। भारतीय स्वतंत्रता के 75वें वर्षगांठ पर सोमवार को अमृत महोत्सव में संस्कार भारती काशी ने प्रात:काल काशी हिन्दू विश्वविद्यालय संगीत एवं मंच कला संकाय के सभागार में वंदे मातरम गौरव गान का आयोजन किया।
अनूठी पहल के तहत देश भर में आयोजित इस कार्यक्रम के लिए प्रथम स्वतंत्रता दिवस पर तब महामना पं. मदन मोहन मालवीय एवं सरदार वल्लभ भाई पटेल ने पं. ओंकारनाथ ठाकुर से वन्देमातरम गायन का आग्रह किया था। तब ओंकारनाथ ठाकुर ने शर्त रखा था कि वे सम्पूर्ण वन्देमातरम गायन करेंगे। इसकी स्वीकृति के पश्चात उन्होंने आकाशवाणी पर प्रातः 06.30 बजे सम्पूर्ण वन्देमातरम गायन की ऐतिहासिक प्रस्तुति दी थी। इसी के तहत वंदे मातरम का गान पूरे भारतवर्ष में एक साथ आयोजित किया गया।
यहां कार्यक्रम के प्रारम्भ में विषय प्रस्तावना डॉ. सौरव श्रीवास्तव ने रखा। इसके बाद डॉ ज्ञानेश चंद्र पांडेय ने सम्पूर्ण वंदे मातरम का गान किया। जो पंडित ओमकारनाथ ठाकुर द्वारा गाए हुए वंदे मातरम का प्रतिबिंब था। इसके पश्चात डॉ शोभित कुमार नाहर ने पंडित ओमकारनाथ ठाकुर के जीवन के बारे में बता प्रतिवर्ष वंदे मातरम कार्यक्रम स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर करवाने के लिए संकल्प दिलाया। संस्कार भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री अभिजीत गोखले ने इस दौरान स्वतंत्रता दिवस तथा विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के विषय में सभी को बताया। कार्यक्रम में 40 चित्रों की एक प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। जिसका आधार स्वतंत्रता संग्राम में शामिल गुमनाम नायकों को बनाया गया था।