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योगी सरकार ने लिए कई महत्वपूर्ण फैसले, अब वाहनों का नहीं होगा मैन्युअल फिटनेस टेस्ट

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।

मंगलवार को यूपी कैबिनेट की बैठक में 16 प्रस्ताव आये थे, जिसमें 15 पास हुए और एक स्थगित किया गया है। कैबिनेट बैठक के बाद परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने बताया कि परिवहन विभाग के प्रवर्तन दल के सिपाही अब समूह घ नहीं बल्कि समूह ग के अंतर्गत भर्ती किए जाएंगे। भर्ती के लिए शैक्षिक योग्यता को बढ़ाकर इंटरमीडिएट कर दिया गया है। प्रवर्तन दल के सिपाहियों की भर्ती उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग करेगा। इस व्यवस्था से सिपाहियों को प्रमोशन का लाभ मिल सकेगा, उनका वेतन भी बढ़ जाएगा। परिवहन विभाग में अब परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस नहीं बन पाएंगे। सिमुलेटर पर टेस्ट देने के बाद ही परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए जाएंगे।

62 जिलों में 2100 नवीन राजकीय नलकूप परियोजना अनुमोदित

प्रदेश के विभिन्न 62 जिलों में 2100 नवीन राजकीय नलकूप निर्माण परियोजना पर काम होगा। इसके व्यय के लिए वित्त समिति द्वारा अनुमोदित लागत 84198.83 लाख रुपये को कैबिनेट की बैठक में हरी झंडी दे दी गई।

प्रदेश में 87 प्रतिशत फसल क्षेत्र का सिंचन किया जा रहा है जबकि 13 प्रतिशत क्षेत्र में सिंचन सुविधा उपलब्ध नहीं है। प्रदेश मेें कुल 143.37 लाख हेक्टेयर में से 107.30 लाख हेक्टेयर यानी कुल 74.90 प्रतिशत एरिया की सिंचाई राजकीय नलकूपों एवं निजी नलकूपों के माध्यम से की जा रही है। वर्तमान में प्रदेश में कुल 34.316 राजकीय नलकूपों द्वारा कृषकों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।

कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि सिंचन क्षमता को बढ़ाने तथा लघु एवं सीमांत कृषकों के लिए जन प्रतिनिधियों तथा स्थानीय कृषकों की मांग के चलते परिक्षेत्र स्तर पर एक क्यूसेक क्षमता के नवीन राजकीय नलकूप प्रदेश के 62 जिलों में लगाए जाने हैं। कार्ययोजना यह है कि 2100 नलकूप उन विकास खंडों में लगाए जाएंगे जहां भूगर्भ जल सुरक्षित है। परियोजना की कुल लागत 84198.83 लाख रुपये है। किसी भी डार्क अथवा ग्रे ब्लॉक में नलकूप स्थापित नहीं किया जाएगा।

योजना में  प्रत्येक नलकूप पर रिमोट सेंसिंग, ड्रिलिंग, डेवलेपमेंट, पंपहाउस का निर्माण, डिलीवरी टैंक, हेडर आदि पर काम होगा। जल वितरण प्रणाली के अंतर्गत 1.2 किलोमीटर भूमिगत पीवीसी पाइप लाइन के बिछाने, 10 आउटलेट का निर्माण तथा ऊर्जीकरण का कार्य कराया जाना है। परियोजना वर्ष 2022-23 से शुरू होकर 2023-24 तक पूरी की जाएगी। इससे 50 हेक्टेयर प्रति राजकीय नलकूप की दर से 105000 हेक्टेयर की सिंचन क्षमता में वृद्धि होगी। साथ ही श्रमिकों के लिए 21 लाख मानव दिवस के रोजगार का सृजन संभावित है।

तोरिया के निशुल्क बीज की मिनी किट वितरण को 457.60 लाख मंजूर

कमजोर मानसून के कारण प्रदेश सरकार किसानों को तोरिया की बोआई के लिए इसके निशुल्क बीज की मिनी किट का वितरण करेगी। इसके लिए कैबिनेट की बैठक में 457.60 लाख रुपये के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया गया।

इस बार बारिश कम हो रही है। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि ऐसे में जिन क्षेत्रों में खरीफ की बोआई नहीं हो पा रही है वहां किसानों को तोरिया बीज की मिनीकिट का निशुल्क वितरण किया जाएगा। सरकार लाभार्थी को दो किग्रा प्रति पैकेट का वितरण करेगी। विशेष कार्यक्रम के तहत इसका वितरण होगा और राज्य सरकार द्वारा शत प्रतिशत वित्त पोषित होने के कारण इसे डीबीटी प्रक्रिया से मुक्त रखा जाएगा।

ग्राम पंचायतों मे जन प्रतिनिधियोें की उपस्थिति में किट बांटी जाएंगी। यह वितरण 75 प्रतिशत सामान्य जाति के किसानों को तथा 25 प्रतिशत एससी, एसटी जाति के किसानों को दिया जाएगा। चयनित किसानों में 30 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। ‘प्रथम आवक, प्रथम पावक’ के आधार पर इसका वितरण होगा। विभाग के अनुसार इस योजना से प्रदेश में 400000 क्विंटल अतिरिक्त तोरिया का उत्पादन होगा और लाभार्थी किसानों को 8000 रुपये प्रति हेक्टेयर का औसतन लाभ प्राप्त होगा।

एसजीपीजीआई कर्मियों को मिलेंगे भत्ते

एसजीपीजीआई कर्मचारियों को सातवें वेतनमान से जुड़े सभी भत्ते का भुगतान किया जाएगा। मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इससे करीब आठ सौ कर्मचारियों को फायदा होगा। भत्ते जारी होने की सूचना मिलते ही कर्मचारियों ने खुशी जताई। संस्थान प्रशासन और सरकार के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया है।

एसजीपीजीआई में सातवां वेतनमान लागू होने के बाद भी कई भत्ते नहीं दिए जा रहे थे। पेशेंट केयर भत्ता, वर्दी भत्ता, द्विभाषी भत्ता सहित अन्य भक्तों की मांग को लेकर एसजीपीजीआई के कर्मचारी लगातार आंदोलन कर रहे थे। एसजीपीजीआई प्रशासन ने पूरे मामले की रिपोर्ट शासन को भेजी थी। इसके बाद भी कर्मचारी अनशन शुरू कर दिए थे।

कैबिनेट की बैठक में विभिन्न भत्तों के भुगतान से संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। इसके तहत करीब सात सौ कर्मचारियों को फायदा होगा। पेशेंट केयर भत्ता ग्रूप ए को 5300 रुपये, ग्रूप बी को 4200 रुपये प्रति माह, वर्दी भत्ता पांच हजार वार्षिक और द्विभाषी भत्ता एक हजार से डेढ़ हजार प्रति माह मिलेगा। भत्ते जारी होने की सूचना पर कर्मचारियों ने खुशी मनाई। एसजीपीजीआई कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष जितेंद्र कुमार यादव एवं महामंत्री धर्मेश कुमार ने कहा कि शासन के इस कदम से कर्मचारियों का उत्साह बढ़ेगा। मेडिटेक एसोसिएशन केसरोज वर्मा ने सभी कर्मचारियों को बधाई दी है।

60 साल बाद हुआ फरीदपुर नगर पालिका परिषद का सीमा विस्तार

प्रदेश सरकार ने बरेली की फरीदपुर नगर पालिका पारिषद का विस्तार कर दिया है। नगर विकास विभाग के प्रस्ताव पर कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। खास बात यह है कि 1962 में गठित होने वाले फरीदपुर नगर पालिका परिषद का यह पहली बार सीमा विस्तार किया गया है। यानि गठन के करीब 60 साल बाद इस पालिका परिषद का सीमा विस्तार किया गया है। इस समय फरीदपुर की आबादी 81 हजार से भी अधिक हो चुकी है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलावार को हुई कैबिनेट की बैठक में सीमा विस्तार के फैसले पर मुहर लग गई है। बता दें कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रदेश के तमाम नगर निकायों का गठन और सीमा विस्तार करके शहरी क्षेत्र को बढ़ाने का काम हो रहा है। इसके लिए छोटे-छोटे कस्बों और आसपास के ग्रामीण इलाकों को नगर निकायों में शामिल करके शहरी तर्ज पर सुविधाएं मुहैया कराया जा रहा है। बीते पांच वर्र्षों में 191 नगर निकायों का गठन या विस्तार किया गया है। इसी कड़ी में अब फरीदपुर का सीमा विस्तार किया गया है।

नगर निकायों का सीमा विस्तार वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर किया जा रहा है। इस लिहाज से फरीदपुर नगर पालिका परिषद की आबादी इस समय 81892 से अधिक हो चुकी है। इसीलिए सरकार ने इस निकाय के सीमा विस्तार किया है। इसके लिए नगर विकास विभाग ने बीते 19 जुलाई को ही आपत्तिया व सुझाव मांगे थे।

ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन होंगे स्थापित

मंगलवार को हुई योगी कैबिनेट की बैठक में सड़क हादसों को रोकने के लिए अहम फैसला लिया गया। बैठक में वाहनों की फिटनेस जांचने के लिए प्रदेश के हर जिले में ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशनों (एटीएस) को स्थापित करने पर मुहर लगा दी गई है। इसके लिए प्रदेश सरकार 500 करोड़ रुपये खर्च करेगी।

परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने बताया कि वाहनों की फिटनेस जांच अब मैन्युअल नहीं बल्कि मशीनों से की जाएगी। इसे अनिवार्य रूप से लागू किया जाएगा। इसके लिए प्रदेश के एटीएस को पीपीपी मोड पर हर जिले में स्थापित किया जाएगा। पहले चरण में प्रदेश में राज्य सरकार के अधीन चलने वाले ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशनों को छोड़कर प्रदेश के हर जिले में एक-एक एटीएस स्थापित किए जाएंगे। सभी स्टेशन को स्थापित करने का लक्ष्य एक साल रखा गया है। इस समय राज्य सरकार के ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन लखनऊ, कानपुर और आगरा में प्रस्तावित हैं।

टेस्टिंग में आएगी तेजी
बैठक में बताया गया कि हर जिले में एटीएस स्थापित होने से प्रदेश के युवाओं को रोजगार के साधन भी उपलब्ध होंगे। इससे करीब 1500 से अधिक प्रत्यक्ष रूप से रोजगार के साधन सृजित होंगे। सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी तो वहीं वाहनों की टेस्टिंग की प्रक्रिया में भी तेजी आएगी। इसके साथ ही टेस्टिंग में पारदर्शिता आने के साथ अनियमितता की आशंका भी कम हो जाएगी।

सीएजी की रिपोर्ट का अनुमोदन

प्रदेश कैबिनेट ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की ऑडिट रिपोर्ट-2020 का अनुमोदन कर दिया है। सीएजी रिपोर्ट को अब विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश किया जाएगा।

ओबरा परियोजना के ऋण ट्रांसफर को मंजूरी

कैबिनेट ने ओबरा तापीय परियोजना के लिए विद्युत वित्त निगम (पीएफसी) से लिए गए 1500 करोड़ रुपये से ज्यादा ऋण को बैंक ऑफ बड़ौदा में ट्रांसफर करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अपर मुख्य सचिव ऊर्जा अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि पीएफसी से लिए गए ऋण की ब्याज दर अधिक थी। बैंक आफ बड़ौदा की ब्याज दर कम होने के कारण ऋण ट्रांसफर किया जा रहा है। इससे उत्पादन निगम को बचत होगी।

राज्य व मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कारों के नियम में संशोधन

माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षकों को दिए जाने वाले राज्य व मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कारों के चयन की संशोधित नियमावली को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। अब राज्य अध्यापक पुरस्कार नौ की बजाय 18 दिए जाएंगे। इसमें दो-दो पुरस्कार प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापक के लिए होंगे और बाकी 14 पुरस्कार शिक्षकों के लिए विषय व वर्गवार निर्धारित किए गए हैं। मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार के तहत प्रत्येक मंडल (कुल 18) से एक शिक्षक को पुरस्कृत किया जाएगा। इसके लिए पुरस्कारों के चयन के नियमों में संशोधन को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है।

राज्य अध्यापक पुरस्कार
अब जिले व मंडल स्तर की चयन समितियों से भेजे गए नामों का परीक्षण निदेशालय स्तर पर चयन समिति करेगी। इसके बाद राज्य चयन समिति नाम तय करेगी। अभी निदेशालय स्तर पर समिति नहीं होती थी।  समय सारणी को और अधिक व्यावहारिक बनाया गया है। पुरस्कार के लिए केंद्र या अन्य राज्यों के राजकीय, सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में नियमित रूप से की गई सेवा को भी मान्य किया गया है। हालांकि पुरस्कार का आकलन प्रदेश में किए गए शिक्षण कार्य के आधार पर ही होगा।

मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार
अब तक मंडल व राज्य स्तरीय चयन समिति अध्यापक का चयन करती थी, लेकिन अब जिले व निदेशालय स्तर पर भी चयन समिति होगी। स्ववित्त पोषित विद्यालय के एक प्रधानाचार्य को भी इसमें सदस्य बनाया जाएगा, लेकिन शर्त होगी कि वह स्वयं पुरस्कार के लिए नामित न हो। यह पुरस्कार पहले दिसंबर या मुख्यमंत्री से निर्धारित तिथि पर दिया जाता था, लेकिन अब 5 सितंबर को दिया जाएगा।

विषय व वर्गवार मूल्यांकन का निर्धारण
दोनों पुरस्कारों के लिए न्यूनतम 50 प्रतिशत अर्हक अंक निर्धारित किए गए हैं। यही नहीं अब पांच वर्षों का जो बोर्ड परीक्षाफल देखा जाएगा वह प्रत्येक वर्ष 90 प्रतिशत से कम न हो। संशोधित नियमावली में प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापक व अध्यापकों की संख्या का प्रतिनिधित्व के आधार पर विषय/वर्गवार निर्धारण किया गया है। मूल्यांकन मानक सब्जेक्टिव की बजाय ऑब्जेक्टिव कर दिए गए हैं। प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक और अध्यापक के लिए विषय व वर्गवार मूल्यांकन का निर्धारण किया गया है।

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