अमेरिका ने आतंकी संगठन अल कायदा के सरगना अयमान अल जवाहिरी को मारे जाने की घोषणा कर दी है। अल जवाहिरी ने लोगों की जान बचाने के लिए डॉक्टरी की पढ़ाई की किन्तु आतंकी सरगना के रूप में पूरी दुनिया में सैकड़ों लोगों की मौत का सौदागर बन गया। अयमान अल जवाहिरी का जन्म 19 जून 1951 को मिस्र के एक संपन्न परिवार में हुआ था। जवाहिरी पेशे से सर्जन था। 14 साल की उम्र में वह मुस्लिम ब्रदरहुड का सदस्य बन गया। जवाहिरी ने ओसामा बिन लादेन के साथ मिलकर अमेरिका पर 11 सितंबर 2001 को भयावह आतंकी हमले (9/11) की साजिश रची थी।
मिस्र के गिजा में 19 जून 1951 को जन्मे अयमान अल-जवाहिरी ने मिस्र की कैरो यूनिवर्सिटी से मेडिकल की पढ़ाई की। उसके घर में पहले कई लोग डॉक्टर थे। जवाहिरी ने सर्जरी में विशेषज्ञता हासिल की और वह बहुत अच्छा सर्जन माना जाता था। अरबी और फ्रेंच बोलने वाले जवाहिरी ने 1978 में काहिरा विश्वविद्यालय की फिलॉसफी छात्रा अजा नोवारी से शादी कर ली। 2001 में अमेरिकी सेना के एक ऑपरेशन में अजा और उसके तीन बच्चों की मौत हो गई। इसके बाद उसने उमैमा हुसैन से दूसरी शादी की, जिससे जवाहिरी के सात बच्चे हुए। इसमें फातिमा, उमायमा, नाबिला, खडिगा, मोहम्मद, आयशा और नव्वर शामिल हैं।
कभी डॉक्टर के रूप में लोगों की जान बचाने वाले जवाहिरी ने 1970 के दशक में इजिप्टियन इस्लामिक जिहाद का गठन किया था। इस संगठन ने मिस्र में सेक्युलर शासन का विरोध किया। उसकी मांग थी कि मिस्र में इस्लामिक सरकार कायम हो। साल 1981 में मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादात की हत्या के बाद जवाहिरी को गिरफ्तार किया गया। मिस्र में तीन साल जेल में रहने के बाद वह सऊदी अरब भाग गया और यहां पर डॉक्टर के रूप काम करने लगा। सऊदी अरब में ही अल जवाहिरी की मुलाकात अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन से हुई। दोनों के विचार एक जैसे थे। दोनों में खूब बनी। 2001 में अल जवाहिरी ने इजिप्टियन इस्लामिक जिहाद का विलय अलकायदा में कर दिया। इसके बाद अलकायदा के जरिए पूरी दुनिया में आतंक फैलाने लगा।
जवाहिरी ने अमेरिकी हमले में ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद संगठन की कमान अपने हाथ में ली थी। 2011 में वह अलकायदा का सरगना बन गया था। दुनियाभर में कई जगह हुए आतंकी हमलों के पीछे उसका हाथ माना जाता है। 11 सितंबर 2001 को 19 आतंकियों ने चार कमर्शियल प्लेन हाइजैक किए थे। इनमें से दो प्लेन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के नॉर्थ और साउथ टावर से टकरा दिए गए थे। इस हमले में 93 देशों के 2,977 लोग मारे गए थे। हमला आतंकी संगठन अलकायदा ने किया था। इसकी साजिश ओसामा बिन लादेन और अल-जवाहरी ने ही रची थी।
सात अगस्त 1998 को एक साथ कई देशों के दूतावास के बाहर बम धमाके हुए। इसमें 224 लोग मारे गए, जिनमें 12 अमेरिकी शामिल थे और 4,500 से अधिक लोग घायल हुए थे। इसके पीछे जवाहिरी का हाथ था। मई 2003 में सऊदी अरब के रियाद में एक साथ आत्मघाती बम विस्फोटों में नौ अमेरिकियों सहित 23 लोगों की मौत हो गई थी। इसके कुछ दिनों बाद एक टेप जारी किया गया था, जिसमें जवाहिरी की आवाज शामिल थी।
आशा खबर/रेशमा सिंह पटेल