जिला कुष्ठ रोग विभाग में करीब दस वर्ष की नौकरी के दौरान बैंक खाते से वेतन का एक भी रुपया न निकालने वाले धीरज ने बीते शनिवार आखिरी सांस ली। सफाईकर्मी धीरज पिछले कुछ समय से टीबी से पीड़ित था। उसके खाते में 70 लाख रुपये से अधिक पड़े हैं। उसकी मौत के बाद घर में 80 साल की बूढ़ी मां ही बची हैं। जिनका रो-रो का बुरा हाल है।
धीरज का नाम उस समय चर्चा में आया था, जब बैंक कर्मियों ने उसके आफिस पहुंचकर सैलरी खाते से कुछ पैसा निकालने की गुजारिश की थी। तब पता चला था कि बेहद साधारण से दिखने वाले धीरज के वेतन खाते में 70 लाख रुपये से अधिक धनराशि जमा हैं। यह भी जानकारी मिली कि धीरज बैंक खाते से वेतन निकालता ही नहीं। इसके बाद से ही अस्पताल के लोग उसे करोड़पति स्वीपर बुलाने लगे थे। दूसरी तरफ धीरज लोगों से पैसे मांग कर ही अपना खर्च चलाता रहा।
आश्रित कोटे में मिली थी नौकरी
धीरज के पिता सुरेश चंद्र भी जिला कुष्ठ रोग विभाग में स्वीपर के पद पर तैनात थे। लेकिन उनकी आकस्मिक मौत के बाद मृतक आश्रित कोटे के अंतर्गत उसे स्वीपर की नौकरी मिल गई थी। धीरज ने दिसंबर 2012 में नौकरी शुरू की लेकिन पूरी नौकरी में उसने वेतन को छूआ भी नहीं। विभागीय अधिकारी बताते हैं कि उसके पिता ने भी कभी खाते से पैसे नहीं निकाले थे। अस्पताल के कर्मचारियों ने बताया कि धीरज ने शादी भी नहीं की थी। वह अपनी मां और बहन के साथ अस्पताल परिसर में मिले आवास में रहता था। कुष्ठ रोग विभाग के स्टाफ निखिल ने बताया कि धीरज कभी छुट्टी भी नहीं ली।
धीरज के पिता सुरेश चंद्र भी जिला कुष्ठ रोग विभाग में स्वीपर के पद पर तैनात थे। लेकिन उनकी आकस्मिक मौत के बाद मृतक आश्रित कोटे के अंतर्गत उसे स्वीपर की नौकरी मिल गई थी। धीरज ने दिसंबर 2012 में नौकरी शुरू की लेकिन पूरी नौकरी में उसने वेतन को छूआ भी नहीं। विभागीय अधिकारी बताते हैं कि उसके पिता ने भी कभी खाते से पैसे नहीं निकाले थे। अस्पताल के कर्मचारियों ने बताया कि धीरज ने शादी भी नहीं की थी। वह अपनी मां और बहन के साथ अस्पताल परिसर में मिले आवास में रहता था। कुष्ठ रोग विभाग के स्टाफ निखिल ने बताया कि धीरज कभी छुट्टी भी नहीं ली।