नेटफ्लिक्स के रजत जयंती वर्ष पर मुंबई में हुए नेटफ्लिक्स के फिल्म्स डे पर राजकुमार राव की अगली ओटीटी फिल्म ‘मोनिका ओ माय डार्लिंग’ की झलक खासतौर पर मीडिया के सामने पेश की गई। कार्यक्रम में फिल्म की पूरी स्टारकास्ट के साथ ही राजकुमार राव भी आए लेकिन उनके चेहरे पर वह तेज नहीं दिखा, जिसके लिए वह अक्सर पहचाने जाते हैं। राजकुमार राव की गिनती बॉलीवुड के शानदार कलाकारों के रूप में होती रही है। काम भी उन्होंने कई बेहतरीन फिल्मों में किया है। लेकिन, फिल्म ‘स्त्री’ के बाद से उनकी बॉक्स ऑफिस वैल्यू लगातार घटती जा रही है। सिर्फ सिनेमाघरों में रिलीज फिल्मों को गिने तो उनकी अब तक लगातार नौ फिल्में फ्लॉप हो चुकी हैं। राजकुमार राव को इन दिनों एक ऐसी फिल्म की सख्त जरूरत है जो बॉक्स ऑफिस पर कमाल कर सके और उनके डूबते करियर को फिर से लाइमलाइट में ला सके। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर हिंदी सिनेमा के टॉप 5 सितारों में शामिल रहे राजकुमार अपनी किन गलतियों के चलते धीरे धीरे हाशिये पर खिसकते जा रहे हैं…
कहानियों पर ध्यान नहीं
साल 2018 में आई फिल्म ‘स्त्री’ के बाद राजकुमार राव की अब तक सिनेमाघरों में रिलीज हुई नौ फिल्मे फ्लॉप हो चुकी हैं। इन फिल्मों में ‘5 वेडिंग्स’, ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’, ‘जजमेंटल है क्या’, ‘मेड इन चाइना’, ‘शिमला मिर्ची’, ‘रूही’, ‘बधाई दो’, ‘हम दो हमारे दो’ और हालिया रिलीज फिल्म ‘हिट: द फर्स्ट केस’ शामिल हैं। इन सारी फिल्मों के साथ एक बात एक जैसी रही और वह ये कि इनकी कहानियों से सिनेमाघरों में फिल्में देखने वाले दर्शक तारतम्य नहीं बिठा सके। ऐसा नहीं कि उनको ध्यान में रखकर लेखक अच्छी कहानियां नहीं लिख रहे लेकिन उनकी एजेंसी के बीच में आ जाने के बाद से राजकुमार तक अच्छी कहानियां पहुंच ही नहीं पा रही हैं।
अभिनय में विविधता की कोशिश नहीं
राजकुमार राव की लगातार फ्लॉप फिल्मों में एक बात और एक जैसी है और वह ये कि अब राजकुमार राव ने ‘शाहिद’, ‘क्वीन’ या ‘सिटीलाइट्स’ की तरह अपनी फिल्मों की कहानियों में किरदार की तरह दिखना बंद कर दिया है। अब हर फिल्म में वह राजकुमार राव ही नजर आते हैं। उनके किरदार अब दर्शकों को चौंकाते नहीं है। बातचीत में राजकुमार राव खुद मानते हैं कि जब भी मौका मिले, कलाकार को कुछ अलग करने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन, अपनी कही इस बात का असर उनकी अपनी ही फिल्मों में अब दिख नहीं रहा।
दिग्गज हीरोइनों के साथ काम का लालच
हिंदी सिनेमा की एक बड़ी कमजोरी ये भी है कि यहां एक कलाकार खुद को बड़ा हीरो तब तक नहीं मानता जब तक कि वह अपने दौर की दिग्गज हीरोइनों के साथ काम न कर ले। राजकुमार राव की ऐश्वर्या राय बच्चन का हीरो बनने की तमन्ना फिल्म ‘फन्ने खां’ में पूरी तो हुई लेकिन इस फिल्म ने उनके करियर पर बड़ा ग्रहण लगा दिया। सोनम कपूर के हीरो वह फिल्म ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ में बने लेकिन फिल्म देखकर दर्शकों को कैसा लगा, ये सब जानते हैं। प्रियंका चोपड़ा के हीरो वह ‘द व्हाइट टाइगर’ में बने और ओटीटी हीरो का ठप्पा अपने ऊपर लगवा बैठे।
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स्त्री प्रधान फिल्मों के साइड हीरो
बॉलीवुड में अक्सर देख गया है कि जब बड़ी हीरोइन किसी फिल्म में सेंट्रल किरदार निभाती है तो बड़े हीरो उसमे काम नहीं करते है। राज कुमार राव को यह बात नहीं समझ आई। उनको लगा कि कमर्शियल हीरो बनने के लिए उनका बड़ी हीरोइनों के साथ काम करना जरूरी है। और, यहीं उनसे सबसे बड़ी चूक हो गई।
पैसा कमाने के लालच में छवि खराब
राजकुमार राव ने मुंबई के पॉश इलाके में करोड़ों का फ्लैट खरीदा है, वह अपनी रिहाइश उस इलाके में बरसों से करना चाहते रहे हैं जहां हिंदी सिनेमा के खानदानी रईस कलाकार रहते हैं। उनका ये सपना पूरा भी हो गया। उनके करीबी बताते हैं कि राजकुमार राव की जो भी फिल्में बीते चार साल में फ्लॉप हुई हैं, उसके लिए उनकी टैलेंट एजेंसी ने उन्हें किरदार भले दमदार न दिलाएं हों पर पैसा अच्छा दिलाया है। इस पैसे के लालच ने ही राजकुमार राव के करियर को हाशिये की तरफ धकेल दिया है।
बड़ी हीरोइनों ने किया किनारा
राजकुमार राव ने ऐश्वर्या राय के साथ ‘फन्ने खां’, कंगना रनौत के साथ ‘जजमेंटल है क्या’, प्रियंका चोपड़ा के साथ ‘द व्हाइट टाइगर’ और सोनम कपूर के साथ ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ जैसी फिल्में कीं। लेकिन, अब हालत ये है कि मौजूदा दौर की अधिकतर अभिनेत्रियां उनके साथ फिल्म की पिचिंग होते ही फिल्म में काम करने से मना कर देती हैं। उनकी आने वाली फिल्मों की फेहरिस्त देखें तो अब राजकुमार राव ‘मोनिका ओ माई डार्लिंग’ में हुमा कुरैशी के साथ और ‘भीड़’ में भूमि पेडनेकर के साथ काम कर रहे हैं। फिल्म ‘मिस्टर और मिसेज माही’ में वह जान्हवी कपूर के साथ हैं लेकिन जान्हवी भी उनकी तरह इन दिनों ओटीटी स्टार ही बनती दिख रही हैं।
भूल गए सफल फिल्मों के सबक
राजकुमार राव की पहचान उनकी उन फिल्मों से बनी है जिनमें उन्होंने अपना असली चोला छोड़ किरदार का चोला पहना। ‘लव सेक्स और धोखा”, रागिनी एमएमएस’, ‘काई पो चे’, ‘क्वीन’, ‘न्यूटन’, ‘बरेली की बर्फी’ और ‘स्त्री’ जैसी फिल्मों में राजकुमार राव की खूब तारीफ हुई। इनमें से हर फिल्म हिंदी सिनेमा का एक नायाब नमूना रही है और वह इसलिए क्योंकि राजकुमार राव ने इनमें एक स्टार की तरह नहीं बल्कि एक एक्टर की तरह काम किया।
एजेंसी ने बढ़ाई निर्माताओं से दूरी
हिंदी फिल्मों के नामचीन निर्माता बताते हैं कि राजकुमार राव तक पहुंचना अब पहले जैसा आसान नहीं रह गया। अब राजकुमार राव तक पहुंचने के पहले उनकी टैलेंट एजेंसी को संतुष्ट करना होता है। अच्छी से अच्छी कहानियां भी इस टैलेंट एजेंसी तक आकर अटक जा रही हैं। राजकुमार राव को लेकर हिट फिल्में बनाने वाले स्वतंत्र निर्माता भी अब राजकुमार राव तक सीधे नहीं पहुंच पा रहे। इस नई बाधा ने बतौर कलाकार राजकुमार राव का नुकसान ही ज्यादा किया है।
रीमेक ने कराया सबसे बड़ा नुकसान
राजकुमार राव की पिछली फिल्म ‘हिट द फर्स्ट केस’ इसी नाम से दो साल पहले तेलुगू में बनी फिल्म का रीमेक है। ओरीजनल फिल्म देखकर ही राजकुमार ने इसकी हिंदी रीमेक के लिए हामी भरी लेकिन फिल्म के क्लाइमेक्स में किए गए अहम बदलाव पर राजकुमार ने ध्यान ही नहीं दिया। ओरीजनल फिल्म में पुलिस अफसर की बीवी वाकई में कत्ल करती है जबकि हिंदी रीमेक में कत्ल होता ही नहीं। यहां मौत एक हादसे में होती है और इसके बावजूद पुलिस अफसर अपनी बीवी की मदद करने के लिए लाश छुपाने की कोशिश करता है। फिल्म में दिखाया गया समलैंगिक रिश्ता भी लोगों को हजम नहीं हुआ। यहीं गलती राजकुमार फिल्म ‘बधाई दो’ में कर चुके हैं।
संघर्ष के दिनों का इरादा भी भूले
राजकुमार राव जब फिल्मों के लिए संघर्ष कर रहे थे तो लोग उन्हें हीरो मटेरियल ही नहीं मानते थे। तब राजकुमार अपने इंटरव्यू में कहा करते थे कि वह फिल्मों में स्टार बनने नहीं आए बल्कि उन्हें तो खुद को अच्छे कलाकार के रूप में खुद को स्थापित करना है। फिल्में उनकी हिट होनी शुरू हुईं तो वह अपनी ही ये बात भूल गए। कथ्य आधारित फिल्मों को हाशिये पर कर राजकुमार राव मसाला फिल्मों की तरफ भागे। लेकिन, उनके साथ वही होता दिख रहा है कि दुविधा में दोनों गए, माया मिली न राम।