शबनम विरमानी ने हाथ में पांच तारों वाला तंबूरा लेकर जब कबीर के विचारों वाले लोक गीत को सुरों के मोतियों में पिरोया तो हर कोई झूमने लगा। शब्दों का सटीक उच्चारण और एक अलहदा आवाज आपके दिलों को अंदर तक भेद देती हैं। वो अपने भजन की शुरुआत कबीर के दोहों से करती हैं और उसका अर्थ समझाते हुए कहती हैं कि कबीर ने चार राम की व्याख्या की है। दुनिया केवल दशरथ के बेटे राम तक उलझ कर रह जाती है। जबकि राम तो घट घट में विराजमान है। राम परंपरा है राम जीने का तरीका है।
शबनम ने अपने भजनों के साथ साथ यहां पर कबीर के उपदेशों पर भी प्रकाश डाला। इस संवाददाता से बात करते हुए कबीर की विरासत को आगे बढ़ाने वाली शबनम विरमानी ने कहा 15 वीं शताब्दी के संत कबीर ने हिन्दू, मुसलमान, सिख, दलित सभी को प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि ईश्वर न कैलाश में हैं, ना काबा में, वो तेरे पास है, वो घट-घट में विराजमान है। कबीर की संपत्ति उनके दोहे उनके विचार और उनकी वाणी है। जिसे कभी किसी किताब में नहीं उतारा गया। कबीर के विचारों को लोगों ने गाकर, किस्सागोई करके वर्षों तक जीवित रखा।