लखनऊ में हजरतगंज के चार सितारा होटल लेवाना सुइट्स में सोमवार सुबह भीषण आग लग गई। इससे तीन मंजिला होटल आग की चपेट में आ गया और हर कमरे में धुंआ भर गया। हादसे के वक्त होटल में ठहरे मेहमान नींद में थे। धुआं भरने से दम घुटने लगा तो उनकीं आंखें खुल गईं और जान बचाने के लिए भागने लगे। इस दौरान दम घुटने से चार लोगों की मौत हो गई। 16 लोग घायल हो गए। सभी को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस ने होटल मालिक रोहित अग्रवाल, राहुल अग्रवाल, जीएम सागर श्रीवास्तव व पवन अग्रवाल पर लापरवाही व गैरइरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया है। रोहित, राहुल व सागर को हिरासत में लेकर पुलिस पूछताछ कर रही है। फोरेंसिक जांच के बाद होटल सील कर दिया गया है।
बताया जा रहा है कि बिजली के पैनल रूम में शॉर्ट सर्किट की वजह से सुबह करीब सात बजे आग लग गई। होटल के 30 में से 18 कमरे बुक थे। इनमें 30 यात्री ठहरे हुए थे। स्टाफ को मिला लें तो हादसे के वक्त होटल में करीब 60 लोग मौजूद थे। सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस, अग्निशमन विभाग, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ ने करीब सात घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर 26 लोगों को बाहर निकाला। इनमें से चार की मौत हो चुकी थी। होटल में मौजूद बाकी लोग हादसा होते ही बाहर निकल गए थे। मृतकों में सभी लखनऊ के थे। इनमें नाका के गुरनूर आनंद, उनकी मंगेतर साहिब कौर, खुर्रमनगर का अमान गाजी, इंदिरानगर की श्राविका संत थे। गुरनूर व साहिब की जनवरी में शादी होने वाली थी। वे रविवार रात को होटल में पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल होने आए थे।
घायलों से मिलने अस्पताल पहुंचे सीएम योगी
हादसे की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सिविल अस्पताल पहुंचे। उन्होंने घायलों से बातचीत कर उचित इलाके निर्देश दिए। कुछ देर बाद उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक भी घायलों को देखने पहुंचे।
24 घंटे में शासन को जाएगी रिपोर्ट
डीआईजी अग्निशमन आकाश कुलहरि देर शाम को होटल लेवाना पहुंचे। वहां उन्होंने सभी तलों का निरीक्षण किया। फायर एनओसी को लेकर जांच की गई है। नियम व मानक के अनुसार एनओसी दी गई है या नहीं इसकी जांच की जा रही है। डीआईजी आकाश कुलहरि ने बताया कि जांच के बाद खामियों की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। मंगलवार तक जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी जाएगी।
प्रदेश भर में आज से तीन दिन विशेष अभियान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने होटल में आग की घटना को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश भर में चेकिंग अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत पुलिस महकमे की ओर से तीन दिन का अग्निसुरक्षा के लिए विशेष चेकिंग अभियान चलाया जाएगा। अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि सभी जिलों के अफसरों से कहा गया है कि अग्निशमन विभाग जिला प्रशासन, नगर निगम और अन्य संबंधित विभागों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करे कि जिन भवनों, प्रतिष्ठानों में अग्निसुरक्षा के मानकों का उल्लंघन हो रहा है वहां तत्काल कार्रवाई की जाए। सभी होटल, मॉल, अस्पताल, स्कूल, औद्योगिक संयंत्र, आवासीय अपार्टमेंट व बड़े व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स का समुचित सुरक्षा आडिट कराया जाए। प्रशांत कुमार ने बताया कि जिलों के अफसरों से यह भी कहा गया है कि समय-समय पर मॉक ड्रिल कराएं। लोगों को जागरूक करें। एनओसी देने में लापरवाही बरतने वाले कर्मियों पर कठोर कार्रवाई करें।
इंजीनियरों-अफसरों की सांठगांठ से खड़ा हुआ लेवाना, मंडलायुक्त ने एलडीए वीसी को दिया तोड़ने का आदेश
जिस जमीन पर अस्थायी ऑफिस की मिली थी अनुमति उस पर खड़ा कर दिया होटल
एलडीए के अधिकारियों के मुताबिक वर्ष 1996 में बंसल कंस्ट्रक्शन कंपनी के नाम से गुलमोहर अपार्टमेंट बनाने के लिए ग्रुप हाउसिंग का नक्शा पास कराया गया था। कंपनी ने अपार्टमेंट के पास खाली जमीन छोड़ी थी, जिस पर ऑफिस बनना था। ग्रुप हाउसिंग बनने के बाद इसका इस्तेमाल वापस आवासीय करना था, लेकिन एलडीए की ‘सेवा’ से वर्ष 2017 में इसकी जगह होटल लेवाना शुरू हो गया। इसे बनवाने में एलडीए के इलाकाई तत्कालीन अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता एवं अवर अभियंता की सरपरस्ती रही। यही नहीं, गोमतीनगर के होटल सेवीग्रैंड में आग लगने के बाद सात मई को जोन छह के जोनल अधिकारी राजीव कुमार ने होटल लेवाना को नोटिस जारी किया था। इसके जवाब में होटल ने फायर की साल 2021 की एनओसी दिखाई, लेकिन होटल प्रबंधन नक्शा नहीं दिखा पाया। हालांकि, इस पर भी एलडीए ने कोई कार्रवाई नहीं की।
खौफनाक मंजर… किसी ने शीशा तोड़कर बचाई जान तो कोई दूसरे को बचाने में हुआ बेहोश
कमरा नंबर 315 में ठहरे नोएडा के रियल एस्टेट कारोबारी अक्षय त्यागी व पवन त्यागी ने बताया कि मंजर बेहद खौफनाक था। धुआं इतना था कि बगल का कमरा भी दिखाई नहीं दे रहा था। ऑक्सीजन न मिलने से ऐसा लग रहा था कि दिगाम सुन्न हो जाएगा। किसी तरह डक्ट की सीढ़ियों के सहारे गिरते-पड़ते बाहर आने में कामयाब हो गए। नीचे आए तो देखा होटल के मुख्य गेट से कर्मचारी, सफाईकर्मी व स्टाफ बाहर भागे आ रहे थे।
नोएडा की कामिनी दुबे और यूनाइटेड लिकर कंपनी के चेयरमैन अंश कौशिक खिड़की का कांच तोड़कर बालकनी में पहुंचे। उन्हें फायर ब्रिगेड कर्मियों ने उन्हें बचाया। होटल स्टाफ श्रवण कमरों में फंसे लोगों को बचाने की कोशिश में बेहोश हो गए।
दीवार तोड़कर धुएं को बाहर निकाला
एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने लोगों को बचाने के लिए होटल के अगले हिस्से को लोहे की रॉड से तोड़ा। वहीं, बुलडोजर से होटल के पीछे की दीवार तोड़ी गई। इससे होटल में भरे धुएं को बाहर निकाला जा सका।
हर तरफ धुआं-धुआं, चीख-पुकार
हजरतगंज इलाके में सोमवार सुबह अचानक फायर ब्रिगेड, एंबुलेंस और पुलिस वाहनों के सायरन गूंजने लगे। होटल लेवाना में लगी आग से हर तरफ अफरातफरी का आलम था। होटल के कमरों से लोगों के चीखने की आवाजें आ रहीं थीं। फायर ब्रिगेड और पुलिस की टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन में जुट गईं। होटल के कमरों में धुआं भर गया था। मेहमानों का दम घुट रहा था। काफी मशक्कत के बाद फायर ब्रिगेड के कर्मचारी होटल में लगे ग्रिल और जालियां तोड़कर अंदर दाखिल हुए तो नजारा भयावह था। धुआं इतना घना था कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था। कई फायर कर्मियों की भी तबीयत बिगड़ने लगी। काफी मशक्कत के बाद घायल और मृत लोगों को बाहर निकाला गया। आग पर काबू पाने के लिए होटल के चारों तरफ की कई दीवारें तोड़कर पानी का छिड़काव किया गया। घायलों को सिविल अस्पताल ले जाया गया तो रोते-बिलखते परिजन भी अस्पताल पहुंचने लगे। नेताओं से लेकर अधिकारी और मीडियाकर्मियों का यहां जमवाड़ा लग गया। दोपहर बाद हालात कुछ सामान्य हुए।
एलडीए की सरपरस्ती में चल रहा हजरतगंज का लेवाना, होटल में 40 कमरे और नीचे रेस्टोरेंट, पास नहीं कराया मानचित्र
एलडीए की ‘सेवा’ से बन गया लेवाना होटल
हजरतगंज के मदन मोहन मालवीय मार्ग स्थित होटल लेवाना का एलडीए ने नक्शा पास नहीं किया था। हालांकि, इसके इंजीनियरों और अफसरों की भरपूर ‘सेवा’ के चलते यह होटल अवैध तरीके से बन गया। एलडीए के अधिकारियों के मुताबिक वर्ष 1996 में बंसल कंस्ट्रक्शन कंपनी के नाम से गुलमोहर अपार्टमेंट बनाने के लिए ग्रुप हाउसिंग का नक्शा पास कराया गया था। कंपनी ने अपार्टमेंट के पास खाली जमीन छोड़ी थी, जिस पर ऑफिस बनना था। ग्रुप हाउसिंग बनने के बाद इसका इस्तेमाल वापस आवासीय करना था, लेकिन एलडीए इंजीनियरों-अधिकारियों की सांठगांठ से वर्ष 2017 में इसकी जगह होटल लेवाना शुरू हो गया। इसे बनवाने में एलडीए के इलाकाई तत्कालीन अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता एवं अवर अभियंता की सरपरस्ती रही। गोमतीनगर के होटल सेवीग्रैंड में आग लगने के बाद सात मई को जोन छह के जोनल अधिकारी राजीव कुमार ने होटल लेवाना को नोटिस जारी किया था। इसके जवाब में होटल ने फायर की साल 2021 की एनओसी दिखाई, लेकिन होटल प्रबंधन नक्शा नहीं दिखा पाया। हालांकि, इस पर भी एलडीए ने कोई कार्रवाई नहीं की।
लेवाना होटल के हर फ्लोर पर थे ऐशोआराम के इंतजाम
लेवाना होटल केहर फ्लोर पर ऐशोआराम के इंतजाम थे। अवैध रूप से मानकों के विपरीत बने होटल में कई सुविधाएं दी जाती थीं। एक ओर जहां होटल के ग्राउंड फ्लोर पर लुक्स सैलून था, जहां होटल में रुकने वाले ट्रिमिंग, सेविंग व कटिंग के लिए आते थे। वहीं रूम्स इथीरियल की भी सुविधा थी। होटल के ही ग्राउंड फ्लोर पर कॉन्फ्रेंस रूम व मीटिंग हॉल था। होटल के रूफटॉप पर रूफ टॉप कैफे व बार था, जहां जाम छलकाए जाते थे। इस बार में होटल में रुकने वालों से लेकर बाहर से भी रईसजादे शराब पीने के लिए आते थे। इतना ही नहीं होटल में स्पा व रिलेक्सेशन के भी इंतजाम थे।
कॉलोनी के सिक्योरिटी गार्डों ने बचाई चार जिंदगी
घर का इकलौता बेटा था गुरनूर
होटल लेवाना में जान गंवाने वाला गुरनूर घर का इकलौता बेटा व कमाने वाला था। पिता कुलविंदर की मौत के बाद से परिवार की जिम्मेदारी उसी पर थी। वह मंगेतर साहिबा के साथ राजधानी के एक प्रतिष्ठित क्लब में इवेंट मैनेजमेंट का काम करता था। ऐसे में मुआवजे की मांग की गई है।
शहर से बाहर जाने की बात कह घर से निकला था आमान
मरने वालों में शामिल खुर्रमनगर निवासी आमान उर्फ बॉर्बी (22) शहर से बाहर जाने की बात कह दो दिन पहले घर से निकला था। पिता इरफान गाजी प्रॉपर्टी डीलर हैं। वहीं आमान के कमरे में मिली मृतका श्रीविका संत (19) इंदिरानगर की रहने वाली थी।
खिड़की का शीशा पीट लगाते रहे मदद की गुहार
फायरकर्मी किसी तरह अंदर जाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन नाकाम हो जा रहे थे। हालांकि, एक दमकल कर्मी अंदर घुसा और दो लोगों को खींचकर बाहर लाया। इस बीच और दमकलकर्मी भी वाहन के साथ मौके पर पहुंच गए। ये ऑक्सीजन मास्क के साथ अंदर गए और करीब 8 लोगों को सुरक्षित निकाला। वहीं, चार लोगों को बेहोशी की हालत में निकाला गया। भीड़ रोकने के लिए होटल की तरफ आने वाले दोनों रास्ते बंद कर दिए गए थे। इसके बाद भी कई लोग बाहर डटे रहे और मोबाइल में वीडियो बनाकर परिचितों को भेज रहे थे। 9.30 बजे तक एडीसीपी मध्य राजेश श्रीवास्तव, सीएफओ समेत अन्य अधिकारी भी पहुंच गए और रेस्क्यू कार्य तेज कराया। इसी बीच होटल से बेहोशी की हालत में निकले दो लोगों की मौत की पुष्टि होने के बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया पर दुख जताया। इसके बाद शासन के आला अधिकारी भी सक्रिय हो गए और स्थिति की जानकारी लेने लगे। सुबह 10 बजे तक होटल के बाहर आला अधिकारियों का मजमा लग गया। इनमें डीजी जेल अविनाश चंद्रा, डीएम सूर्य पाल गंगवार, जेसीपी पीयूष मोर्डिया व डीसीपी मध्य अपर्णा रजत कौशिक सहित कई अधिकारी शामिल रहे।
उधर, बचाव कार्य में लगे दमकल कर्मियों को शीशा व होटल के बाहर लगा पैनल तोड़ने में काफी दिक्कत हुई। बचाव में लगे पांच दमकल कर्मियों की हालत बिगड़ जाने पर उन्हें सिविल अस्पताल पहुंचाया गया। ऐसे में रेस्क्यू के लिए एसडीआरएफ व एनडीआरएफ भी लग गई और लोहे की रॉड व हथौड़े से पैनल व शीशा तोड़ना शुरू किया। पुलिस आयुक्त एसबी शिरडकर ने दो लोगों की मौत की पुष्टि की। इस दौरान एक तरफ से स्मोक एक्जॉस्टर से धुआं खींचकर बाहर निकाला जा रहा था तो दूसरी तरफ से लगातार पानी डाला जा रहा था। करीब 11:30 बजे डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक होटल पहुंचे और जांच करने के निर्देश दिए। करीब सवा 12 बजे होटल से दो और शव निकाले गए। सात घंटे की मशक्कत से आग बुझी तो होटल को फारेंसिक टीम के लिए सील कर दिया गया। फोरेंसिक टीम करीब ढाई बजे जांच के लिए पहुंची और साक्ष्य जुटाए।
धुआं निकालने के लिए तोड़ी दीवार
होटल में वेंटिलेशन न होने से धुआं कहीं से निकल नहीं पा रहा था। ऐसे में होटल की पीछे की दीवार तोड़ दी गई। इसके बाद धुआं बाहर निकला।
आसपास के बच्चे नहीं जा सके स्कूल
होटल में आग लगने के कारण इलाके की लाइट की लाइट काट दी गई थी। लाइट व रास्ते बंद होने के कारण आसपास के बच्चे स्कूल नहीं जा सके। वहीं, कई लोग ऑफिस भी नहीं जा पाए।
तीन जिलों से बुलाए दमकल कर्मी
रेस्क्यू कार्य में लगे दमकलकर्मियों की धुएं से हालत बिगड़ जा रही थी। यह देख डीजी फायर ने उन्नाव, सीतापुर व बाराबंकी से भी दमकल कर्मियों को बुला रेस्क्यू में लगाया।
आंखों के सामने घूम गया नाका के विराट होटल का मंजर
चारबाग स्थित विराट व एसएसजी इंटरनेशनल होटल में 19 जून 2018 को आग लगी थी। दोनों होटल दूधमंडी वाली गली में हैं। संकरी गलियों के कारण राहत कार्य में समय लग गया। हादसे में सात लोग जिंदा जले थे। इसके बाद होटल मालिकों के खिलाफ नाका थाने में केस दर्ज किया गया। उनकी गिरफ्तारी भी हुई। लेकिन जमानत पर रिहा होने के बाद से इस केस की सुनवाई ने धीमी रफ्तार पकड़ ली। 19 जून 2018 को नाका इलाके की सभी गलियां एंबुलेंस व दमकल की गाड़ियों से भरी पड़ी थी। सुबह 6 बजे से राहत कार्य शुरू हुआ तो शाम करीब पांच बजे तक चलता रहा। इस दौरान किसी को पड़ोसियों की छत के रास्ते बाहर निकाला गया। तो कुछ को निकालने में पुलिस टीम को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। अंदर मृत पड़े लोगों की लाशें निकालने में पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी।
हजरतगंज के लेवाना सुइट्स होटल में आग लगने की सूचना पर अग्निशमन विभाग के कर्मचारी पहुंचे। तो वहां की स्थिति देखते ही उनके मुंह से निकल गया कि यहां तो नाका के विराट व एसएसजी इंटरनेशनल होटल जैसे ही हालात हैं। लोगों को निकालने के लिए रास्ते नहीं मिल रहे थे। तो बाहरी दीवारों पर लगे लोहे के फसाड़ को तोड़ना शुरू किया। इस दौरान कई अग्निशमन कर्मचारी घायल भी हो गये। लेकिन हिम्मत नही हारे। राहत कार्य जारी एक-एक कर 26 लोगो को बाहर निकाला गया। जिसमें चार शव भी बाहर निकाले। सड़कों का मंजर भी नाका जैसा ही था। राहत कार्य करने वाले ज्यादातर पुराने कर्मचारी ही थे।
घनी आबादी में बने होटल, हादसों का कारण
राजधानी के होटल ज्यादातर घनी आबादी में बने हैं। इन होटलों में जाने के लिए रास्ते भी मानक के अनुसार नहीं हैं। चाहे होटल हजरतगंज में हो या नाका में या फिर विभूतिखंड में। पिछले चार साल में चार होटलों में आग लगी। जिसमें 11 की मौत हो गई। जबकि कई घायल हुए। हादसों के शिकार हुए होटलों में विराट, एसएसजी इंटरनेशनल में 19 जून 2018 को आग लगी। वहीं 13 अप्रैल 2022 को विभूतिखंड के सैवी ग्रैंड में आग लगी। इसमें 35 लोग फंसे थे। लेकिन सभी को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। वहीं 5 सितंबर लेवाना सुइट्स में आग की चपेट में आने से चार की मौत हो गई।
पांच साल पहले शुरू हुआ था होटल, बिना भौतिक सत्यापन के ही दिया गया था एनओसी
अग्निशमन के मानकों के मुताबिक फायर टेंडर को चारों तरफ से मूव करने के लिए बिल्डिंग के चारों तरफ 8 फीट से ज्यादा का हिस्सा छोडऩा पड़ता है। जबकि होटल लेवाना में एल सेफ एरिया में जगह छोड़ी गई जबकि दोनों तरफ से एरिया ब्लैक था। इस एरिया में किचन व सर्विस रूम बना दिया गया था। होटल के पिछले हिस्से को तोड़कर रास्ता बनाने के लिए गुलमोहर अपार्टमेंट के परिसर का सहारा लेना पड़ा।
नहीं बजा फायर अलार्म
अग्निशमन विभाग ने अनापत्ति प्रमाण पत्र का फरवरी 2021 में नवीनीकरण किया। जबकि अग्निशमन विभाग में जमा किये गये दस्तावेजों में सभी मानक को पूरा करने के कागज शामिल है। इससे यह भी आशंका है कि बिना भौतिक सत्यापन के ही एनओसी का नवीनीकरण किया गया हो। जिस पर फायर स्टेशन हजरतगंज की तरफ से संस्तुति की गई थी। लेकिन हादसा होने के समय न तो फायर अलार्म बजा और न हीं फायर फाइटिंग सिस्टम काम किया। अगर समय से फायर अलार्म बज जाता तो शायद चारों की मौत न होती। यहां तक कि होटल में कोई प्रशिक्षित कर्मचारी भी तैनात नहीं था। जो इस तरह के हादसे के समय राहत कार्य कर सके। वहीं शीशे के खिड़कियाें पर लोहे की रॉड पर फसाड लगे थे। जिसके कारण होटल का पूरा वेंटीलेशन बंद हो गया था।
कमियों के बाद भी फायर एनओसी, नवीनीकरण
होटल के बेसमेंट में पार्किंग का नियम है जबकि पार्किंग की जगह व्यावसायिक प्रयोग के लिए बना लिया गया था। पार्किंग में पहले एक ऑटो मोबाइल कंपनी को दिया गया था लेकिन बाद भी कांट्रेक्ट टूटने पर उसे रेस्टोरेंट में तब्दील किया जा रहा था। इन सब खामियों के बाद भी पूर्व सीएफओ अभय भान पांडेय के कार्यकाल में 2017 में होटल को फायर एनओसी दे दी गई थी। मौजूदा सीएफओ विजय सिंह ने 2021 में इसी का नवीनीकरण भी कर दिया।
19 महीने पहले एनओसी का नवीनीकरण किया गया था। इसके लिए एक अतिरिक्त सीढ़ी बनाने की शर्त रखी गई थी। कर्मचारी हादसा होते ही भाग गये थे। वहां कोई नहीं मिला। आशंका है कि आग पर काबू न पाने के बाद कर्मचारियों ने कंट्रोल रूम को सूचना दी। वहीं अप्रैल में लखनऊ के 100 से अधिक होटलों को नोटिस दी गई है। उनसे जवाब मांगा गया है।
विजय सिंह, मुख्य अग्निशमन अधिकारी, लखनऊ।
मास्टर कार्ड लेकर धुएं में तलाशते रहे दरवाजे का लॉक
फायर ब्रिगेड चालक ओंकार नाथ राय ने बताया कि बिल्डिंग के अंदर जाने के लिए कटर से लोहे को काटने में ही काफी समय लग गया। जब रास्ता बना तो धुआं तेजी से बाहर निकलने लगा। कुछ दिख ही नहीं रहा था। जैसे-तैसे अंदर गए। हमें दरवाजों को खोलकर कस्टमरों को बाहर निकाला था। ओंकार ने बताया कि मास्टर कार्ड हाथ में लेकर हम दरवाजे तलाश रहे थे। धुएं की वजह से कुछ दिख ही नहीं रहा था। इसलिए कार्ड इधर-उधर टकरा रहा था। हमारे पास ऑक्सीजन सिलेंडर थे, पर धुआं तेजी से बढ़ रहा था, जिससे रेस्क्यू में दिक्कतें हो रही थीं। फायर ब्रिगेड के ही बच्चू लाल ने बताया कि उन्होंने तमाम रेस्क्यू ऑपरेशन में काम किया है, पर यह उन सबसे मुश्किल रहा।
अंदर तपिश, बाहर उमस ने छकाया
होटल लेवाना के अंदर आग बुझने व धुआं कम होने के बाद तपिश ने रेस्क्यू टीम के लिए मुश्किलें बढ़ाईं, वहीं बाहर मौसम भी उमसभरा हो गया था और गर्मी से हालत खराब हो रही थी। इसके बाद भी रेस्क्यू टीम होटल में फंसे लोगों को बाहर निकालने में डटी रही।
नींद टूटी…लगा जैसे घुट रही हैं सांसें
नोएडा निवासी रियल एस्टेट कारोबारी अक्षय त्यागी व पवन त्यागी उस भयावह मंजर को हमें बताते हैं तो उनके चेहरों पर खौफ साफ दिखाई देता है। अक्षय बताते हैं-हमें लखनऊ में जरूरी काम था। लेवाना के थर्ड फ्लोर पर कमरा नंबर-315 में हम ठहरे थे। रविवार रात करीब 11 बजे हम सो गए थे। सुबह नींद टूटी तो लगा कि हम सांस नहीं ले पा रहे हैं। हम बिस्तर पर उठकर बैठ गए। हमें कमरे में हल्का धुआं होने का एहसास हुआ।
सोचा दरवाजा खोलने से शायद ताजी हवा आएगी। पर, जैसे ही दरवाजा खोला लॉबी में हर ओर धुआं ही धुआं था। धुआं गहराता ही जा रहा था। हमें रूम का दरवाजा बंद करना पड़ा ताकि जिंदगी बचाने के लिए कुछ सोच सकें। खिड़की से आ रहा उजाला हमारे लिए सहारा था। कमरे में चारों ओर नजरें दौड़ाईं। लाइट बंद थी, इसलिए लिफ्ट चलने का तो सवाल ही नहीं था। चलती भी होती तो ऐसे हालात में लिफ्ट का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। लॉबी के रास्ते सीढ़ियों तक हम बगैर बेहोश हुए पहुंच पाते, इसका हमें यकीन नहीं था। सांसें घुट रही थीं। दिमाग में अचानक बिजली सी कौंधी। हमने पहले खिड़की से नीचे उतरने की योजना बनाई।
खिड़की खोली तो ऊंचाई देखकर हम सिहर गए। खिड़की के पास ही लोहे की सीढ़ियों जैसा दिखा, जिससे हम नीचे उतर सकते थे। वहां तक हमें हर हाल में पहुंचना था। जिंदगी बचाने का बस एक यही रास्ता हमें दिखा। हम किसी तरह सीढ़ियों तक पहुंचने में कामयाब हो गए। नीचे आए तो देखा होटल के मुख्य गेट से कर्मचारी, सफाईकर्मी व स्टाफ बाहर भागे आ रहे थे। होटल केदूसरे फ्लोरों से भी धुआं उठ रहा था, जिनपर फंसे लोग मदद मांग रहे थे। कोई किसी की कुछ नहीं सुन रहा था। हम होटल से निकलकर सड़क पर पहुंचे। अग्निशमन, पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीमों को आता देख दिल में तसल्ली हुई।
थर्मल इमेजिंग कैमरों की मदद से घायलों को तलाशा
होटल के सामने और दाहिने तरफ के हिस्से को लोहे की प्लेटों के जाल से कवर किया गया था, जो बेहद मजबूत था। जबकि बायीं ओर लोहे की जाली व शीट लगाई गई है। रेस्क्यू टीम के लिए बिल्डिंग के अंदर प्रवेश करना सबसे बड़ी चुनौती थी। ऐसे में रेस्क्यू टीम ने लोहे के जाल को काटने के लिए हाइड्रोलिक कटर का इस्तेमाल किया। हालांकि, इससे भी लोहे को काटने में रेस्क्यू टीम के पसीने छूट गए। लोहे केजाल को काटने में घंटों लग गए। इसके बाद खिड़कियों को तोड़ने के लिए टीम ने फायर एक्स का इस्तेमाल किया। ये विशेष किस्म की कुल्हाड़ियां होती हैं, जिनकी चोट से टफंड ग्लास तक चकनाचूर हो जाते हैं। जब अंदर जाने का रास्ता खुला तो थर्मल इमेजिंग कैमरों की मदद से होटल में ठहरे लोगों को तलाशा गया। भयंकर धुएं के बीच इन कैमरों से रेस्क्यू टीम को मदद मिली। वहीं, ब्रीदिंग अपरेटस (बीए) के साथ ही धुएं को बाहर निकालने के लिए विशेष एग्जास्ट भी टीम को उपलब्ध कराए गए थे।
खड़ा रह गया छह करोड़ का हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म
फायर ब्रिगेड ने छह करोड़ रुपये से हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म खरीदा था, जो रेस्क्यू टीम को 10 मंजिल तक पहुंचाने व अग्निशमन के लिए उपयोगी है, लेकिन इस रेस्क्यू ऑपरेशन में इसका इस्तेमाल नहीं हो सका। चालक नहीं होने के कारण यह हजरतगंज स्थित फायर ब्रिगेड कार्यालय में खड़ा ही रह गया।
मौत के धुएं में थी बस जिंदगी की तलाश
फोन पर होटल स्टाफ ने बताया, आग लगी है
बिजनेस के सिलसिले में रविवार को होटल के प्रथम तल पर रुकी थी। सुबह करीब पौने आठ बजे के करीब कमरे में धुआं भरने से नींद खुली। रिसेप्शन पर फोन करने पर बताया गया कि आग लग गई है। बॉलकनी में जाइए। खिड़की का कांच तोड़कर बॉलकनी में पहुंची। यहां से फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों ने सीढ़ी से उतारकर अस्पताल में भर्ती कराया।
– कामिनी दुबे, नोएडा
नाश्ते की तैयारी में था, बाहर के धुएं का पता नहीं चला
सुबह साढ़े सात बजे के करीब मैं किचन में काम कर रहा था। किचन में धुुआं उठता रहता है, इसलिए बाहर के धुएं पर ध्यान नहीं गया। तभी किसी ने बताया कि आग लग गई है। बाहर जाकर देखा तो चारों तरफ धुआं ही धुआं था। बाहर निकलने के दौरान हालत खराब हो गई। साथियों ने अस्पताल में भर्ती कराया।
– राजकुमार, किचन स्टाफ
दूसरों को बचाने के दौरान हुआ बेहोश
होटल में ठहरने वाले मेहमानों का ध्यान रखना मेरी जिम्मेदारी है। आग लगने के बाद कमरों में जाकर उनको बाहर निकाल रहा था। इस दौरान धुआं बढ़ता जा रहा था। इस दौरान पता नहीं चला कि कब धुएं की वजह से बेहोश हो गया। होश में आया तो खुद को अस्पताल के बेड पर पाया।
– श्रवण, स्टाफ
धुएं से खुली आंख, कांच तोड़कर निकला
ऑफिस के काम से रविवार रात करीब साढ़े 12 बजे होटल के कमरा नंबर 303 में पहुंचा। कुछ ही देर में सो गया। सुबह सवा आठ बजे धुएं से नींद खुली। खिड़की लॉक थी। इसलिए स्टूल से उसका शीशा तोड़कर बॉलकनी में पहुंचा। यहां पर मदद के लिए आवाज लगाई। करीब 20 मिनट के बाद फायरकर्मियों ने सीढ़ी लगाकर नीचे उतारा।
– अंश कौशिक, चेयरमैन यूनाइटेड लिकर कंपनी-नोएडा
सामने सीढ़ी दिखी तो भागकर बचाई जान
होटल के तीसरे तल पर रुकी थी। सुबह आठ बजे के करीब कमरे में धुआं आने लगा तो बाहर निकलकर देखा। बाहर धुआं और भी ज्यादा था। अच्छी बात थी कि होटल के बाहर से बनी लोहे की सीढ़ी सामने ही थी। जैसे-तैसे सीढ़ी तक पहुंची। यहां दमकलकर्मियों के सहारे नीचे उतरी।
मोना चौधरी, नोएडा
याद आया ट्रॉमा सेंटर की आग वाला मंजर
फायर ब्रिगेड की नौकरी के दौरान इस तरह के हादसे होते रहते हैं। आग से जानमाल की सुरक्षा करते-करते कई बार समस्या हो जाती है। इससे पहले इतनी भयंकर घटना ट्रॉमा सेंटर में हुई थी। उस समय भी धुएं की वजह से हालत खराब हो गई थी। तब अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। इस बार फिर वही वाकया हो गया।
– प्रदीप मौर्य, फायरमैन
जान बचाते पहले भी हो चुका हूं भर्ती
आग में फंसे लोगों को बचाने और आग बुझाने के दौरान पहले भी भर्ती हो चुका हूं। आग बुझाने के दौरान आंखों में जलन और सांस लेने में काफी समस्या हो रही है। इसकी वजह से भर्ती होना पड़ा है। अब बेहतर महसूस कर रहा हूं।
– चंद्रेश यादव, फायरमैन
अफसरों के भ्रष्टाचार ने किया खड़ा ‘लाक्षागृह’
इन विभागों के अफसर जिम्मेदार
एलडीए – क्यों होने दिया अवैध निर्माण
पर्यटन – किस आधार पर दिया पंजीकरण
प्रदूषण – जांच के बगैर दी एनओसी
नगर निगम – क्यों दी, अवैध होटल को एनओसी
बिजली – मानचित्र की क्यों नहीं कराया सत्यापन
अग्निशमन – भौतिक सत्यापन बिना दी एनओसी
खाद्य एवं औषधि विभाग – किस आधार पर दिया लाइसेंस
विद्युत सुरक्षा निदेशालय – छह साल में कितनी बार जांचा