सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व जीएसटी परिषद को अप्रत्यक्ष कर प्रशासन में दस्तावेज पहचान संख्या (डीआईएन) की इलेक्ट्रॉनिक (डिजिटल) प्रणाली लागू करने के लिए राज्यों को सलाह देने का निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने बुधवार को कहा, कर्नाटक और केरल में पहले से लागू यह प्रणाली व्यापक जनहित में है और सुशासन को बढ़ावा देगी। यह अप्रत्यक्ष कर प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाएगी, जो कुशल शासन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रदीप गोयल की जनहित याचिका का निपटारा करते हुए ये टिप्पणियां कीं। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा, इस प्रणाली को लागू करने से विभागीय अधिकारियों द्वारा पूर्व-डेटिंग संचार के किसी भी दुरुपयोग को रोका जा सकता है।
केंद्र की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) बलबीर सिंह ने भी इस दलील से सहमति जताई, जिसके बाद पीठ ने कहा, केंद्र सरकार ने भी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की डीआईएन प्रणाली को लागू किया है।
जीएसटी परिषद को जीएसटी से संबंधित किसी भी मामले पर राज्यों को सिफारिश करने का अधिकार है। वह डीआईएन प्रणाली के कार्यान्वयन के लिए संबंधित राज्यों को सलाह भी जारी कर सकती है। ऐसा करना व्यापक जनहित में होगा और इससे अप्रत्यक्ष कर प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाई जा सकती है।
आशा खबर / उर्वशी विश्वकर्मा