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दशहरा के बाद होगी मुस्लिमों में बहुविवाह और निकाह हलाला की संवैधानिक वैधता पर सुनवाई

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सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने मुस्लिम समाज में प्रचलित पुरुषों के बहुविवाह और निकाह हलाला, मुताह, मिस्यार को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू), अल्पसंख्यक आयोग को भी पार्टी बनाने का निर्देश दिया। इस मामले पर दशहरा के बाद सुनवाई होगी।

इस मामले में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर निकाह हलाला और बहुविवाह का समर्थन किया है। बोर्ड ने निकाह हलाला, बहुविवाह के खिलाफ दायर अर्जी का विरोध किया है। बोर्ड ने अपनी याचिका में कहा है कि 1997 के फैसले में ये साफ हो चुका है कि पर्सनल लॉ को मूल अधिकारों की कसौटी पर नहीं आंका जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च 2018 को इस मसले पर सरकार को नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई के लिए संविधान बेंच को रेफर कर दिया था। कोर्ट ने इस मामले में सहयोग करने के लिए अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल और विधि आयोग को निर्देश दिया था।

भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय और सायरा बानो के बाद दक्षिणी दिल्ली की महिला समीना बेगम ने बहुविवाह और निकाह-हलाला के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। अपनी याचिका में इस महिला ने बहुविवाह और निकाह-हलाला को भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध घोषित करने और मुस्लिम पर्सनल लॉ की धारा 2 को असंवैधानिक करार देने की मांग की है।

समीना बेगम ने याचिका में कहा है कि उसकी शादी 1999 में जावेद अनवर से हुई थी। उससे उसे दो बेटा पैदा हुआ था। जावेद ने उसके ऊपर काफी अत्याचार किया। जब उसने आईपीसी की धारा 498ए के तहत शिकायत दर्ज कराई तो जावेद ने उसे तलाक का पत्र भेज दिया। उसके बाद उसने 2012 में रियाजुद्दीन नामक शख्स से शादी की जिसकी पहले से ही आरिफा नामक महिला से शादी हो चुकी थी। जायुद्दीन ने भी उसे उस समय फोन पर तलाक दे दिया था जब वह गर्भवती थी।

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