गाजीपुर ही नहीं समूचा देश इस समय आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। देशभर में तमाम कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। हर घर पर तिरंगा फहराने की मुहिम…
गाजीपुर ही नहीं समूचा देश इस समय आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। देशभर में तमाम कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। हर घर पर तिरंगा फहराने की मुहिम को अंजाम तक पहुंचाने में शासन-प्रशासन जुटा है। ‘हिन्दुस्तान ने गाजीपुर के शहीद स्मारकों की पड़ताल की। यह जानने का प्रयास किया कि हर घर तिरंगा के उत्साह में कहीं शहीदों के स्थल उपेक्षित तो नहीं हैं। कुछ स्थलों की स्थिति ठीक मिली तो कहीं हालात चिंताजनक दिखे। कई राष्ट्रीय स्मारकों की अनदेखी सामने आयी। स्मारक व उसके आसपास सफाई का अभाव है। कुछ स्मारकों को बेहतर बनाने की दिशा में पिछले कुछ दिनों में कई काम भी हुए हैं।
मुहम्मदाबाद शहीद भवन : प्रमुख अवसरों पर होती है साफ सफाई होती
मुहम्मदाबाद। अंग्रेजों की गुलामी से देश को आजाद कराने में मुहम्मदाबाद तहसील क्षेत्र के शेरपुर गांव के वीर क्रांतिकारियों की भूमिका एवं योगदान बहुत ही बड़ा है। क्रांति में शेरपुर गांव के डॉक्टर शिवपूजन राय के नेतृत्व में आठ लोगों ने मुहम्मदाबाद तहसील पर लगा यूनियन जैक का झंडा उतारकर तिरंगा झंडा फहराया था। सीने पर गोलियां खाकर तिरंगे को तहसील की प्राचीर पर बुलंद किया। आजादी के दीवानों के कुर्बानियों का साक्षी मुहम्मदाबाद स्थित शहीद भवन एवं पार्क उपेक्षा का शिकार है। केवल प्रमुख अवसरों पर साफ सफाई होती है, शेष परिसर की अधिकारी सुध तक नहीं लेते। शहीद भवन में चार कमरे और एक बड़ा बरामदा है। एक कमरे में आजादी से जुड़े कुछ तस्वीर लगे हैं। शहीद भवन के सुंदरीकरण एवं मरम्मत के नाम पर किसी भी सरकारों ने अब तक ध्यान नहीं दिया। दीवारें और छत कमजोर होने लगी हैं।
सादात : मजार बनाकर नहीं कराया सुंदरीकरण
सादात। आजादी की लड़ाई में सादात क्षेत्र के वीर सपूतों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही। स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में यह घटना आज भी सादात कांड के नाम से जानी जाती है। क्रांतिकारियों के हाथों मारे जाने वाले पुलिसकर्मियों की मजारें तो सादात थाना के गेट पर बन गई हैं, लेकिन शहीद होने वाले क्रांतिकारी को आज भी कोई खास पहचान नहीं मिल पाई। पुलिस विभाग द्वारा मजार के पास बकायदा सुंदरीकरण करवाकर टीनशेड भी लगवा दिया गया है, लेकिन शहीद अलगू यादव की न तो कहीं प्रतिमा बनी है और न ही उनके स्मृति में कुछ हुआ। हां इतना जरूर हुआ कि सादात के मिडिल स्कूल प्रांगण में स्वतंत्रता के वीर सपूतों का एक शिलालेख बना है। वह भी देखरेख के अभाव में जीर्ण शीर्ण पड़ा है। क्षेत्रीयजनों ने तमाम बार शासन प्रशासन का इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया, फिर भी कोई सुधि लेने वाला नहीं है।
नंदगंज शहीद स्मारक : 100 लोगों की शहदात को सहेज रखा है कालेज ने
नंदगंज। आजादी की लड़ाई और शहीदों की कुर्बानियों को नंदगंज में शहीद स्मारक इंटर कालेज ने सहेज रखा है। प्रमुख क्रांतिकारियों के अलावा अन्य शहीदों का भी शिलापट लगा है। प्रमुख क्रांतिकारी भोलानाथ ¨सह, जाने-माने क्षेत्रीय पहलवान रामधारी ¨सह यादव, डोमा लोहार और हर प्रसाद सिंह के नेतृत्व में आजादी का नारा बुलंद हुआ। नंदगंज के वीर क्रांतिकारियों ने थाने पर कब्जा जमा लिया जिसके बाद पुलिस की गोलियों से 100 से अधिक वीर शहीद हो गए थे। आजादी के बाद इन शहीदों की याद में शहीद स्मारक इंटर कालेज की स्थापना हुई, जो आज भी शहीदों के गौरव को बनाए हुए है। यहां शहादत दिवस पर आयोजन होते हैं।
शेरपुर : शहीदों के गांव को ठोस पहल की दरकार
ग्रामीणों का कहना है कि 18 अगस्त 1942 को शेरपुर के आठ लोगों ने शहादत देकर तिरंगा फहराया था और यदि यह सरकार हम लोगों की बातों को अनसुनी करती है। सरकार शहीदों को सम्मान देने के लिए अमृत महोत्सव कार्यक्रम चला रही है, लेकिन शहीदों के गांव में हालात ठीक नहीं हैं। गांव को कटान से बचाने के लिए प्रधानमंत्री तक को गांव का दर्द लिख चुके हैं लेकिन अभी तक जिला प्रशासन के द्वारा इस गांव को बचाने के लिए कोई ठोस पहल नहीं किया गया।
आशा खबर / शिखा यादव