भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के गढ़वाल मंडल के अध्यक्ष संजय चौधरी ने एक सितंबर को प्रदेश के जिला मुख्यालय पर महापंचायत करने का ऐलान किया है। महापंचायत में सरकार की नीतियों का विरोध किया जाएगा।
प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए चौधरी ने कहा कि किसान की फसलों के रेट नहीं बढ़ाए जा रहे हैं। किसानों को फ्री में बिजली नहीं मिल रही है। सरकार ने किसानों का बेड़ा गर्क कर दिया है।
उन्होंने सरकार से 50 लीटर डीजल, फ्री बिजली, गन्ने के रेट 500 कुंतल और पहाड़ी क्षेत्रों में चकबंदी करने की भी मांग की है। मांगें ना माने जाने पर उन्होंने 1 अक्टूबर के बाद सचिवालय का घेराव करने की भी चेतावनी दी है। सड़कों पर सीपीयू द्वारा काटी जा रही भारी भरकम रकम के चालान को उन्होंने 10,000 के एवज में 100 का करने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि यातायात एक्ट में परिवर्तन करते समय सरकार ने कहा था कि इससे एक्सीडेंट कम हो जाएंगे। जिसके बाद 10,000 के चालान काटे जा रहे हैं। उन्होंने सरकार को जुमलेबाजों की सरकार बताते हुए किसान विरोधी बताया है। भारतीय किसान यूनियन ने गन्ना मूल्य बढ़ोत्तरी, मुफ्त बिजली समेत अन्य मांगों को लेकर राजधानी घेराव की चेतावनी दी है। इसके लिए एक सितंबर को हरिद्वार, देहरादून, उधमसिंहनगर, नैनीताल और पौड़ी जिले में विरोध प्रदर्शन कर सरकार को एक माह का समय दिया जाएगा।
संजय चौधरी ने बताया कि सरकार ने सबसे पहले प्रदेश के 70 विधायकों का वेतन बढ़ाने का काम किया है। सरकार की नजर में सिर्फ 70 विधायक ही प्रदेश के सबसे ज्यादा गरीब व्यक्ति हैं। उन्होंने मांग की कि विधायकों की वेतन बढ़ोत्तरी वापस लेते हुए किसानों का कर्ज माफ किया जाए। ऊर्जा प्रदेश में बिजली मुफ्त दी जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने देश भर के किसानों से कर्ज माफी का वादा किया था, लेकिन चुनाव के बाद उद्योगपतियों के 20 लाख करोड़ रुपए माफ किए गए। जबकि किसानों का 12 लाख करोड़ का कर्ज जस का तस बना हुआ है।
भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष विजय शास्त्री ने आरोप लगाया कि किसानों के 10 हजार तक के चालान काटे जा रहे हैं। जबकि किसान 100 रुपये से अधिक चालान देने में असमर्थ हैं। आरटीओ और पुलिस किसानों का उत्पीड़न और शोषण कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अग्निवीर योजना लाकर देश की सुरक्षा को खतरे में डाला गया है और युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एक सितंबर को रुड़की तहसील में महापंचायत की जाएगी। सरकार एक महीने में भी समस्याओं का समाधान नहीं करती है कि अक्टूबर माह में देहरादून कूच करते हुए पूरी राजधानी को जाम कर दिया जाएगा।