जून के महीने मे माॅनसून के दस्तक देने की सूचना के साथ ही जिले के बाढ प्रभावित क्षेत्रो के नागरिको की चिंताएं बढती जा रही है।पूर्वी चंपारण जिले मे हर साल बूढी गंडक,गंडक,बागमती और लालबकेया जैसे प्रमुख नदियो के साथ लगभग दर्जन भर बहने वाली नेपाली नदियाँ भयानक तांडव मचाती रही है।जिले के कुल 27 प्रखंडो मे से लगभग 20 प्रखंड कमोबेश हर साल बाढ की चपेट मे होते है। जिसमे लगभग 15 प्रखंड बाढ की दृष्टि से अतिसंवेदनशील माना जाता रहा है।इन प्रखंडो मे सुगौली,बंजरिया,रामगढवा
मोतिहारी सदर,चिरैया,पकडीदयाल,ढाका,पताही,अरेराज संग्रामपुर,केसरिया,तेतरिया आदि प्रखंडो मे नदी के किनारे रहनेवाले हजारों की आबादी बाढ़ की आशंका को लेकर अभी से ही चितिंत दिख रहे है।जर्जर बांधों को देखकर नदी किनारे रहनेवाले लोगों के दिल अभी से धड़कने लगा हैं। 2017 से लगातार इन प्रखंड क्षेत्रो आने वाली बाढ के बाद बांधों की मरम्मत का कार्य बेहतर तरीके से अब तक नहीं हो सका है।इसके साथ ही बाढ के पानी को निकलने के लिए पर्याप्त कार्य भी न हो पाने के कारण लोगो को महीनो जल जमाव की पीडा झेलने की भी चितांए सताने लगी है।
जिला आपदा के समाहर्त्ता अनिल कुमार कहते है कि बांधों की मरम्मत का काम तेज गति से चल रहा है।वही जल निस्सरण के लिए नहर अहर पईन आदि की सफाई भी तेजी से किया जा रहा है।उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन बाढ़ पूर्व तैयारियो को लेकर पूरी तरह सजग है। सभी संभावित बाढग्रस्त प्रखंडो के लिए पर्याप्त नावों की व्यवस्था के साथ उनका निबंधन किया जा रहा है।वही इन क्षेत्रो मे ऊंचे स्थानो को चिह्रित कर वहां शौचालय,पीने का पानी व चिकित्सा सुविधा की भी तैयारी की जा रही है।उन्होने बताया कि अगामी एक जून से नदियो के संभावित कटाव स्थलो पर भी फ्लड फाईटिग का कार्य शुरू किया जायेगा।साथ ही पर्याप्त आपदा मोचन बल की भी तैनाती की जायेगी।वही बाढग्रस्त क्षेत्रो के लोगो का कहना है कि ये तैयारी तो हर साल की जाती है लेकिन बाढ के स्थाई निदान की तैयारी कब की जायेगी?