अन्तराष्ट्रीय मिलेट वर्ष- 2023 में अभियान चलाकर किसानों को किया जाएगा जागरूक
-किसानों को खेती के उन्नत तरीकों की जानकारी के लिए दिया जाएगा प्रशिक्षण
योगी सरकार किसानों को बताएगी क्यों बाजरा को सुपरफूड कहते हैं ? इस बाबत अन्तराष्ट्रीय मिलेट वर्ष- 2023 में अभियान चलाकर किसानों को बाजरे की खूबियों के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाएगा।
उप्र में बाजरे के प्रति हेक्टेयर उपज, कुल उत्पादन और फसल आच्छादन का क्षेत्र (रकबे) में लगातार वृद्धि हुई है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा है कि अपने पौष्टिक गुणों के कारण चमत्कारिक अनाज कहे जाने वाले बाजरे की खेती को यथा संभव प्रोत्साहन दिया जाय। यही वजह है कि विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद अगले 100 दिन, छह माह, दो साल और पांच साल के काम का लक्ष्य तय करने के लिए सेक्टरवार मंत्री परिषद के समक्ष प्रस्तुतिकरण लिया था। इसी क्रम में सामाजिक सेक्टर के प्रस्तुतिकरण के दौरान उन्होंने निर्देश दिया था कि न्यूट्रीबेस्ड फूड बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद और वितरण की व्यवस्था की जाए।
मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष-2023 में बाजरा एवं ज्वार सहित लुप्तप्राय हो रही कोदो और सांवा की फसल को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि विभाग ने कई योजनाएं तैयार की हैं। बाजरे की खेती के लिए किसानों को इसकी खूबियों के प्रति जागरूक करने की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष-2023 का मकसद भी यही है। इस दौरान राज्य स्तर पर दो दिन की एक कार्यशाला आयोजित की जाएगी। इसमें विषय विशेषज्ञ 250 किसानों को मोटे अनाज की खेती के उन्नत तरीकों, भंडारण एवं प्रसंस्करण के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा। जिलों में भी इसी तरह के प्रशिक्षण कर्यक्रम चलेंगे।
बाजरे की खेती को प्रोत्साहन के लिए प्रस्तावित कार्यक्रम
इसी क्रम में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत 24 जिलों में दो दिवसीय किसान मेले आयोजित होंगे। हर मेले में 500 किसान शामिल होंगे। इसमें वैज्ञानिकों के साथ किसानों का सीधा संवाद होगा। ज्वार की खूबियों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए रैलियां निकाली जाएंगी। राज्य स्तर पर इनकी खूबियों के प्रचार-प्रसार के लिए दूरदर्शन, आकाशवाणी, एफएम रेडियो, दैनिक समाचार पत्रों, सार्वजिक स्थानों पर बैनर, पोस्टर के जरिए आक्रामक अभियान भी चलाया जाएगा।
गेंहू, धान, गन्ने के बाद प्रदेश की चौथी फसल है बाजरा
उल्लेखनीय है कि गेहूं धान और गन्ने के बाद उत्तर प्रदेश की चौथी प्रमुख फसल है, बाजरा। खाद्यान्न एवं चारे के रूप में प्रयुक्त होने के नाते यह बहुपयोगी भी है। पोषक तत्वों के लिहाज से इसकी अन्य किसी अनाज से तुलना ही नहीं है। इसलिए इसे चमत्कारिक अनाज, न्यूट्रिया मिलेट्स, न्यूट्रिया सीरियल्स भी कहा जाता है।
हर तरह की भूमि में ले सकते हैं फसल
इसकी खेती हर तरह की भूमि में संभव है। न्यूनतम पानी की जरूरत, 50 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी परागण, मात्र 60 महीने में तैयार होना और लंबे समय तक भंडारण योग्य होना इसकी अन्य खूबियां हैं। चूंकि इसके दाने छोटे एवं कठोर होते हैं ऐसे में उचित भंडारण से यह दो साल या इससे अधिक समय तक सुरक्षित रह सकता है। इसकी खेती में उर्वरक बहुत कम मात्रा में लगता है। साथ ही भंडारण में भी किसी रसायन की जरूरत नहीं पड़ती। लिहाजा यह लगभग बिना लागत वाली खेती है।
पोषक तत्वों का खजाना है बाजरा
वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पांडेय कहते हैं कि बाजरा प्राचीन ही नहीं पोषक भी है। सिंधु घाटी सभ्यता में भी इसके प्रमाण मिलते हैं। रही पोषण की बात तो कवि घाघ का यह दोहा ‘उठ के बजरा या हँसि बोले। खाये बूढ़ा जुवा हो जाय।।’ इसका प्रमाण है। यही वजह है कि सुपर फ़ूड भी कहते हैं। बाजरे में गेहूं और चावल की तुलना में तीन से पांच गुना पोषक तत्व होते हैं। इसमें ज्यादा खनिज, विटामिन, खाने के लिए रेशे और अन्य पोषक तत्व मिलते हैं। लसलसापन नहीं होता। इससे अम्ल नहीं बन पाता। लिहाजा सुपाच्य होता है। इसमें उपलब्ध ग्लूकोज धीरे-धीरे निकलता है। लिहाजा यह मधुमेह (डायबिटीज) पीड़ितों के लिए भी मुफीद है। बाजरे में लोहा, कैल्शियम, जस्ता, मैग्निसियम और पोटाशियम जैसे तत्व भरपूर मात्रा मे होते हैं। साथ ही काफी मात्रा में जरूरी फाईबर (रेशा) मिलता है। इसमें कैरोटिन, नियासिन, विटामिन बी-6 और फोलिक एसिड आदि विटामिन्स मिलते हैं।
प्रसंस्करण की काफी संभावनाएं
बाजरे से चपातियां, ब्रेड, लड्डू, पास्ता, बिस्कुट, प्रोबायोटिक पेय पदार्थ बनाए जाते हैं। छिलका उतारने के बाद इसका प्रयोग चावल की तरह किया जा सकता है। इसके आटे को बेसन के साथ मिलाकर इडली, डोसा, उत्पम, नूडल्स आदि बनाया जा सकता है।
भारत के प्रस्ताव पर यूएनओ ने 2023 को घोषित किया ईयर ऑफ मिलेट
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संबोधन में मिलेट रिवोल्यूशन के क्रांति की जरूरत का जिक्र कर चुके हैं। उनकी ही पहल पर 2018 में देश में मिलेट ईयर मनाया गया था। बाद में भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनो) को इसे अन्तराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का अनुरोध किया था। भारत के ही प्रस्ताव पर 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है।