इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि रफीक मसीह केस में स्थापित विधि सिद्धांत के मुताबिक सेवानिवृत्त कर्मचारी से अधिक वेतन भुगतान की वसूली नहीं की जा सकती। याची 31 जुलाई 20 को सेवानिवृत्त हुआ और एक नवंबर 20 को गलत वेतनमान निर्धारण के आधार पर वसूली आदेश जारी किया गया। वेतन निर्धारण में याची की कोई भूमिका नहीं थी।
याची पूर्व सैनिक है। 1998 में पीएसी में नियुक्त हुआ। समय-समय पर वेतनमान का निर्धारण होता रहा। दो फरवरी 18 को नोटिस मिली कि गलत वेतन निर्धारण के कारण अधिक भुगतान किया गया है। सफाई दें कि क्यों न वसूली की जाय।
याची ने जवाब दिया कि उसकी वजह से अधिक वेतन भुगतान नहीं हुआ है। इसी बीच वह सेवानिवृत्त हो गया और उसके जवाब पर विचार किए बिना वसूली आदेश दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने रफीक मसीह केस में सेवानिवृत्ति के बाद विभाग की गलती से हुए अधिक भुगतान की वसूली को ग़लत करार दिया है।