आठ माह में तलाश किए 378 लापता बच्चे
हरियाणा पुलिस लापता बच्चों का सहारा बन रही है। हरियाणा पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट्स ने आठ माह में 378 लापता बच्चों का सुराग लगाकर उन्हें परिजनों से मिलवाया है। कई बच्चे इनमें दिव्यांग थे, जो न बोल सकते थे और न सुन सकते थे। इसके अलावा, कई मामलों में, बच्चा ऐसे राज्यों से होता है जहाँ भाषा अलग होने के कारण काउंसलिंग करना मुश्किल हो जाता है।
स्टेट क्राइम ब्रांच चीफ ओ पी सिंह ने बुधवार को बताया कि वर्तमान में स्टेट क्राइम ब्रांच के अधीन 22 मानव तस्करी रोधी इकाई (एएचटीयु) कार्य कर रही है। सभी यूनिटों में निर्देश दिए गए है कि जैसे ही कोई बच्चा, महिला, पुरुष मिलता है तो सबसे पहले उसे सुरक्षित होने का एहसास और भरोसा दिलवाना है। सभी पुलिसकर्मी उनसे एक परिवार की तरह मिलते हैं। कोशिश की जाती है कि दोनों के बीच एक अपनेपन का रिश्ता स्थापित हो सके ताकि खोये हुए इंसान का भरोसा बने। इससे एएचटीयु को उनके परिवार के बारे में क्लू ढूंढने में आसानी हो जाती है।
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि जैसे ही किसी खोये हुए बच्चे, महिला या पुरुष को रेस्क्यू किया जाता है तब सबसे पहले उसकी काउंसलिंग चाइल्ड वेलफेयर कमेटी द्वारा की जाती है। अलग-अलग केस में एएचटीयु इंचार्ज को कई-कई घण्टे बैठना पड़ता है। कई बार क्लू में सिर्फ गांव का नाम, स्थान विशेष, तालाब या मार्केट का नाम होता है। ऐसी स्थिति में घर का पता लगाना काफी मुश्किल हो जाता है लेकिन टीम हार नहीं मानती और उसी क्लू के आधार पर घर-परिवार ढूंढ कर ही चैन लेती है।
ओपी सिंह के अनुसार इस वर्ष अगस्त तक 378 नाबालिग जिनमें 205 लड़के व 173 लड़कियां व 482 वयस्क जिनमें 226 पुरुष व 256 महिलाएं को खोज कर परिजनों से मिलवाया गया है। गुम हो चुके लोगों के अलावा एएचटीयु बाल मजदूरी और भीख मांगने वाले बच्चों को भी बचाने का काम करती है। इस वर्ष, स्टेट क्राइम ब्रांच की एएचटीयु द्वारा करीबन 1114 बाल मजदूरों और 646 बाल भिखारियों को रेस्क्यू किया गया है। यदि आपको कोई बच्चा बाल मजदूरी करता दिखे या भीख मांगते दिखे, तो नजरअंदाज ना करें, पुलिस को तुरंत जानकारी दें।
अक्सर कई केस में देखा जाता है कि जब किसी को गुम हुए कई साल हो जाएँ तो आस छोड़ दी जाती है कि उनका परिवार ढूंढा नहीं जा सकेगा लेकिन स्टेट क्राइम ब्रांच ऐसा नहीं सोचती है। पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि एक केस में एएसआई राजेश कुमार, एएचटीयू,पंचकूला को पता चला कि एक दिव्यांग करनाल नारी निकेतन में रह रही है और सिर्फ एक शब्द ‘दलदल‘ बोलती है। इसी आधार पर आगे कार्रवाई करते हुए एएसआई राजेश कुमार ने बिहार के छपरा के पास दलदली बाजार ढूंढ़ लिया। उस दिव्यांग लड़की को 15 साल बाद परिवार से मिलवाया।
वहीं एक अन्य केस में केरल में उत्तर प्रदेश से लापता लड़की को खोज निकाला। इसके अतिरिक्त एक अन्य केस में 18 साल बाद गुमशुदा मनोज जो मानसिक दिव्यांग है, उसे उसके परिवार से एएसआई जगजीत सिंह, एएचटीयु यमुनानगर ने उत्तर प्रदेश में मिलवाया। मनोज 2004 से गुम था, ऐसे केस में लम्बा समय बीत जाने के कारण दिव्यांग अक्सर अपने परिवार से जुड़ी बातें भूल जाते हैं। लेकिन एएसआई जगजीत सिंह ने हार नहीं मानी और उसके भाई को ढूंढ कर, एक लंबे इंतजार का पटाक्षेप किया।