गा-यमुना के रौद्र रूप से शुक्रवार को तटवर्ती इलाकों में कोहराम मच गया। दोपहर बाद गंगा-यमुना दोनों खतरे के निशान को पार कर गईं। यमुना की सहायक नदियों केन, बेतवा और चंबल में लगातार उफान से बाढ़ का दायरा और बढ़ने की आशंका है। उधर, गंगा में भी हरिद्वार, नरोरा और कानपुर बैराजों से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। इससे निचले स्तरों में बसी आवासीय कॉलोनियों में मुसीबतों की बाढ़ फैलने लगी है।
पड़ोसी राज्यों में बारिश के साथ ही नदियों के उफान पर होने का असर यहां साफ दिखने लगा है। यमुना और सहायक नदियों में जल दबाव की वजह से लगातार जलस्तर बढ़ रहा है। बाढ़ नियंत्रण कक्ष की ओर से देर शाम जारी बुलेटिन के मुताबिक गंगा चार सेमी. प्रति घंटा और यमुना पांच सेमी. प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रही हैं।
रात आठ बजे तक यमुना खतरे के निशान से 19 सेमी. ऊपर बह रही थी। इस अवधि तक नैनी में यमुना का जलस्तर 84.92 मीटर रिकार्ड किया गया। इसी तरह गंगा के जलस्तर में भी लगातार तेजी से वृद्धि हो रही है।
अभी 24 घंटे तक इसी तरह गंगा-यमुना के जलस्तर में वृद्धि होने की उम्मीद है। ऊपरी हिस्से में जल दबाव होने की वजह से बांधों से पानी छोड़ा जा रहा है। इस स्थिति का सामना अभी कुछ और दिनों तक करना पड़ सकता है। – सिद्धार्थ कुमार सिंह, अधीक्षण अभियंता, सिंचाई बाढ़ खंड।




बाढ़ का दायरा बढ़ने के साथ प्रशासन ने भी सतर्कता बढ़ा दी है। एनडीआएफ एवं एसडीआरएफ की एक-एक टीम लगाई गई है। दो कंपनी पीएसी लगाई गई है। 20 आश्रय स्थल बनाए गए हैं। इनमें से पांच आश्रय स्थल एनी बेसेंट (300 से अधिक), मेहबूब अली इंटर कॉलेज (200 से अधिक), ऋषिकुल (181), स्वामी विवेकानंद, कैंटोनमेंट मैरिज हाल (300) फुल हो गए हैं।



कोई ई-रिक्शा पर सामान लाद रहा है तो कोई मोटरसाइकिल पर ही जरूरी सामान लेकर निकल रहा है। कुछ लोग डंडे से बाढ़ के पानी की गहराई नाप रहे हैं तो बढ़ते जलस्तर को मापने के लिए दीवारों पर भी निशान लगाए गए हैं। बघाड़ा, सलोरी, राजापुर, ऊंचवागढ़ी, नेवादा समेत बाढ़ग्रस्त बस्तियाें को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाली हर गली में यह नजारा आम है। बाढ़ से सामान और परिवार को बचाने की यह जद्दोजहद बुधवार की रात से शुरू हो गई। बृहस्पतिवार को बाढ़ का दायरा बढ़ने के साथ यह कवायद और भी बढ़ गई।


परिवार के साथ राहत शिविर में पहुंचे लोग

बेली कछार में फंसे रोहित यादव का परिवार भी रिश्तेदार के यहां चला गया है। रोहित एवं उनका बेटा घर पर ही छत पर रहेंगे। एक प्राइवेट फर्म में नौकरी करने वाले रोहित के सामने ड्यूटी पर जाने की भी समस्या खड़ी हो गई है।

बाढ़ में फंसे लोगों को 2013 में आई बाढ़ का मंजर एक बार फिर डराने लगा है। अब तक सबसे अधिक 1978 में बाढ़ का विस्तार हुआ था। उस समय जलस्तर फाफामऊ में 87.960 मीटर, छतनाग में 88.030 और नैनी में 87.990 मीटर पहुंच गया था। इसके बाद 2013 में जलस्तर फाफामऊ में 86.820, छतनाग में 86.040 तथा नैनी में 86.600 मीटर पहुंच गया था। 2013 में हजारों लोग करीब एक महीने तक बेघर होे गए थे। इस वर्ष जलस्तर 84 मीटर के पार पहुंच गया है और गंगा एवं यमुना के जलस्तर में तेज बढ़ोतरी जारी है। इससे बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों को 2013 का मंजर अभी से डराने लगा है।

प्रशासनिक टीम के साथ सिविल डिफेंस के सदस्यों की भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों तथा राहत शिविरों में ड्यूटी लगाई गई है। लोगों तक राहत पहुंचाने, शिविर में सुविधा सुनिश्चित कराने समेत अनेक कार्यों में उनकी भूमिका भी तय की गई है।

बघाड़ा, सलोरी, राजापुर आदि बाढ़ प्रभावित इलाकों में हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं प्रतियोगी किराए पर रहते हैं लेकिन बाढ़ की वजह से उनके सामने भी समस्या खड़ी हो गई है। विश्वविद्यालय एवं कॉलेज खुले हैं। इसके अलावा एनडीए समेत कई प्रतियोगी परीक्षाएं भी सामने हैं। ऐसे में वे घर नहीं लौट सकते। बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं सामान लेकर दूसरी जगह जाने भी लगे हैं।

बाढ़ में फंसे लोग एक-दूसरे का सहारा भी बने हुए हैं। कछार के निचले इलाके में सैकड़ों लोगों का मकान एक तल ही बना है। उनके घरों में पानी घुस गया है और वे दूसरी जगह जाने के लिए मजबूर हैं। मुश्किल यह कि एक-दो दिनों में छत तक पानी पहुंचने का अंदेशा बन गया है। इसके अलावा झोपड़ पट्टी में भी सैकड़ों परिवार रहते हैं। ऐसे परिवारों की मदद के लिए आसपास के लोग मदद के लिए सामने आए हैं और उनके सामान ऊपरी मंजिल पर सुरक्षित रखवा दिए हैं।

राहत शिविरों में लोगों ने पूरे परिवार का नाम दर्ज करा दिया है लेकिन भोजन वितरण के समय बहुत से लोग मौजूद नहीं रहे। ऐसे लोगों को भोजन के पैकेट नहीं दिए गए। अफसरों की तरफ से ही इस तरह का आदेश दिया गया है। इससे लोगों में नाराजगी रही। ऋषिकुल में कई परिवार चौकी, चारपाई, मेज आदि लेकर भी पहुंच गए। उन्हाेंने ये सामान कमरे रखवा दिए, जिसे प्रशासन ने हटाने का निर्देश दिया। अफसरों का कहना था कि सीमित दायरे में अधिक से अधिक लोगाें को रहना है। ऐसे में मेज, चारपाई आदि रखने की छूट नहीं दी जा सकती।


प्रभारी मंत्री जयवीर सिंह, श्रम एवं सेवायोजन राज्यमंत्री मनोहर लाल ने वाईएमसीए बाढ़ राहत शिविर का निरीक्षण किया। उन्होंने राहत सामग्री भी वितरित की। मंत्री ने बिजली, पानी, सफाई आदि की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इस दौरान विधायक प्रवीण पटेल, डीएम संजय कुमार खत्री समेत अनेक अफर मौजूद रहे। डीएम ने भी बघाड़ा स्थित एनी बेसेंट स्कूल का निरीक्षण तथा आवश्यक निर्देश दिए।

