्लेषण कर आगे की कार्ययोजना बनाने पर जोर दिया। उन्होंने बुधवार को रबी अभियान- 2022 पर राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन को संबोधित करते हुए अपनी जमीन व देश को आगे ले जाने के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की पैरोकारी की। उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभियान की शुरूआत की है।

तोमर ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकारें मिलकर कृषि क्षेत्र में अपने दायित्वों का निर्वहन कर रही हैं। देश में उत्पादन की दृष्टि से काफी काम हुआ है, जिससे खाद्यान्न, दहलन, तिलहन उत्पादन में वृद्धि हुई है। आज सबसे ज्यादा जरूरत कृषि के समक्ष मौजूद चुनौतियों से निपटने और उनका समाधान करने की है।

उन्होंने कहा कि यह जलवायु परिवर्तन का दौर है। जहां सूखा होता था, वहां बारिश हो रही है। जहां बरसात होती थी, वहां सूखे की स्थिति है। जलवायु परिवर्तन की वजह से फसलों में अनेक प्रकार की बीमारियां भी हो रही हैं। इन चुनौतियों पर विचार करके केंद्र व राज्य कैसे आगे बढ़ सकते हैं, इस पर काम करने की जरूरत है। इस पर विश्लेषण कर खुद को तैयार करने की जरूरत है। इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का जिक्र किया, जिसके तहत अब तक 1.22 लाख करोड़ रुपये किसानों को उनकी फसलों की नुकसान की भरपाई के रूप में दिए गए हैं।

तोमर ने कहा कि सारे किसान इस योजना के दायरे में लाए जाने चाहिए। इससे खासकर, छोटे किसान खुद को सुरक्षित महसूस करेंगे। तोमर ने कहा कि केमिकल फर्टिलाइजर के उपयोग से मृदा की उत्पादकता कम होती जा रही है, इसलिए जैविक व प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी का भी पूरा जोर भी प्राकृतिक खेती को लेकर है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्र सरकार खेती-किसानी को आगे बढ़ा रही है। कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से भी इसे विस्तार दिया जा रहा है। राज्य सरकारों को भी इस दिशा में और प्रयत्न करने की जरूरत है।

केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि डिजिटल एग्रीकल्चर पर केंद्र सरकार ने काम शुरू किया है ताकि किसानों तक सरकार की और किसानों की सरकार तक पहुंच बनें और उन्हें योजनाओं का लाभ पारदर्शिता से मिलें। डिटिजल एग्रीकल्चर मिशन पर भी मिलकर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री के प्रयासों से वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष के रूप में मनाया जाएगा। भारत पूरी दुनिया में इस कार्यक्रम का नेतृत्व करने वाला है। सरकार की कोशिश है कि मिलेट्स के प्रोडक्ट व एक्सपोर्ट बढ़े तथा किसानों की आमदनी बढ़े। राज्यों में इसे प्रमोट करने की दिशा में काम करने का उन्होंने अनुरोध किया। इससे पहले कृषि मंत्री ने दो पुस्तकों को विमोचन किया।

सम्मेलन में कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के साथ ही आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने कहा कि किसानों को अच्छी व उन्नत किस्म के बीज मिले, खेती की लागत कम हो, उपज के भंडारण की व्यवस्था हो और मार्केट की उपलब्धता हो, इसके लिए सरकार काम कर रही है। चौधरी ने कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार की तरफ से सब्सिडी दी जा रही है। कई प्रदेशों में ऐसे स्थान हैं, जहां कभी पेस्टीसाइड, यूरिया का इस्तेमाल ही नहीं किया गया है, यहां सिर्फ बारिश आधारित खेती होती है, ऐसे ब्लॉक स्थान या जिलों को चिन्हित कर केंद्र सरकार के पास भेज सकते हैं। इसका लाभ यह होगा कि आर्गेनिक फसल सर्टिफिकेट के लिए भूमि की तीन साल तक टेस्टिंग नहीं करनी पड़ेगी व आर्गेनिक खेती के एरिया को बढ़ा सकते हैं।

सम्मेलन में कृषि सचिव मनोज अहूजा, डेयर के सचिव एवं आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक और उर्वरक सचिव आरती अहूजा ने भी विचार रखें।

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