सुप्रीम कोर्ट आज (बुधवार) चुनाव में मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त में उपहार देने वाली घोषणाएं करनेवाले राजनीतिक दलों की मान्यता खत्म करने की मांग पर सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी। 26 जुलाई को कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह वित्त आयोग से पता लगाए कि पहले से कर्ज में डूबे राज्य में मुफ्त की योजनाओं का अमल रोका जा सकता है या नहीं।
इससे पहले 25 जनवरी को कोर्ट ने केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया था। याचिका भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक दल मतदाताओं को गलत तरीके से अपने पक्ष में लुभाने के लिए मुफ्त में उपहार देने की घोषणाएं करती हैं। ऐसा करना स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए एक बाधा है। ऐसा करना भारतीय दंड संहिता की धारा 171बी और 171सी के तहत अपराध है।
याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट निर्वाचन आयोग को दिशा-निर्देश जारी करे। साथ ही एक अतिरिक्त शर्त जोड़े कि राजनीतिक दल मुफ्त में उपहार देने की घोषणाएं नहीं करेंगे। याचिका में कहा गया है कि आजकल एक राजनीतिक में फैशन बन गया है कि दल अपने घोषणापत्र में मुफ्त बिजली की घोषणा करते हैं। यह घोषणाएं तब भी की जाती हैं जब सरकार लोगों को 16 घंटे की बिजली भी देने में सक्षम नहीं होते हैं। याचिका में कहा गया है कि मुफ्त की घोषणाओं का लोगों के रोजगार, विकास या कृषि में सुधार से कोई लेना-देना नहीं होता है लेकिन मतदाताओं को लुभाने के लिए ऐसी जादुई घोषणाएं की जाती है।
आशा खबर/रेशमा सिंह पटेल