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इराक में शिया धर्मगुरु ने राजनीति छोड़ी, बगदाद में हिंसा, राष्ट्रपति भवन में घुसे समर्थक; 20 की मौत, कर्फ्यू

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Iraq news Clashes kill 20 as Iraq al Sadr quits politics loyalists storm  complex - Curfew in Iraq: इराक में शिया धर्मगुरु ने राजनीति छोड़ी, राष्ट्रपति  भवन में घुसे समर्थक; हिंसा में

इराक के प्रभावशाली शिया मौलवी मुक्तदा अल-सदर की सोमवार को राजनीति से किनारा करने की घोषणा के बाद समर्थकों में गहरी नाराजगी है। बगदाद में हालात बेकाबू हो गए हैं। समर्थकों और अन्य लोगों ने राष्ट्रपति के महल और अन्य सरकारी दफ्तरों में धावा बोल दिया। सुरक्षा बलों के साथ हुए टकराव में कम से कम 20 लोगों की जान चली गई और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इस बीच देश में कर्फ्यू लगा दिया गया है।

बिगड़ी परिस्थितियों के मद्देनजर पड़ोसी देश ईरान ने इराक जाने वाली अपनी सभी उड़ानें रद कर दीं और सीमा पर सभी प्रवेश द्वार बंद कर दिए हैं। इराक के ताजा हालात पर संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने लोगों से शांति की अपील की है।

अल-सदर के गुट ने भी संसद से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे की घोषणा से उनके समर्थक भड़क गए हैं। यह लोग सरकारी संपत्ति को निशाना बना रहे हैं सेना ने बगदाद में स्थानीय समयानुसार शाम सात बजे कर्फ्यू की घोषणा की। भीड़ हिंसा पर आमादा है। लोग तोड़फोड़ कर रहे हैं।

इस बीच शिया मुस्लिम धर्मगुरु अल-सदर ने हिंसा और हथियारों का इस्तेमाल बंद होने तक भूख हड़ताल की घोषणा की है। इराक की सरकारी समाचार एजेंसी आईएनए और स्टेट टीवी ने सोमवार देररात अल-सदर की यह घोषणा प्रसारित की है। हालांकि अल- सदर के कार्यालय से तत्काल कोई पुष्टि नहीं हुई।

बिगड़े हालत के बाद कुवैती दूतावास ने इराक में अपने नागरिकों से देश छोड़ने का आग्रह किया है। प्रतिद्वंद्वी शिया समूहों के बीच झड़पों के बाद दूतावास ने इराक की यात्रा करने के इच्छुक लोगों से अपनी योजनाओं को स्थगित करने की अपील की है।

उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष अक्टूबर में हुए संसदीय चुनाव के बाद से इराक सरकार गतिरोध का सामना कर रही है। चुनाव में अल-सदर की पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें तो मिलीं, लेकिन वह बहुमत से दूर रही। सरकार बनाने के लिए उन्होंने ईरान समर्थक शिया प्रतिद्वंद्वियों के साथ समझौता करने से इन्कार कर दिया था। जुलाई में अल-सद्र के समर्थक उनके प्रतिद्वंद्वी को सरकार बनाने से रोकने के लिए संसद तक में घुस गए। इसके बाद से वे संसद भवन के बाहर धरने पर बैठे हैं।

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