बात उन दिनों की है जब अभिषेक बच्चन हिंदी सिनेमा में अपनी पहचान बनाने के लिए खूब मेहनत कर रहे थे। ऋतिक रोशन और करीना कपूर के साथ उनकी फिल्म ‘मैं प्रेम की दीवानी हूं’ की हर तरफ चर्चे थे और शूटिंग हो रही थी फिल्म के गाने, ‘बनी रे बनी मैं प्रेम दीवानी’ की। शूटिंग के दौरान अभिषेक बच्चन की नजर एकाएक अपने पीछे बैठी एक युवती पर गई तो वह काफी प्रभावित हुए और बोले, ‘आपको तो हीरोइन होना चाहिए।’ अभिषेक बच्चन की कही ये बात दिल से लगा बैठी ये युवती थीं चार्मी कौर। चार्मी ने न सिर्फ दक्षिण की तमाम हिट फिल्मों मे काम किया बल्कि अभिषेक के पिता अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म ‘बुड्ढा होगा तेरा बाप’ में काम भी किया और अब अगले हफ्ते रिलीज होने जा रही फिल्म ‘लाइगर’ की निर्माता के रूप में भी जमाना उनको जानता है।
पहली कमाई दो सौ रुपये
‘अमर उजाला’ से एक खास मुलाकात में चार्मी कौर बताती हैं कि कैसे उन्होंने अपने करियर की शुरुआत फिल्मों में जूनियर आर्टिस्ट के तौर पर की। फिल्म ‘मैं प्रेम की दीवानी हूं’ के गाने की शूटिंग के दौरान अभिषेक बच्चन के पीछे बैठने के उन्हें दो सौ रुपये मिले थे और अब उनकी 200 करोड़ की फिल्म ‘लाइगर’ रिलीज के लिए तैयार है। चार्मी के जीवन में एक ऐसा भी दौर आया जब उनके घरवालों के पास स्कूल की उनकी फीस भरने के पैसे तक नहीं होते।
स्कूल की फीस भरने को नहीं थे पैसे
चार्मी कौर का जन्म मुंबई से सटे वसई में 17 मई 1987 को हुआ। उनके पिता दीप सिंह भूपत का गोरेगांव पूर्व में नट बोल्ट का कारखाना था। अचानक उनको लकवा मार गया तो कारखाना बंद करना पड़ा। चार्मी कौर बताती हैं, ‘पिताजी की बीमारी की वजह से फैक्ट्री बंद हुई तो हम लोग बहुत परेशानी में आ गए। स्कूल में फीस भरने तक के पैसे नहीं होते थे। कई बार तो मेरे पड़ोस के शेट्टी अंकल ने ही मेरे स्कूल का फीस भरी। पिताजी वास्तुशास्त्र के जानकार थे तो उसी के चलते घर का खर्च किसी तरह निकल आता था। मैं 13 साल की थी तब और मुझे लगने लगा था कि मुझे भी कुछ काम करना चाहिए।’
और, ऐसे मिला पहला ब्रेक
कहते हैं कि सच्चे दिल से की गई प्रार्थना कभी बेकार नहीं जाती। चार्मी कौर के साथ भी ऐसा ही हुआ। वह बताती हैं, ‘एक दिन मैं गुरुद्वारे से अपने भाई कुलदीप सिंह के साथ घर आ रही थी तो रास्ते में एक कास्टिंग डायरेक्टर मिल गए। मुझे देखते ही बोले कहा कि तुम बहुत खूबसूरत हो, फिल्मों में काम करेगी? उनकी बात सुनकर मेरे भाई को गुस्सा आ गया। इस पर कास्टिंग डायरेक्टर ने बताया कि ऋतिक रोशन और करीना कपूर की एक फिल्म है। मैं गुरुद्वारे से यही प्रार्थना करके निकली थी कि वे इस संकट से मुझे निकालें और यूं लगा कि मेरी प्रार्थना सुन ली गई थी।’
घर वाले एक्टिंग के खिलाफ थे
ऋतिक रोशन और करीना कपूर की चार्मी कौर बहुत बडी प्रशंसक रही है। जब उन्होंने अपने मम्मी पापा को बताया कि उन्हें ऋतिक रोशन और करीना कपूर की फिल्म में काम करने का मौका मिला है। तो वे फिल्मों में काम करने को लेकर राजी नहीं थे। चार्मी कहती हैं, ‘मैंने रात भर रो रोकर मम्मी को समझाया कि एक बार मुझे काम करने दो। इसी बहाने मैं ऋतिक रोशन, करीना कपूर और अभिषेक बच्चन से मिल लूंगी। किसी तरह से मम्मी तैयार हुई और सिर्फ एक बार काम करने की अनुमति मिली। लेकिन जब यहां से शुरुआत हुई तो बस हो गई।’
अभिषेक बच्चन ने दी प्रेरणा
चार्मी कौर बताती हैं, ‘मैं महबूब स्टूडियो में ‘मैं प्रेम की दीवानी हूं’ की शूटिंग के लिए गई। जहां पर ‘बनी रे बनी प्रेम की दीवानी’ गाने की शूटिंग चल रही थी। मैं अभिषेक बच्चन के ठीक पीछे बैठी थे। उनका मेकअप मैन उनका मेकअप ठीक करने आया तो उन्होंने शीशे में मेरी झलक देखी और पीछे घूमकर बोले, आपको हीरोइन बनना चाहिए। उनकी बात सुनकर मेरी आंखों में एक चमक आ गई और दिमाग में आवाज आई कि ये क्या बोल दिया। घर आकर मैंने मम्मी पापा को अभिषेक बच्चन की बात बताई। इसके बाद मेरी चाची ने मुझे फोटो शूट के लिए पैसे दिए और मैं भी इसके बाद फिल्मों में लीड रोल के लिए ही ऑडिशन देने लगी।’
ऐसे मिला साउथ की फिल्मों में काम
‘मैं प्रेम की दीवानी हूं’ के बाद चार्मी कौर छोटे मोटे रोल कर रही थीं और तभी मुंबई में उनकी मुलाकात साउथ के निर्देशक भीम नेनी श्रीनिवास राव से साल 2002 में हुई जो अपनी तेलुगू फिल्म ‘नी थोडू कवाली’ के लिए हीरोइन तलाश रहे थे। चार्मी बताती है, ‘इस फिल्म के बाद साउथ में मेरी पांच छह फिल्में फ्लॉप रहीं। तब मुझे हिट फ्लॉप के बारे में कुछ पता ही नहीं था। पापा साथ रहते थे, वही सब कुछ फाइनल करते थे, उस समय तो मेरा बैंक अकाउंट भी नहीं था। साल 2004 में मेरी फिल्म ‘श्री अंजनेयम’ हिट हुई तो हिट फिल्मों का सिलसिला शुरू हो गया और अब तक तो मैं साउथ के सभी बड़े स्टार्स के साथ काम कर चुकी हूं।’
15 साल एक्टिंग और फिर बन गई निर्माता
निर्माता बनने के सवाल पर चार्मी कौर कहती हैं, ‘बिजनेस मेरे खून में है। मेरे पापा मुझे बिजनेस पर आधारित किताबें पढ़ने को देते रहते थे। मैंने बतौर अभिनेत्री 15 साल काम किया। अभिनेत्री के तौर पर मेरी आखिरी फिल्म ‘ज्योति लक्ष्मी’ है। इस फिल्म का निर्माण भी मैंने निर्देशक पुरी जगन्नाथ के साथ मिलकर किया। हमने साल 2015 में ‘पुरी कनेक्ट्स’ के नाम से प्रोडक्शन हाउस की शुरुआत की, इस कंपनी की मैं फाउंडर मेंबर हूं। ‘ज्योति लक्ष्मी’ के बाद हमने पांच छह फिल्मों का और निर्माण किया। ‘लाइगर’ बतौर निर्माता हामारी पहली अखिल भारतीय फिल्म है।’
इसलिए हिंदी फिल्मों में नहीं किया काम
साउथ की तकरीबन सारी भाषाओं में 60 के आस पास फिल्में कर चुकी चार्मी कौर हिंदी में ‘बुड्ढा होगा तेरा बाप’ और ‘जिला गाजियाबाद’ में भी काम कर चुकी है। वह कहती है, ‘हिंदी में मैंने ज्यादा फिल्में इसलिए नहीं कीं क्योंकि यहां फिल्में बनने में समय बहुत लगता है। इतने समय में तो साउथ में मैं चार फिल्में कर लेती थी। चूंकि मैं साउथ की फिल्मों में काफी व्यस्त थी तो कभी हिंदी फिल्मों में काम करने का ख्याल भी नहीं आया।’