Search
Close this search box.

मोहर्रम में इमामबाड़ों व घरों में होगी मजलिसें, इस्तकबाले अजा की मजलिसे 29 जुलाई से

Share:

मोहर्रम को लेकर प्रेस वार्ता : फोटो बच्चा गुप्ता

30 या 31 जुलाई 2022 से चांद दर्शन के हिसाब से शुरु होगा

धर्म नगरी काशी में शिया समुदाय ने मोहर्रम की तैयारी शुरू कर दी है। इमाम हुसैन की शहादत के सिलसिले से मनाया जाने वाला मोहर्रम इस वर्ष 30 या 31 जुलाई 2022 से चांद के दर्शन के हिसाब से शुरु होगा।

दो महीना आठ दिन तक चलने वाले मोहर्रम को वैश्विक महामारी कोविड के चलते पूरे दो साल बाद अकीदत से मनाया जायेगा। शहर में तकरीबन 60 से ऊपर जुलूस एक से 12 मोहर्रम तक उठाये जायेंगे। इमाम हुसैन की शहादत (आशुरा) 8 या 9 जुलाई को मनायी जायेगी। इस्तकबाले अजा की मजलिसे 29 जुलाई से शुरु हो जायेगी।

बुधवार को गोलघर स्थित पराड़कर भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में ये जानकारी हजरत अली समिति के सचिव/मीडिया प्रभारी व शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता हाजी फरमान हैदर ने दी। उन्होंने बताया कि पहली मोहर्रम पर शहर भर के विभिन्न इलाकों में प्रातः सात बजे से मजलिसों का कार्यक्रम शुरु हो जायेगा। दिन में तीन बजे सदर इमामबाड़ा लाट सरैया में कैम्पस के अन्दर ही अलम और दुलदुल ताबूत का जुलूस उठाया जायेगा। इसी तरह दूसरी मोहर्रम शिवपुर में अंजुमने पंजतनी के तत्वावधान में अलम व दुलदुल का जुलूस रात 8 बजे उठाया जायेगा।

बनारस के अलावा दूसरे शहरों की अंजुमनें भी शिरकत करेंगी। भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के मकान पर दिन में 2 बजे कदीमी मजलिस का आयोजन होगा। तीसरी मोहर्रम को अलम व दुलदुल का कदीमी जुलूस औसानगंज नवाब की ड्योढ़ी से सायं 5 बजे उठाया जायेगा। अंजुमन जौव्वादिया जुलूस के साथ-साथ रहेगी। जुलूस आलीम हुसैन रिजवी के निवास से उठाया जायेगा, जो हरिश्चन्द्र घाट के पास कुम्हार के इमामबाड़े पर समाप्त होगा। तीन मोहर्रम को ही रामनगर में बारीगढ़ी स्थित सगीर साहब के मकान से अलम का जुलूस उठाया जायेगा।

फरमान हैदर ने बताया कि चौथी मोहर्रम को ताजिये का जुलूस शिवाले में आलीम हुसैन रिजवली के निवास से गौरीगंज स्थित काजिम रिजवी के इमामबाड़े पर समाप्त होगा। चार मोहर्रम को ही चौहट्टा में इम्तेयाज हुसैन के मकान से 2 बजे दिन में जुलूस उठकर इमामबाड़ा तक जायेगा। चौथी मुहर्रम को ही तीसरा जुलूस अलम व दुलदुल का चौहट्टा लाल खां इमामबाड़ा से रात 8 बजे उठकर अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ सदर इमामबाड़ा पहुंचकर समाप्त होगा। पांचवीं मोहर्रम को छत्तातला गोविन्दपुरा इमामबाड़े से अलम का जुलूस अंजुमन हैदरी के संयोजन मे उठाया जायेगा। स्व० वज्जल खां के परिवार के लोग मरशिया पढ़ेंगे। शहनाई पर मातमी धुन भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्ला खां के परिवार के लोग पेश करेंगे।

उन्होंने बताया कि इस जुलूस की विशेषता यह है कि पूरे रास्ते में अंधेरा कर दिया जाता है। घरों की भी लाईट बुझा दी जाती है यह जुलूस भी मीरधूरा इमामबाड़े पर जाकर समाप्त होता है। आठ मोहर्रम को ही अर्दली बाजार में जियारत हुसैन के निवास से शदू भाई के संयोजन में अलम व दुलदुल का जुलूस उठाया जायेगा। जो मास्टर जहीर हुसैन साहब के इमामबाड़े पर समाप्त होगा। नवीं मोहर्रम को शहर भर के तमाम इमामबाड़ों में तथा इमाम चौक पर ताजिया रखी जाती है, जो सैकड़ों की तादाद में होती हैं। कई इलाकों में गश्ती अलम का जुलूस उठाया जाता है जो अपने इलाकों में भ्रमण करता है।

लोग नौहा मातम करते चलते हैं। अंजुमन हैदरी चौक गश्ती अलम लेकर फातमान पहुंचती है वहां 4 बजे भोर में अंगारों पर चलकर मातम किया जाता है। 9वीं मोहर्रम को ही खास दुल्हा का जुलूस शिवाला से उठाया जाता है। जिसमें हजारों लोग शिरकत करते हैं ये जुलूस बनारस की अलग पहचान रखता है। लोग शहर भर के इमामबाड़ों में जाकर नौहा मातम करते हैं। ताजिये पर मन्नते मांगते हैं। 9वीं मोहर्रम को ही हड़हा सराय में सायं 3 बजे से हजरत अली असगर के झूले का जुलूस उठता है जो दालमण्डी, नईसड़क, कोदई चौकी होता हुआ छत्तातले पर समाप्त होता है। दसवीं मोहर्रम को आशुरा भी कहते हैं।

10वीं मोहर्रम को पूरे शहर भर में सुबह से जुलूसों का सिलसिला शुरू रहता है। शहर की तकरीबन 26 अंजुमने अलम, तुरबत व दुलदुल का जुलूस सुबह से शाम तक उठाती रहती है। जिसमें जंजीर व कमा (खंजर) का मातम होता है। लोग आंसुओं के साथ-साथ खून का नजराना भी पेश करते हैं। ये जुलूस विभिन्न इलाकों में उठते हैं और सदर इमामबाड़ा लाट सरैया और दरगाहे फातमान लल्लापुरा तथा शिवाले घाट पर शाम तक समाप्त होते हैं।

आशा खबर / शिखा यादव 

Leave a Comment

voting poll

What does "money" mean to you?
  • Add your answer

latest news