वाराणसी में गंगा की उफनाई लहरें रविवार की शाम को श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में प्रवेश कर गईं। जलासेन पथ के रास्ते धाम में गंगा की लहरें घुसने के बाद पूरा रैंप पानी में डूब गया है। वहीं दूसरी तरफ गंगा ने अस्सी घाट को पूरी तरह से डूबो दिया है। अस्सी से नगवां वाली सड़क पर नावें चल रही हैं। गंगा का जलस्तर खतरे के निशान 71.26 मीटर से 61 सेंटीमीटर ऊपर 71.87 मीटर तक पहुंच गया है। गंगा में बढ़ाव की रफ्तार एक सेंटीमीटर प्रतिघंटा बनी हुई है। जिला प्रशासन की ओर से राहत और बचाव कार्य तेज कर दिया गया है।
वाराणसी में गंगा के जलस्तर में लगातार बढ़ाव जारी है। इसका असर अब शहर की पॉश कॉलोनियो में भी देखने को मिलने लगा है। सामनेघाट इलाके में त्राहिमाम मचा है। शहर में 19 बाढ़ राहत शिविर बनाए गए हैं। इसमें 661 परिवार के 3432 बाढ़ पीड़ितों को शरण दी गई है। राहत एवं बचाव के लिए 58 नावें लगाई गई हैं। बाढ़ से वाराणसी जनपद के कुल 20 वार्ड, 99 ग्राम सभा सहित कुल 119 ग्राम सभा एवं वार्ड के 15318 लोग प्रभावित हुए हैं। 19 राहत चौकी स्थापित की गईं हैं।
रविवार को गंगा के जलस्तर में बढ़ाव के कारण श्री काशी विश्वनाथ धाम के जलासेन पथ पर गंगा पहुंच गईं। हालांकि गंगा द्वार से गंगा के बीच में अभी 10 सीढ़ियों का फासला बाकी है। वहीं जलासेन पथ के बगल में लगी हनुमान जी की प्रतिमा के नीचे भी गंगा की लहरें पहुंचने लगी हैं।
गंगा गैलरी पर गंगा की बाढ़ का नजारा देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। नदी की धारा में बढ़ाव से पहले ही प्रमुख घाटों के पंडों और तीर्थ पुरोहितों ने अपनी चौकियों को ऊपर कर लिया है।
दशाश्वमेध सट्टी में अपनी दुकान लगाने वाले दुकानदारों की भी धड़कनें तेज हो गई हैं। घाट की सीढ़ियां चढ़ते ही कई दुकानदार अपनी दुकान खाली कर चुके हैं, तो वहीं कुछ दुकानदार अपना सामान निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में जुटे रहे। दशाश्वमेध घाट से पांडेयहवेली जाने वाली गलियों में भी बाढ़ का पानी घुस गया।
मोक्षदायिनी गंगा के तट पर मुक्ति के लिए लंबी कतार लग रही है। खतरे के निशान से ऊपर बह रही गंगा के कारण मणिकर्णिका घाट पर शवदाह में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मणिकर्णिका घाट पर गंगा गलियों में प्रवेश करने के साथ ही ऊपरी तल पर होने वाले शवदाह के प्लेटफार्म तक पहुंचे से चंद मीटर दूर है। जगह कम होने के कारण एक शव को जलाने में पांच से छह घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है। हरिश्चंद्र घाट पर भी गलियों में जगह कम पड़ने लगी है।