समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान की रिहाई शुक्रवार को सुबह हो गयी, लेकिन जेल से छुटते ही सपा की अंदरूनी कलह की सुगबुगहाट भी तेज हो गयी है।
उनके जेल से रिहाई के समय समाजवादी पार्टी के किसी प्रमुख नेता का न पहुंचना और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के अध्यक्ष व सपा विधायक शिवपाल व उनके लोगों द्वारा आजम खान के साथ जेल से रामपुर तक जाना बहुत कुछ संकेत दे रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो आजम खान बाहर निकलते ही सपा में शिवपाल के साथ अपने समर्थकों को टटोलना शुरू करेंगे और फूट डालने की कोशिश तेज हो जाएगी।
सपा के साथ आजम खान की नाराजगी पहले ही जगजाहिर हो चुकी है। उनके समर्थन में कई सपा के नेता खुल्लम-खुल्ला अखिलेश यादव पर उनकी अनदेखी का आरोप लगा चुके हैं। जेल में रहने के कारण वे सपा द्वारा की जा रही अनदेखी के खिलाफ खुलकर नहीं बोल पा रहे थे। अब बाहर आते ही उनकी और शिवपाल यादव की जोड़ी पार्टी के अंदर सक्रिय हो जाएगी। हालांकि उनकी रिहाई पर अखिलेश यादव ने भी ट्वीट के माध्यम से खुशी जाहिर कर उनको खुश करने की कोशिश की है लेकिन बहुत कम संभावना है कि आजम की अखिलेश के साथ चली आ रही नाराजगी दूर होगी।
इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषक राजीव रंजन सिंह भाजपा का भी हाथ बता रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसा लगता है कि आजम खान की रिहाई वर्तमान में भाजपा भी चाहती थी, जिससे सपा और आजम की बीच की दुरियां बढ़ाने में शिवपाल कामयाब हो जाएं। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में संभव है कि दोनों दिग्गज मिलकर सपा में दो फाड़ कर दें।
वहीं वरिष्ठ पत्रकार विजय पांडेय का कहना है कि आजम खान और शिवपाल की नजदीकियां बहुत पहले से रही हैं। आजम खान सपा में घुटन भी महसूस कर रहे हैं। यह सब जानते हैं लेकिन उनके लिए उसका विकल्प तलाशना मुश्किल हो रहा है। यदि आजम खान सपा से अलग हो जाते हैं तो सपा के लिए आने वाले समय में एमवाई फैक्टर बनाना बड़ा मुश्किल हो जाएगा।
गौरतलब है कि सवा दो सालों से जेल की सलाखों के पीछे रहे सपा नेता आजम खान रिहा हो गये। उनकी रिहाई लेने प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव और महासिचव अभिषेक सिंह आशु पहुंचे थे। जेल से निकलने के बाद उन्होंने खुली हवा में सांस ली। अब पूरे लाव लश्कर के साथ रामपुर अपने घर को रवाना हो गये हैं।