पूर्वांचल क्षेत्र में इस ग्रीष्मकाल में वातावरण का तापमान लगातार 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक का बना हुआ है। ऐसे में सभी जीव एवं पादप जल के लिए संघर्ष कर रहे हैं। बीएसयू के राजीव गांधी दक्षिणी परिसर में जल संरक्षण में अभूतपूर्ण तरक्की की है। साथ ही में जल प्रबंधन पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
आचार्य प्रभारी प्रो. विनोद कुमार मिश्र के नेतृत्व में पौधों के संरक्षण का विशेष अभियान प्रारम्भ किया है। मूलत: मई एवं जून महीने में पौधों का विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जिसमें पौधों को उपयुक्त इष्टतम जल देकर संरक्षित किया जा रहा है। विगत वर्षों में बीएचयू के दक्षिणी परिसर में लगभग 10 हजार पौधों का सघन पौधरोपण किया गया है। इन पौधों को इस प्रतीकूल परिस्थिती में बचाये रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य एवं बहुउपयोगी उद्देश्य है। विन्ध्य क्षेत्र में मीरजापुर के इस निकटवर्ती भू-भाग में जलस्तर की भारी कमी रहती है। ग्रीष्म ऋतु में यहां जल की समस्या और विकराल हो जाती है। ऐसी परिस्थिती में पौधों का संरक्षण एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। इस समस्या से निपटने के लिए आचार्य प्रभारी श्रीमिश्र ने एक योजना का सुझाव दिया एवं इसे निकटवर्ती स्थानीय लोगों में साझा किया।
भीषण गर्मी से पौधों को ऐसे बचाएं
इस योजना के तहत हर घर में इस्तेमाल की जाने वाली एक लीटर की अनुपयुक्त बोतल में सूक्ष्म छीद्र बनाकर उसमें जल भर के पौंधों के समीप जमीन में खोदकर दबाकर रखना है। इससे की पौधे की जड़ को एक से दो दिन तक जल की प्राप्ती होती रहेगी, जिससे इस भीषण गर्मी से पौधों को बचाया जा सकता है।
16 हजार पौधों को रोपित करने का लक्ष्य
दक्षिणी परिसर में इस आगामी मानसून सत्र के लिए 16 हजार पौधों को रोपित करने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही स्थानीय वातावरण के लिए उपयुक्त माने जाने वाली नीम, सागौन एवं बास के पौधों को रोपित करने का ध्येय बनाया है। आने वाले समय में परिसर स्थित ग्रीन हाऊस का नवीनीकरण एवं रबी की खेती में अलसी को वरियता दी जायेगी।