घर-घर पहुंच मरीजों के सर्वे में जुटा स्वास्थ्य महकमा
बुंदेलखंड के मिनी चम्बल के रूप में कुख्यात चित्रकूट का पाठा क्षेत्र (मानिकपुर) के चुल्ही गांव में पिछले कई दिनों से डायरिया का कहर जारी है। इस घातक संक्रामक बीमारी के कहर से चुल्ही गांव में दो सगी बहनों की मौत से हडकंच मच गया जबकि एक अन्य मरीज की हालत गंभीर है। उधर, जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने डायरिया के प्रसार की रोकथाम के लिए गांव पहुंचकर मरीजों का घर-घर सर्वे कर रहे हैं।
जिले के मानिकपुर थाना क्षेत्र के चुल्ही गांव में प्रदूषित पानी-पीने से ग्रामीण डायरिया के शिकार हो रहे हैं। गांव में 24 से अधिक लोग इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। इनमें राजकिशोर की राधिका (08) निर्मला (03) और एक वर्षीय शीतल तीन बेटियां हैं। शुक्रवार रात राधिका की तबीयत खराब हो गई। बुखार, उल्टी व दस्त की शिकायत पर पिता ने उसको सीएचसी मानिकपुर में भर्ती कराया। जहां से जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। अभी वह ठीक भी नहीं हो पाई थी कि शनिवार देर शाम निर्मला की भी तबीयत बिगड़ गई। परिजन उसको लेकर अस्पताल जाते, उसके पहले ही उसकी हालत गंभीर हो गई। रात में ही तीसरी बेटी शीतल को भी उल्टी दस्त होने लगे। उसकी रविवार की सुबह करीब छह बजे मौत हो गई। शाम को प्रशासन को दो सगी बहनों के मौत की जानकारी हुई तो खलबली मच गई। गांव में अब तक डायरिया से आधा दर्जन लोगों को मौत हो गई।
घटना के संज्ञान में आने के बाद डीएम अभिषेक आनंद के निर्देश पर मानिकपुर एसडीएम प्रमेश श्रीवास्तव स्वास्थ्य टीम के साथ चुल्ही गांव पहुंचे। उन्होंने बताया कि घटना बहुत दुखद है लेकिन गांव में ग्रामीणों से पूछताछ में पता चला कि इस परिवार के अलावा किसी दूसरे घर में कोई भी मरीज नहीं है। ग्राम प्रधान एवं बीडीओ को साफ-सफाई के निर्देश दे दिए गए हैं। आंगनबाड़ी और आशा को डोर टू डोर सर्वे के लिए लगाया गया है।
आशा खबर / शिखा यादव