दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने होटल और रेस्टोरेंट को खाने का सर्विस चार्ज वसूलने पर रोक लगाने के सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए रेस्टोरेंट मालिकों से पूछा है कि वे अपने खाने का रेट बढ़ा सकते हैं, अलग से सर्विस चार्ज क्यों ले रहे हैं। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने 18 अगस्त को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि सर्विस चार्ज के बारे में लोग समझते हैं कि ये सरकार की ओर से वसूला जाने चार्ज है। इस पर रेस्टोरेंट मालिकों की ओर से कहा गया कि ऐसा कोई नहीं समझता कि ये सरकार की ओर से वसूला जाने वाला चार्ज है।
याचिका सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (सीसीपीए) ने दायर की है। याचिका में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें सिंगल बेंच ने 20 जुलाई को सीसीपीए के उस आदेश पर रोक लगा दिया था जिसमें होटलों और रेस्टोरेंट को खाने का सर्विस चार्ज वसूलने पर रोक लगाई गई थी। जस्टिस यशवंत वर्मा की सिंगल बेंच ने ये आदेश जारी किया था। सिंगल बेंच के समक्ष याचिका द नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई) ने दायर किया था।
एनआरएआई की याचिका में कहा गया था कि 4 जुलाई को सीसीपीए ने आदेश जारी कर होटल और रेस्टोरेंट के सर्विस चार्ज वसूलने पर रोक लगा दी। याचिका में इस आदेश को निरस्त करने की मांग की गई थी। सुनवाई के दौरान एनआरएआई की ओर से कहा गया था तीन तरह के रेस्टोरेंट हैं। पहला वे जो सर्विस चार्ज नहीं वसूलते हैं। दूसरे, जो बिना ग्राहक की सहमति के सर्विस चार्ज वसूलते हैं। तीसरे वे जो सर्विस चार्ज को मेन्यू में प्रदर्शित करते हैं।
याचिका में कहा गया था कि सर्विस चार्ज स्टाफ के लिए होता है। उन्होंने कहा था कि हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में सर्विस चार्ज वसूलने की परंपरा पिछले 80 साल से चली आ रही है।
आशा खबर/ रेशमा सिंह पटेल