सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र के राजनीतिक विवाद को लेकर सुनवाई होगी। शिवसेना में टूट, नई सरकार के गठन, पार्टी पर दावे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 3 अगस्त को सुनवाई हुई थी लेकिन दोनों पक्ष उन मुद्दों को लेकर स्पष्ट नहीं थे इसलिए कानूनी मसले तय नहीं हो सके। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच मामले की सुनवाई करेगी।
उद्धव ठाकरे गुट ने कहा है कि जब तक शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता पर फैसला नहीं हो जाता, चुनाव आयोग को तब तक अपनी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। याचिका में कहा गया है कि अभी शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता करवाई का मामला लंबित है ऐसे में निर्वाचन आयोग ये तय नहीं कर सकता है कि असली शिवसेना कौन है। बता दें कि निर्वाचन आयोग में 8 अगस्त तक दोनों पक्षों से दस्तावेज तलब किया है।
बता दें कि ठाकरे गुट ने महाराष्ट्र के राज्यपाल की ओर से एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इसके अलावा महाराष्ट्र विधानसभा की 3 और 4 जुलाई को हुई कार्यवाही में नए स्पीकर के चुनाव और शिंदे सरकार के विश्वास मत प्रस्ताव की कार्यवाही को अवैध बताया गया है।
ठाकरे गुट ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की ओर से सांसदों को हटाने के फैसले को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका सांसद विनायक राउत और राजन विचारे ने दाखिल किया है।
याचिका में राहुल शेवाले को लोकसभा में शिवसेना संसदीय दल के नेता और भावना गवली को मुख्य सचेतक के पद पर की गई नियुक्ति को रद्द करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि लोकसभा स्पीकर का फैसला मनमाना और शिवसेना के संसद में अधिकृत प्रतिनिधियों के फैसलों के खिलाफ है। याचिका में कहा गया है कि शिवसेना ने लोकसभा स्पीकर को विनायक राउत को लोकसभा में पार्टी का नेता और राजन विचारे को चीफ व्हिप घोषित करने की सूचना दी थी। इसके बावजूद स्पीकर शिंदे गुट के उम्मीदवार को मंजूरी दी। यहां तक कि लोकसभा स्पीकर ने शिवसेना से कोई स्पष्टीकरण भी नहीं पूछा।
आशा खबर / शिखा यादव