भगवान कृष्ण के स्वागत को धर्मनगरी में उल्लास का माहौल है। मंदिरों को भव्य रूप से सजाया गया है। इसके साथ ही जन्माष्टमी पर्व पर होने वाले कार्यक्रमों की तैयारियों भी पूरी हो चुकी हैं। अष्टमी पर व्रत धारण कर जहां लोग पूजा करेंगे, वहीं मंदिरों में मध्य रात्रि में जन्मोत्सव मनाने के लिए कलाकारों द्वारा कीर्तन, भजन की प्रस्तुति भी होंगी। हरिद्वार में इस बार जन्माष्टमी को लेकर लोग असमंजस में हैं, ऐसे में कुछ जगह आज तो कई जगहों पर कल जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। आज अष्टमी तिथि रात नौ बजकर 20 मिनट से शुरू हो जाएगी जो शुक्रवार रात 10 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। दो साल कोरोना काल में सूक्ष्म आयोजन के बाद इस बार छोटे, बड़े, बुजुर्ग जन्माष्टमी को उल्लास के साथ मनाने को उत्साहित हैं। इसके लिए मंदिरों को सजाया गया है। कान्हा के जन्मोत्सव पर होने वाले मटका तोड़, नृत्य, भजन आदि विभिन्न कार्यक्रम में सभी श्रद्धालु शामिल हों और आनंद उठाएं इसके लिए धर्मनगरी के मंदिरों को विशेष रूप से सजाया गया है। मंदिरों की सजावट देखते ही बनती है।
जन्माष्टमी को लेकर बाजार में खरीदारों की भीड़ उमड़ी रही है। लड्डू गोपाल की पोशाक, बच्चों के लिए कान्हा की ड्रेस, मुकुट, बांसुरी, पालना, मिट्टी और तांबे की मूर्तियों के अलावा मिष्ठान में मक्खन मिश्री की अधिक मांग रही। बीते दो सालों के बाद इस बार उमड़ी भीड़ के चलते दुकानदारों के चेहरे खिले रहे। हरिद्वार के मंदिरों और अखाड़े-आश्रमों में जन्माष्टमी की मौके पर झांकियां सजाई जाती हैं। कृष्ण जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाए जाने की तैयारियां की जा रही हैं।
आशा खबर /रेशमा सिंह पटेल