जनपद में बिजली के बढ़ते दुरूपयोग को कम करने के लिए विकल्प तलाशने जा रही है। अब पंचायत विभागों में दिन में लाइट नहीं जलेगी। इन लाइटों में विभाग की ओर से आटोमेटिक सेंसर लगाया जाएगा। यह सेंसर रात होने पर बुझी लाइट को जला देगा, वहीं सुबह होते ही जल रही लाइट को बुझा देगा। सेंसर लगाने के लिए अपर मुख्य सचिव ने जिला पंचायत राज अधिकारी को सेंसर लगाने के लिए निर्देशित किया है। पत्र के माध्यम से निर्देशित किया है कि गांवों को रात में जगमग करने के लिए आटोमेटिक सेंसर वाली लाइट लगाए, जो स्वत: आन व आफ हो जाएं। इससे न सिर्फ बिजली की बचत होगी, बल्कि उपकरण की भी उम्र लंबी होगी। अब जिला पंचायत राज विभाग की ओर से इस पर तैयारी शुरू कर दी गयी है।
जनपद के 16 ब्लाकों में 1238 ग्राम पंचायतें है। लगभग सभी गांवों में सड़कों के किनारे व गलियों में स्ट्रीट लाइट की रोशनी से जगमग है। वहीं गांवों में जिन स्थानों पर विद्युत की व्यवस्था नहीं है, उन स्थानों पर सोलर पैनल लगाये गए है। गांवों में उजाला बिखरने के लिए लगे स्ट्रीट लाइटों का रखरखाव समुचित ढंग से नहीं हो पा रहा है। खंभों पर लगे एलईडी बल्ब जलने के बाद दिन के उजाले में उसे बुझाने की जहमत कोई उठाना नहीं चाहता। इससे दिन में स्ट्रीट लाइट जलने से ज्यादा खराबी भी आ रही है। इससे बड़े पैमाने पर बिजली का नुकसान भी हो रहा है। इसे देखते हुए अब शासन की ओर से लाइटों पर सेंसर लगाने का फरमान जारी कर दिया गया है। जिससे एलईडी लाइटे स्वत: आन-आफ होते रहेंगे। जिला पंचायत राज अधिकारी अंशुल मौर्य ने बताया कि गांवों में पंचायत निधि से प्राप्त धनराशि से एलईडी लाइट लगाए गये है। अब सभी एलईडी लाइटों में आटोमेटिक सेंसर लगाए जाएंगे। सेंसर लगने तक लाइटों को स्विच आन-आफ करने के लिए प्रधान व पंचायत सहायक के माध्यम से व्यवस्था बनाई जाए। ग्राम प्रधानों को ऊर्जा संरक्षण में अपनी सक्रियता दिखानी चाहिए। ग्राम पंचायत के साथ क्षेत्र व जिला पंचायत भी गांवों में आवश्यकता के अनुसार सेंसर एलईडी लगा सकती हैं। उन्होने बताया कि पूर्व में लगे स्ट्रीट लाइट में ग्राम प्रधान व सचिव सेंसर जरूर लगवाएं।