देश में मानसून का यह सीजन शुरुआती दिनों यानी जून माह में जरुर कमजोर रहा, लेकिन जुलाई माह में झमाझम बारिश हुई। बारिश ऐसे हुई कि 17 साल पूर्व के सर्वश्रेष्ठ आंकड़ें 333 मिमी से मात्र छह मिमी दूर रह गया। यह अलग बात है कि जलवायु परिवर्तन के कारण जिन जगहों पर अधिक बारिश होती थी उन जगहों पर इस सीजन में कम बारिश हुई है। पूरे देश की औसत बारिश 327.7 मिमी रही जो पिछले 27 सालों में यह चौथा सीजन है जब जुलाई माह में तीन सौ से अधिक मिमी बारिश हुई।
चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर के मौसम वैज्ञानिक एस एन सुनील पाण्डेय ने मंगलवार को बताया कि चार महीने लंबे दक्षिण-पश्चिम मानसून आधे रास्ते तक पहुंच गया है। जुलाई ने जून के घाटे को पूरा कर लिया है और देश के अधिकांश हिस्सों में ज्यादा बारिश दर्ज की है। पूर्व और पूर्वोत्तर क्षेत्र को छोड़कर शेष तीन समरूप क्षेत्रों, अर्थात् उत्तर पश्चिमी भारत, मध्य भारत और दक्षिण प्रायद्वीप में सामान्य से अधिक वर्षा हुई है। दक्षिण भारत 28 प्रतिशत के भारी लाभ के साथ एक बाहरी स्थान था, इसके बाद मध्य भागों में 17 प्रतिशत का अधिशेष था। उत्तर पश्चिम भारत को उत्तर प्रदेश में बड़े घाटे और पहाड़ों में एक छोटी सी कमी के साथ हाशिये के बहुत करीब खींच लिया गया था। पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड राज्यों में भारी कमी के कारण पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में 16 प्रतिशत की कमी रही। अन्यत्र एकमात्र अपवाद केरल राज्य था जो पहले दो महीनों के दौरान 26 प्रतिशत की कमी का सामना कर रहा था।
2005 के आंकड़े से मात्र छह मिमी कम हुई बारिश
मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि 2005 के बाद से जुलाई का महीना ही सबसे अधिक बारिश वाला महीना था। यह महीना 17 प्रतिशत बारिश के साथ अधिशेष था और 280.5 मिमी के सामान्य के मुकाबले कुल 327.7 मिमी बारिश हुई। यह जुलाई 2005 में 333.7 मिमी वर्षा एकत्र करने से मात्र छह मिमी की कमी होने से रिकॉर्ड से चूक गया। इसके अलावा इस सीजन का जुलाई माह 300 मिमी से अधिक वर्षा के साथ सबसे बारिश वाले महीने के क्लब में शामिल हो गया, जो पहले 1995 के बाद से चार मौकों पर हासिल किया गया था। पश्चिम राजस्थान, तमिलनाडु और तेलंगाना के उप-मंडलों में संबंधित बड़ी मात्रा में 81 प्रतिशत, 82 प्रतिशत और 94 प्रतिशत की अधिकता है। गुजरात, मराठवाड़ा और विदर्भ के सबसे कमजोर इलाकों ने मध्य भागों के मुख्य मानसून वर्षा आधारित क्षेत्र में खराब बारिश के खतरे को दूर कर दिया। पंजाब और हरियाणा के कृषि क्षेत्र ने भी साल दर साल ‘प्रतिबंधित’ राज्य होने के झंझट को तोड़ दिया और 20 प्रतिशत से अधिक वर्षा हुई।
आशा खबर / शिखा यादव