जम्मू-कश्मीर के पुलिस प्रमुख दिलबाग सिंह ने रविवार को कहा कि नार्काे-आतंकवाद पुलिस बल के लिए सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि पड़ोसी देश एक तरफ नई पीढ़ी को नष्ट करना चाहता है और दूसरी तरफ नार्काे-बिक्री से अर्जित धन से प्रदेश में आतंकवाद को वित्त पोषित करना चाहता है।
मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले में पुलिस प्रशिक्षण केंद्र (पीटीसी) मणिगाम में नए रंगरूटों की पासिंग आउट परेड को संबोधित करते हुए डीजीपी ने कहा कि हाल ही में नार्काे-आतंकवाद पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। डीजीपी सिंह ने कहा कि भले ही पुलिस नार्काे-व्यापार में शामिल सभी मॉड्यूल का भंडाफोड़ करके इसका प्रभावी ढंग से सामना कर रही हो लेकिन इस मोर्चे पर बहुत कुछ करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि हमारा पड़ोसी (पाकिस्तान) शांतिपूर्ण माहौल से खुश नहीं है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के युवाओं को ड्रग्स की ओर लालच देकर और नार्काे-सेल से अर्जित धन का उपयोग आतंकवाद के लिए करके नार्काे-आतंकवाद को बढ़ावा देना चाहता है। डीजीपी ने कहा कि ड्रोन से हवा में गिराए जाने वाले नशीले पदार्थ और हथियार भेजे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां इस खतरे को रोकने में सफल रही हैं। जम्मू-कश्मीर में नार्काे-आतंकवाद को रोकने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है क्योंकि यह एक बड़ी चुनौती है।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर पुलिस जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण माहौल सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन हमारा पड़ोसी लगातार शांति भंग करने की साजिश रचता रहा है। डीजीपी सिंह ने कहा कि हम जम्मू-कश्मीर में शांति को स्थायी बनाने के लिए काम करना जारी रखेंगे। डीजीपी ने पिछले 30 वर्षों के दौरान ड्यूटी के दौरान जान देने वाले 514 विशेष पुलिस अधिकारियों (एसपीओ) सहित 1601 पुलिस कर्मियों को श्रद्धांजलि दी।
हर घर तिरंगा के बारे में डीजीपी ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य अपने देश के प्रति लोगों की प्रतिबद्धता दिखाना है लेकिन पड़ोसी देश हर घर मातम चाहता है। उन्होंने कहा कि हम जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण माहौल बनाने और शांति भंग करने के लिए काम कर रहे बलों को हराने की हमारी पहल का समर्थन करने के लिए लोगों को धन्यवाद देते हैं।