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‘उत्तर प्रदेश विकास समीक्षा’: दुनियाभर के विद्वानों ने किया मंथन, इकोनॉमी-विकास और बेरोजगारी पर हुई बात

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उत्तर प्रदेश विकास समीक्षा

यूपी में हो रहे विकास कार्यों की समीक्षा के लिए दुनियाभर से जुटे विद्वानों ने राजधानी में मंथन किया। योजना भवन के सेमिनार हॉल में आयोजित ‘उत्तर प्रदेश विकास समीक्षा’ के पहले विचार-मंथन में विद्वानों ने विचार रखे। अर्थशास्त्री और सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज, यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ, इंग्लैंड के प्रो. संतोष महरोत्रा और ब्रूकिंग इंस्टीट्यूशन, वाशिंगटन डी.सी. यूएसए की डॉ. शमिका रवि ने भी अपने विचार रखे।

नीति आयोग की नवीनतम रिपोर्ट में जिलों के प्रदर्शन पर चर्चा 
गोविंद वल्लभ पंत सोशल साइंस इंस्टीट्यूट (जीबीपीएसएसआई) के निदेशक प्रो. बद्री नारायण ने रिपोर्ट लेखन के लिए रोड मैप पर भी प्रकाश डाला। विचार-मंथन सत्र का उद्घाटन योजना, कार्यक्रम कार्यान्वयन और विज्ञान और प्रौद्योगिकी के सचिव आलोक कुमार द्वारा किया गया। अर्थशास्त्री एवं शिक्षाविद प्रो. संतोष मेहरोत्रा ने उत्तर प्रदेश में मानव विकास की स्थिति के बारे में बात की। उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य में बेरोजगारी से निपटने के लिए स्किलिंग और स्टार्टअप समाधान हैं। प्रो. प्रदीप भार्गव ने उत्तर प्रदेश के व्यापक आर्थिक आंकड़ों के बारे में बताया। प्रख्यात शिक्षाविद प्रो. अशोक पंकज ने उत्तर प्रदेश में शिक्षा, इसकी उपलब्धियों और चुनौतियों के बारे में बताया।

 

90 लाख एमएसएमई से ढाई करोड़ रोजगार उत्पन्न हुए 

समापन भाषण देते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने सरकार की कुछ प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। कहा कि पिछले कुछ वर्षो में लगभग 90 लाख एमएसएमई इकाइयों को स्थापित किया गया, जिसमें करीब 4 लाख करोड़ का निवेश किया गया। इस दौरान लगभग 2.5 करोड़ रोजगार उत्पन्न हुआ।

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