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अपने मिशन से भटक गए हैं ओमप्रकाश राजभर, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष समेत कार्यकर्ता ने छोड़ी पार्टी

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कार्यकर्ताओं ने छोड़ी पार्टी

– सुभासपा संस्थापक सदस्य संगठन राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेंद्र राजभर मऊ सदर विधानसभा से 2017 में भाजपा गठबंधन से लड़ चुके हैं चुनाव

– महेन्द्र ने लगाया आरोप, भगोड़ा मऊ सदर विधायक अब्बास अंसारी ओमप्रकाश राजभर के घर में लिए हो सकते हैं शरण

उत्तर प्रदेश मऊ जनपद से 2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा के सुभासपा गठबंधन प्रत्याशी रहे व संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष/कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष महेंद्र राजभर ने सोमवार को दर्जनों पदाधिकारियों संग पार्टी की सदस्यता छोड़ दी। इस दौरान उन्होंने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि वह पार्टी के मिशन से भटक चुके हैं। वह व्यक्तिगत मिशन धन बटोरने के चक्कर में लगे हुए हैं।

मऊ जनपद मुख्यालय स्थित एक प्लाजा में पत्र प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए महेंद्र राजभर ने कहा कि सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर एन-केन-प्रकारेण केवल धन बटोरने के चक्कर में लगे रहते हैं। 20 वर्ष पूर्व 27 अक्टूबर 2002 को हम सबकी उपस्थिति में पार्टी की स्थापना की गई थी। उस समय पार्टी का मिशन गरीब, दलित, मजदूर व वंचित समाज का उत्थान रखा गया था। जबकि उसके बाद से कार्यकर्ताओं के खून पसीने से बनी पार्टी का उपयोग उन्होंने केवल धन बटोरने के लिए किया है। उनके इन कुकर्मों से आहत होकर प्रदेश महासचिव अर्जुन चौहान, प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ अवधेश राजभर सहित दर्जनों साथियों ने सुभासपा की सदस्यता छोड़ने का निर्णय लिया है।

ओमप्रकाश राजभर आरोप लगाते हुए महेंद्र राजभर ने कहा कि मऊ सदर विधायक अब्बास अंसारी को पूरे देश की पुलिस तलाश रही है जबकि काफी संभावना है कि वह ओमप्रकाश राजभर के घर में छिपे हो सकते हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनावी सभा के दौरान महेन्द्र राजभर को कहा था कटप्पा

2017 विधानसभा चुनाव में मऊ सदर से सुभासपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेंद्र राजभर को भाजपा सुभासपा गठबंधन प्रत्याशी बनाया गया था। जो बाहुबली मुख्तार अंसारी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे। उस समय एक चुनावी सभा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महेंद्र को मंच से कटप्पा की संज्ञा देते हुए कहा कि महेंद्र चौहान उर्फ कटप्पा ही मऊ के बाहुबली को मार सकता है। तब से महेंद्र चौहान काफी चर्चा में आ गए, हालांकि वह मुख्तार अंसारी से कांटे की टक्कर में महज छह हजार वोट से चुनाव हार गए। फिलहाल महेन्द्र संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं।

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