Search
Close this search box.

राम परंपरा है राम जीने का तरीका है-शबनम वीरमानी

Share:

राम परंपरा है राम जीने का तरीका है-शबनम वीरमानी

 

राम परंपरा है राम जीने का तरीका है-शबनम वीरमानी

 

राम परंपरा है राम जीने का तरीका है-शबनम वीरमानी

 

राम परंपरा है राम जीने का तरीका है-शबनम वीरमानी

 

राम परंपरा है राम जीने का तरीका है-शबनम वीरमानी

 

राम परंपरा है राम जीने का तरीका है-शबनम वीरमानी
 कबीर की विरासत को आगे बढ़ाने को देश व दुनियां में पहुंचाने के लिए कबीर यात्रा के अंतर्गत अपने सुरीले संगीत से कार्यक्रम करने वाली शबनम वीरमानी की कबीर यात्रा का कार्यक्रम भीलवाड़ा के अग्रवाल उत्सव भवन में आयोजित किया गया। नारायणलाल लढ़ा की अगुवाई में गौसवा परिवार की ओर से आयोजित इस कबीर यात्रा में शहर व ग्रामीण क्षेत्र से हजारों की तादाद में लोगों ने पहुंच कर कबीर के भजनों का आनंद लिया। मंच पर शबनम वीरमानी व उनकी टीम का स्वागत किया। करीब ढाई घंटे तक खचाखच भरा पांडाल कबीर यात्रा का आनंद लेता रहा। केजी कदम ने शबनम को स्केच भी भेंट किया।

शबनम विरमानी ने हाथ में पांच तारों वाला तंबूरा लेकर जब कबीर के विचारों वाले लोक गीत को सुरों के मोतियों में पिरोया तो हर कोई झूमने लगा। शब्दों का सटीक उच्चारण और एक अलहदा आवाज आपके दिलों को अंदर तक भेद देती हैं। वो अपने भजन की शुरुआत कबीर के दोहों से करती हैं और उसका अर्थ समझाते हुए कहती हैं कि कबीर ने चार राम की व्याख्या की है। दुनिया केवल दशरथ के बेटे राम तक उलझ कर रह जाती है। जबकि राम तो घट घट में विराजमान है। राम परंपरा है राम जीने का तरीका है।

शबनम ने अपने भजनों के साथ साथ यहां पर कबीर के उपदेशों पर भी प्रकाश डाला। इस संवाददाता से बात करते हुए कबीर की विरासत को आगे बढ़ाने वाली शबनम विरमानी ने कहा 15 वीं शताब्दी के संत कबीर ने हिन्दू, मुसलमान, सिख, दलित सभी को प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि ईश्वर न कैलाश में हैं, ना काबा में, वो तेरे पास है, वो घट-घट में विराजमान है। कबीर की संपत्ति उनके दोहे उनके विचार और उनकी वाणी है। जिसे कभी किसी किताब में नहीं उतारा गया। कबीर के विचारों को लोगों ने गाकर, किस्सागोई करके वर्षों तक जीवित रखा।

Leave a Comment

voting poll

What does "money" mean to you?
  • Add your answer

latest news