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बाढ़ ने अपने ही शहर में बना दिया ‘रिफ्यूजी’, मोहल्ले के मोहल्ले हो गए जलमग्न

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Prayagraj News :  खतरे के निशान के एक मीटर ऊपर बह रहीं गंगा और यमुना।
खतरे के निशान के ऊपर बह रही गंगा और यमुना ने इस बार जिले में ऐसी तबाही मचाई है कि लोगों को वर्ष 1978 एवं 2013 में आई बाढ़ याद आने लगी है। शहर के निचले एवं नदियों के आसपास वाले गांवों की स्थिति कुछ ज्यादा ही विकट है। तमाम इलाके पानी से लबालब है। ज्यादातर मकानों का एक तल पानी में डूब गया है। तमाम लोगों की नजर में पानी अब उनका दुश्मन हो चुका है। हजारों की संख्या में प्रभावित लोगों ने अपने रिश्तेदारों, परिचितों के यहां पनाह ले ली है। अपने ही शहर में सैकड़ों की संख्या बाढ़ प्रभावित लोग  ‘रिफ्यूजी’ बन शिविरों  में रह रहने के लिए मजबूर हो गए हैं।

प्रयागराज में शुक्रवार 26 अगस्त से ही गंगा और यमुना खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। रविवार तक दोनों ही नदियां खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर हो गई। इसका असर शहर के तमाम मोहल्लों में पड़ा है। शहर के जोंधवल, अशोक नगर, राजापुर, बेली, मेंहदौरी, गोविंदपुर, गंगानगर , सलोरी, छोटा बघाड़ा, म्योराबाद, गौसनगर, करेलाबाग आदि इलाकों में बाढ़ के पानी ने हजारों की संख्या में लोगों को नुकसान पहुंचाया है।

Prayagraj News :  खतरे के निशान के एक मीटर ऊपर बह रहीं गंगा और यमुना।
गंगा-यमुना के लगातार बढ़ने से भयभीत काफी लोगों ने रविवार को अपने जरूरी सामान समेट सुरक्षित ठिकानों की ओर चल दिए। कमर भर पानी में लोग सिर पर अपने जरूरी सामान लादकर सुरक्षित स्थानों की ओर देर शाम तक पलायन करते रहे। आज छोटा बघाड़ा क्षेत्र के काफी अंदर तक बाढ़ का पानी घुस गया। इसी तरह ककराहा घाट, बरगद घाट में भी यमुना का पानी काफी ऊपर चढ़ गया। सदियापुर में ससुर खदेरी नदी में पानी कुछ इस कदर बढ़ा कि लोग अपने घरों से जरूरी सामान भी नहीं समेट सके।
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Prayagraj News :  खतरे के निशान के एक मीटर ऊपर बह रहीं गंगा और यमुना।

प्रभावित इलाकों में नहीं पहुंच रही नाव
जिला प्रशासन जहां एक ओर दावा कर रहा है कि प्रभावित इलाकों से लोगों को सुरक्षित निकाला जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर इन इलाकों में बमुश्किल ही नावें पहुंच पा रही हैं। गऊ घाट की ही बात करें तो वहां प्रशासनिक मदद न मिलने से बाढ़ प्रभावित इलाके में घिरे लोग खासे निराश है। वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक आंकड़ों पर गौर करें तो शहर के दारागंज, बक्शी उपरहार, बघाड़ा, चांदपुर सलोरी, मेंहदौरी, बेली उपरहार, राजापुर देहमाफी, कसारी मसारी, करेलाबाग आदि मोहल्लों में 131 नावें लगाई गईं हैं। इसी तरह फूलपुर तहसील क्षेत्र में 81, मेजा में सात, करछना में 23, बारा में तीन, हंडिया में पांच एवं सोरांव विधानसभा में बाढ़ प्रभावित इलाकों में 19 नाव लगाई गई है।
Prayagraj News :  खतरे के निशान के एक मीटर ऊपर बह रहीं गंगा और यमुना।

2013 के आंकड़े के करीब पहुुंची गंगा-यमुना
0 जिले में 2013 में गंगा और यमुना का जलस्तर 85 मीटर के पार हुआ था। 2019 में भी गंगा और यमुना ने 85 मीटर के आंकड़े को पार किया था, लेकिन इस बार दोनों ही नदियोें का जलस्तर नौ वर्ष के बाद एक बार फिर से 86 मीटर के करीब पहुंच चुका है। रविवार की रात आठ बजे फाफामऊ में गंगा 85.83 मीटर, छतनाग में 85.05 एवं नैनी में यमुना का जलस्तर 85.83 मीटर पर रहा।
Prayagraj News :  गंगा और यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है।

फिलहाल राहत वाली बात अभी सिर्फ इतनी ही है कि रविवार की शाम छह बजे से छतनाग में गंगा का जलस्तर स्थिर हो गया। गंगा और यमुना के जलस्तर में जहां पहले पांच से छह सेंटीमीटर प्रतिघंटे की वृद्धि हो रही थी तो वहीं रात तक यह वृद्धि एक सेमी प्रतिघंटे की रही।  प्रशासन का मानना है कि दोनों नदियों के जलस्तर में अब स्थिरता आ सकती है। इसके बाद पानी का घटने का क्रम जारी हो सकता है।

 

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