राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कहा कि भारत की पारंपरिक ग्रामीण जीवन शैली जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने में विश्व समुदाय का मार्गदर्शन कर सकती है। उन्होंने कहा कि हम पर्यावरण की रक्षा करके और प्रकृति के साथ करुणामय व्यवहार करके पृथ्वी को बचा सकते हैं।
राष्ट्रपति कोविन्द शनिवार को श्री स्वामीनारायण मंदिर, कुंडलधाम द्वारा आयोजित एक युवा शिविर को पूर्व-रिकॉर्डेड वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित कर रहे थे। राष्ट्रपति ने वर्चुअल संबोधन में कहा कि युवा समाज के उत्थान और राष्ट्र की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके जीवन को सुगम और व्यसन मुक्त बनाने के लिए उचित मार्गदर्शन देने की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी में भारतीय संस्कृति के जीवन-मूल्यों को स्थापित करने के पवित्र उद्देश्य से आयोजित युवा शिविर को संबोधित करते हुए उन्हें खुशी हो रही है।
राष्ट्रपति ने कहा कि मंदिर और आश्रम जहां हमारी आस्था और जीवन-निर्माण के केंद्र हैं, वहीं वे गरीबों की मदद और मरीजों की पीड़ा को कम करके राष्ट्र की सेवा के केंद्र भी हैं। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि कुंडलधाम श्री स्वामीनारायण मंदिर ने प्राकृतिक आपदाओं में जरूरतमंदों को सहायता प्रदान करके, गरीबों को मुफ्त भोजन और दवाएं प्रदान करके और महामारी के समय मंदिर को एक कोविड-19 अस्पताल में बदलकर राष्ट्र की सेवा का एक आदर्श उदाहरण स्थापित किया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की पारंपरिक ग्रामीण जीवन शैली जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने में विश्व समुदाय का मार्गदर्शन कर सकती है। हम पर्यावरण की रक्षा करके और प्रकृति के साथ करुणामय व्यवहार करके पृथ्वी को बचा सकते हैं। हम अपनी नदियों, तालाबों, पेड़ों और सभी जीवित प्राणियों की रक्षा करके मानव जाति को बचा सकते हैं। उन्होंने कुंडलधाम श्री स्वामीनारायण मंदिर की पर्यावरण की रक्षा के लिए विभिन्न पहल करने के लिए सराहना की, जिसमें गीर नस्ल की गायों की देखभाल, उतावली नदी का संरक्षण, वृक्षारोपण, जैविक खेती और मंदिर परिसर में आयुर्वेदिक और हर्बल औषधीय पौधों की खेती शामिल है।