उत्तर प्रदेश के पूर्व ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय का शुक्रवार देर रात आगरा के रेनावो अस्पताल में निधन हो गया। उनके निजी सचिव रानू पंडित ने इस खबर की पुष्टि की। वे लंबे समय से गंभीर बीमारी से पीड़ित थे। रामवीर उपाध्याय पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता थे। वे 65 साल के थे। लंबे समय तक बसपा में रहे। उन्होंने कई बार मंत्री पद पर रहकर राजनीति के शिखर को छुआ। विधान सभा चुनाव से पूर्व ही उन्होंने बसपा छोड़कर भाजपा ज्वाइन की थी। इस बार उन्होंने सादाबाद विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था।
रामवीर उपाध्याय ने भाजपा से अपने राजनैतिक सफर की शुरुआत की थी। वे लगातार पांच बार विधायक रहे। 1996 से 2017 तक वे हाथरस सदर, सिकंदराराऊ व सादाबाद सीट से विधायक रहे। रामवीर उपाध्याय ने करीब 30 साल पहले टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर पार्टी छोड़ दी थी। उभरते हुए नेता के रूप में उन्होंने वर्ष 1993 में हाथरस सदर सीट से भाजपा से टिकट के लिए दावेदारी की पर पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। पार्टी ने राजवीर पहलवान को प्रत्याशी बनाया था। इससे नाराज होकर रामवीर उपाध्याय निर्दलीय मैदान में उतरे थे और चुनाव हार गए।
इसके बाद 1996 में उन्होंने बसपा का दामन थामा और पहली बार प्रचंड बहुमत से विधायक बने। बसपा में रामवीर उपाध्याय कद्दावर नेता थे और उन्होंने कई बार मंत्री और अन्य पदों पर रहकर राजनीति के शिखर को छुआ। हाथरस की राजनीति में रामवीर का नाम बड़े नेता के रूप में हमेशा से रहा। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 2002 और 2007 में हाथरस सदर, वर्ष 2012 में सिकंदराराऊ और 2017 से वह सादाबाद से विधायक बने। इस बीच वह ऊर्जा, परिवहन, चिकित्सा शिक्षा, समेत कई अहम विभागों के मंत्री रहे। बसपा ने उन्हें लोक लेखा समिति के सभापति भी बनाया। विधानमंडल दल में मुख्य सचेतक भी रामवीर उपाध्याय रहे हैं।
2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने बसपा छोड़कर भाजपा ज्वाइन की। उन्होंने सादाबाद सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। उनके सामने आरएलडी के प्रदीप चौधरी गुड्डू थे। इस बार वे चुनाव हार गए। सादाबाद से प्रदीप चौधरी गुड्डू चुनाव जीते और विधायक बने। शुक्रवार देर रात रामवीर उपाध्याय का आगरा के रेनवो अस्पताल में निधन हो गया। उनके निधन की खबर सुनते ही उनके चाहने वालों में शोक की लहर दौड़ पड़ी।