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सभी चिकित्सा पद्धति एक दूसरे की पूरकः डा. अवधेश

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कार्यक्रम के दौरान मंचासीन अतिथि

डा. लाजपतराय मेहरा न्यूरोथेरेपी रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट के तत्वावधान में आयोजित अखिल भारतीय न्यूरोथैरेपिस्ट वार्षिक अधिवेशन के दूसरे दिन सोमवार को डा. अवधेश पांडेय ने देश भर से पधारे न्यूरोथैरेपिस्ट चिकित्सकों से कहा कि मरीजों के इलाज के लिए ही चिकित्सा पद्धति का जन्म हुआ। इसलिए स्वभाव में विपरीत होने के बावजूद सभी चिकित्सा पद्धति मनुष्य को स्वास्थ्य लाभ ही प्रदान करती हैं।

सभी बीमारियों का इलाज एक ही पद्धति में संभव नहीं है। कई बीमारियों में त्वरित इलाज होता है और कई में लंबे समय तक उपचार चलता है। ऐसे में सभी चिकित्सा पद्धति एक दूसरे से जुड़कर ही कारगार साबित हो सकती है। सभी चिकित्सा पद्धति एक दूसरे की पूरक हैं।

उन्होंने कहा कि आयुर्वेद, एलोपैथ, होम्योपैथ, न्यूरोपैथ चिकित्सा पद्धति अलग हो सकती है, लेकिन सबका उपयोग मरीजों को स्वास्थ्य प्रदान के लिए किया जाता है। एलएमएनआरटी के अध्यक्ष अजय गांधी ने कहा कि वर्ष 2016 में स्थापित संस्था का उद्देश्य लोगों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना है। वर्तमान में देशभर में 1500 से ज्यादा सेंटर चल रहे हैं। जहां मरीजों का इलाज किया जा रहा है।

संस्था के महासचिव रामगोपाल परिहार ने बताया कि हरिद्वार में आयोजित सम्मेलन में 14 राज्यों, जम्मू, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश,उत्तराखंड से 220 डेलीगेट्स पहुंचे हैं। कोषाध्यक्ष सुमित महाजन ने बताया कि उद्घाटन सत्र के दूसरे सत्र में डॉ सुनील जोशी ने मर्म चिकित्सा के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि नसों से संबंधित बीमारी में मर्म चिकित्सा पद्धति कारगार है। इस मौके पर संरक्षक जयदेव, कार्यकारिणी सदस्य विरेन्द्र प्रसाद, विक्रम, अजय कुशवाहा, नागलक्ष्मी व उत्तराखंड के देव आहूजा, रूखसार, बलराम, आरती, रंजना, आंचल, ऋषिकेश, पारुल, संगीता, नसीन परवीन, देहरादून, मोहिनी हरिद्वार अन्य शामिल रहे।

आशा खबर / शिखा यादव 

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