पालघर के जनजातीय क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं की अनदेखी से यहां के हालात किसी छिपे नही है। मलवाड़ा ग्रामपंचायत के अंतर्गत आने वाला बुरुज पाड़ा अति दुर्गम भाग में स्थित है। यहां बुरुज पाड़ा और दिवे पाड़ा के बीच मे एक नाला है। जिस पर मनरेगा से एक अस्थाई कामचलाऊ पुल बनाया गया था,जो कि बरसात मे बह गया। ग्रामीणों का आरोप है,कि वर्षो से दोनों गांव के बीच स्थित मार्ग पर एक पुल बनाने की मांग की जा रही है। मनरेगा से पाइप रखकर उस पर मिट्टी डालकर पुल बना दिया गया था। जो बरसात में बह गया। इस पुल से होकर कई बच्चे रोज नाले के उस पार दिवे पाड़ा में स्थित स्कूल में पढ़ने जाते थे। अस्थाई पुल के बह जाने से कई दिनों से बच्चे स्कूल नही जा पा रहे थे। जिससे बच्चों के परिजनों ने इस नाले पर एक बांस का पुल बना दिया। ताकि बच्चे स्कूल तक जा सके।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, हर साल यहां एक स्थाई पुल बनाने के वादे किये जाते रहे है, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ। प्रशासन की बाट जोहने की बजाय अब ग्रामीणों ने खुद ही इस दिशा में कोशिश शुरू कर दी है।
ग्रामीण मिलकर यहां बांस का छोटा सा पुल बनाया हैं, ताकि बारिश के दिनों में भी आवाजाही में किसी को परेशानी न हो। इसे प्रशासनिक विफलता करार देते हुए एक ग्रामीण ने कहा, ”बारिश के दिनों में यहां से गुजरना मुश्किल हो जाता है।”
पाइप रखकर मिट्टी डालकर बनाया गया था अस्थाई पुल
ग्रामीण गोपाल धामोड़ा कहते हैं,पुल न होने से बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे थे, हम लोगों को परेशानी तो थी ही। इसके लिए हमने गांव के लोगों से बात की और खुद एक छोटा सा पुल बनाने का फैसला लिया। जिसके हम सभी ने बांस लाकर दो दिनों में नाले पर पुल बनाया। जिससे अब बच्चे स्कूल जा पा रहे है और ग्रामीणों को भी राहत मिली है।
आशा खबर / उर्वशी विश्वकर्मा