रामचरितमानस के रचयिता महाकवि संत तुलसीदास की जन्मस्थली को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है। शूकर क्षेत्र के लोग सोरों को ही तुलसी की जन्मभूमि बता रहे हैं। तमाम तथ्यों को एकत्रित कर यहां के विद्वान, पुरोहित सरकार के विरुद्ध अब आंदोलन की शुरुआत करने जा रहे हैं। होने वाले आंदोलन में सत्तारूढ़ दल के स्थानीय पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता बढ़-चढ़कर सहभागिता निभाएंगे।
मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी किए गए ट्विटर हैंडल के संदेश ने शूकर क्षेत्र सोरों से जुड़े लोगों में भूचाल पैदा कर दिया। मुख्यमंत्री ने महाकवि संत तुलसीदास की जन्म भूमि राजापुर बताया। इसके बाद सोरों के लोग सरकार से मुखर हो गए। इतना ही नहीं उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक, कैबिनेट मंत्री आरके शर्मा, जितिन प्रसाद एवं यूपी टूरिज्म द्वारा भी ट्विटर पर की गई बयानबाजी से लोगों का आक्रोश और अधिक बढ़ गया है। इसी दिन से आंदोलन का क्रम प्रारंभ कर दिया गया है। अब तक अखंड आर्यावर्त निर्माण संघ, ब्राह्मण कल्याण सभा, भाजपा के नमामि गंगे विभाग, बजरंग दल सहित अन्य समाजसेवी संस्थाओं ने ज्ञापन सौंपकर सोरों को ही तुलसी की जन्म भूमि घोषित किए जाने की सरकारों से मांग की है।
शूकर क्षेत्र सोरों के निवासी तुलसी पर पीएचडी कर चुके बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ योगेंद्र मिश्र ने तो मुख्यमंत्री के ट्वीट पर शासक को किसी की जन्म स्थली तय करने का अधिकार नहीं है। इस तरह का प्रत्युत्तर दिया है। इसके अलावा उन्होंने कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद के ट्विटर पर कहा है कि अंधश्रद्धा अनेक समस्याओं की जन्मदात्री होती है। आप सुशिक्षित हैं, ब्राह्मण चेहरे का सरकार में प्रतिनिधित्व करते हैं। तुलसी स्थापित राजापुर में असली कोई भी न मानस की प्रति है, न शिष्य, कलिके काल नेमियों ने उदरपूर्ति का साधन बना लिया है। छल कपट के बल पर स्याह को सफेद करने की पहलवानी की जा रही है।
उन्होंने कैबिनेट मंत्री आरके शर्मा के ट्विटर पर कहा है कि भारत के आईएएस मात्र सूचनाओं के संग्राहक भर होते हैं। भारतीय ज्ञान परम्परा के संवाहक नहीं। प्रशासक के साथ मंत्री होकर भी राजापुर के मिथ्या, छल-प्रपंच के व्यामोह के शिकार बने। आप तो पीएम के अति विश्वस्त हैं, तथ्यों की अनदेखी आपके व्यक्तित्व के प्रतिकूल है। राजापुर में तुलसी की न प्रति न शिष्य यह ढोंग है।
यूपी टूरिज्म पर हमला बोलते हुए प्रोफ़ेसर ने कहा है कि पर्यटन विभाग को विवेक से इस प्रकार के ट्वीट नहीं लिखने चाहिए। जग हँसाई से बचना, इससे सरकार की साख पर बट्टा लगता है। उन्होंने कहा है कि तुलसी जन्म को लेकर शूकर क्षेत्र सोरों में भौतिक पौराणिक ऐतिहासिक तमाम प्रमाण मौजूद हैं। सरकार को इन तथ्यों की जानकारी करने के बाद ही जन्म भूमि से संबंधित किसी तरह की बयानबाजी करनी चाहिए। मुख्यमंत्री एवं सरकार के प्रतिनिधियों को अपने शब्द वापस लेकर सोरों को ही महाकवि संत तुलसीदास की जन्मभूमि घोषित कर प्रायश्चित कर लेना चाहिए। तुलसी प्रकरण के संबंध में धीरे-धीरे सोरों में सरकार के विरोध की ज्वाला धड़कना शुरू हो गई है। नगर पालिका परिषद के 28 सभासदों ने सामूहिक रूप से त्यागपत्र डीएम को सौंपा है। इनमें भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े एवं सरकार द्वारा नामित किए गए सभासद भी सम्मिलित हैं।
ब्राह्मण कल्याण सभा ने क्षेत्रीय विधायक देवेंद्र सिंह राजपूत से मिलकर तुलसी प्रकरण में पहल करने की मांग उठाई है। शूकर क्षेत्र सोरों के बाशिंदों की कार्रवाई लगातार जारी है। सरकार के विरोध में सड़कों पर उतरने के लिए रणनीति बनाई जा रही है। तमाम राजनैतिक, सामाजिक, साहित्यिक संगठन, तीर्थ पुरोहितों एवं विद्वानों के साथ मिलकर मसौदा तैयार कर रहे हैं।
तुलसी प्रकरण को लेकर धरना, प्रदर्शन जैसे आंदोलन शुरू किए जाएंगे। अखंड आर्यावर्त निर्माण संघ के भूपेश शर्मा, श्री गंगा सभा के कैलाश चंद्र कटारे, गंगा भक्त समिति के सतीश चंद्र भारद्वाज, भाजपा नमामि गंगे विभाग के रामेश्वर दयाल महेरे, ज्योतिषाचार्य राहुल वशिष्ठ, डॉ गौरव दीक्षित, शिक्षाविद आरके दीक्षित, ब्राह्मण कल्याण सभा के शरद पांडे, विद्वान उमेश पाठक सहित हजारों की संख्या में लोग तुलसी की जन्म स्थली सोरो के पक्ष में खड़े हुए हैं।
आशा खबर / शिखा यादव