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जब मीना कुमारी को दिल दे बैठे थे सावन कुमार, हर रोज खरीदते थे एक्ट्रेस के लिए फूल

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मीना कुमारी-सावन कुमार टाक

फिल्म इंडस्ट्री में दो कलाकारों के बीच प्रेम कोई नई बात नहीं है। बॉलीवुड में तमाम प्रेम कहानियां और प्यार के दिलचस्प किस्से सुनने को मिल जाएंगे। इन्हीं में एक किस्सा है, फिल्म निर्माता-निर्देशक और राइटर सावन कुमार टाक और मीना कुमारी की मोहब्बत का। मीना कुमारी वर्ष 1972 में इस दुनिया को अलविदा कह गई थीं, वहीं सावन कुमार टाक लंबी बीमारी के बाद बीते 25 अगस्त 2022 को इस दुनिया से विदा हो गए। मगर इनकी प्यार की कहानी हमेशा जिंदा रहेगी, जिसमें सिर्फ त्याग की भावना देखने को मिलेगी। कैसे शुरू हुआ था इनका प्यार और किस मोड़ तक गया, आइए जानते हैं…
सावन कुमार टाक

‘सनम बेवफा’,  ‘चांद का टुकड़ा’ और ‘सावन- द लव सीजन’ जैसी फिल्में बनाने वाले सावन कुमार टाक, मीना कुमारी के साथ अपने रिश्ते को लेकर काफी चर्चा में रहे। रिपोर्ट्स के मुताबिक सावन कुमार एक्ट्रेस मीना कुमारी के साथ अपना ‘रुहानी इश्क’ मानते थे। सावन कुमार टाक और मीना कुमारी की उम्र में अंतर था। मगर, उम्र का फासला दोनों के प्रेम को कम न कर सका। वर्ष 2015 में एक बातचीत के दौरान मीना कुमारी के साथ अपने रिश्ते को लेकर सावन कुमार ने बात की थी। इस दौरान उन्होंने बताया था कि मीना कुमारी खून की उल्टियां किया करतीं और वह तुरंत उसे अपने हाथ पर ले लेते थे। सावन कुमार टाक ने कहा था, ‘मीना जी के साथ मेरा रिश्ता एक इबादत बन गया था। शरीर से परे था। यह एक रुहानी इश्क था।’

मीना कुमारी

दोनों की पहली मुलाकात भी कम दिलचस्प नहीं। रिपोर्ट्स के मुताबिक सावन कुमार टाक और मीना कुमारी की पहली मुलाकात फिल्म ‘गोमती के किनारे’ के सेट पर हुई थी। एक बातचीत में सावन कुमार ने कहा था, ‘मेरे फिल्ममेकर दोस्त बी एन शर्मा को लगता था कि इस रोल में सिर्फ मीना कुमारी ही जचेंगी। वह बहुत बड़ी स्टार थीं, पर मैंने उन्हें हिम्मत करके फोन किया। मीना कुमारी जी की बहन ने फोन उठाया। मुझे घर बुलाया गया। मीना जी यह देख हैरान थीं कि एक बेहद कम उम्र का लड़का उन्हें कहानी सुना रहा है।’ इसके बाद मीना कुमारी ने सावन कुमार टाक की ‘गोमती के किनारे’ साइन कर ली। फिल्म ‘गोमती के किनारे’ की आधी शूटिंग ही हुई थी कि मीना कुमारी बीमार पड़ गईं। सावन कुमार की फिल्म बीच में अटक गई। फिल्म की शूटिंग 1968 में शुरू हुई थी, लेकिन यह 1972 में रिलीज हुई। भले ही फिल्म में वक्त लगा, लेकिन इस दौरान सावन कुमार को मीना कुमारी से लगाव हो गया था। एक किस्सा बताते हुए उन्होंने कहा था, ‘मीना जी एक रात मुझे अपने बेडरूम में ले गईं। उनकी इमेज एक ट्रैजिडी क्वीन की थी, पर वह खूब मजाक करती थीं। उनकी कहानियां सुनकर मैं खूब हंसा। बाद में उन्होंने अपने बिस्तर पर गुलाब की पंखुड़ियां बिछाईं और सो गईं। मैं कार्पेट पर बैठा और बेड पर सिर टिकाकर सो गया।’
मीना कुमारी

सावन कुमार ने बताया कि उस दिन के बाद से वह रोजाना मीना कुमारी के लिए फूल खरीदकर ले जाते। उन्हें फूल बहुत पसंद थे। मीना कुमारी को खुश देखकर सावन कुमार भी खूब खुश होते। पर वह यह देखकर दुखी भी थे कि वह बहुत बीमार हैं। उनकी हालत दिन-ब-दिन बिगड़ रही थी। सावन कुमार के मुताबिक, ‘वह उल्टियां करतीं तो खून निकलता था। मैं उसे अपने हाथ में ले लेता। उनका चेहरा साफ करता और फिर सुला देता।’ सावन कुमार ने एक बातचीत के दौरान कहा था, ‘मेरा मीना जी के साथ इबादत का रिश्ता था। वह मेरी दुनिया थीं। एक बार मीना जी ने मुझसे कहा था कि तुम पहले ऐसे इंसान हो, जिसमें मैंने भगवान देखा है। मैं तुम्हारे हाथ पर जो खून भरी उल्टी करती हूं, तुम उसे इकट्ठा करते हो। तुम एक बार भी जाहिर नहीं करते कि अच्छा नहीं लग रहा। आज तक मेरे साथ न तो मेरी बहनों ने और न ही किसी दोस्त या रिश्तेदार ने ऐसा किया। मेरी बेडशीट पर दाग भी लग जाता तो मैं खुद ही उस बदलती थी।’ मीना कुमारी ने भी सावन कुमार के मुश्किल वक्त में खूब मदद की थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक फिल्म ‘गोमती के किनारे’ बनाते वक्त सावन कुमार के सारे पैसे खत्म हो गए थे। मीना कुमारी ने यह देख उनके लिए अपना बंगला तक बेच दिया था।

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