Search
Close this search box.

तीनों सेनाओं के लिए भारत में ही बनेंगी 4.2 लाख कार्बाइन, 5,000 करोड़ होंगे मंजूर

Share:

कार्बाइन

– निजी या सार्वजनिक क्षेत्र के दो निर्माताओं को यह अनुबंध आवंटित करने की योजना

– सेना को कार्बाइन के एक चौथाई हिस्से की जरूरत, इसलिए होगी फास्ट ट्रैक प्रक्रिया

आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में तीनों सेनाओं के लिए 4.2 लाख स्वदेशी कार्बाइन का निर्माण किया जायेगा। इतनी बड़ी संख्या में कार्बाइन के उत्पादन में समय लगेगा, इसीलिए यह परियोजना निजी या सार्वजनिक क्षेत्र के दो निर्माताओं के साथ अनुबंध किये जाने की योजना है। परियोजना के लिए 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन होने जा रहा है। सेना, नौसेना और वायु सेना इस हथियार के डिजाइन और विकास में एक साथ काम करेंगी।

भारतीय सेना की जरूरतों को देखते हुए संयुक्त अरब अमीरात से सीबीक्यू कार्बाइन और दक्षिण कोरिया से सेल्फ प्रोपेल्ड एयर डिफेंस गन मिसाइल सिस्टम खरीदने के लिए 2.5 अरब डॉलर से अधिक का सौदा तय किया गया था। यूएई की हथियार निर्माता कंपनी काराकल को सेना के लिए 93,895 क्लोज क्वार्टर कार्बाइन (सीबीक्यू) की आपूर्ति के लिए 2018 में शॉर्टलिस्ट किया गया था। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस कंपनी ने फास्ट ट्रैक खरीद के लिए सबसे कम बोली लगाई थी। दोनों सौदे लगभग आखिरी चरण में थे लेकिन इसी बीच दो साल पहले रक्षा मंत्रालय ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत रक्षा उद्योग को मजबूत करने के लिए हथियारों के आयात पर प्रतिबन्ध लगा दिया।

रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार की अध्यक्षता में सितम्बर, 2020 में हुई बैठक में 2.5 अरब डॉलर से अधिक के दोनों आयात अनुबंधों को रद्द कर दिया गया। यूएई की कंपनी काराकल से 95 हजार कार्बाइन का सौदा रद्द करने के बाद अब ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में तीनों सेनाओं के लिए 4.2 लाख स्वदेशी कार्बाइन का निर्माण किया जायेगा। सेना को कार्बाइन के एक चौथाई हिस्से की तत्काल जरूरत है, इसलिए फास्ट ट्रैक प्रक्रिया के तहत यह प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी की जाएगी। सेना, नौसेना और वायु सेना इस हथियार के डिजाइन और विकास में एक साथ काम करने की योजना बना रही है।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के कहना है कि 4 लाख से अधिक कार्बाइन के उत्पादन में समय लगेगा, इसीलिए निजी या सार्वजनिक क्षेत्र के दो निर्माताओं को यह अनुबंध आवंटित करने की योजना है। इसका मतलब यह है कि सबसे अच्छी बोली वाली फर्म को 2 लाख से अधिक कार्बाइन बनाने का ऑर्डर मिल सकता है, जबकि दूसरी फर्म के साथ शेष कार्बाइन बनाने का अनुबंध किया जायेगा। इसके पीछे प्राथमिकता कार्बाइन की जल्द से जल्द आपूर्ति करने की होगी। आम तौर पर अनुबंध करने में 3 साल से अधिक समय लगता है लेकिन सशस्त्र बलों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह अनुबंध आने वाले दिनों में हो सकते हैं।

केंद्र सरकार ने 4 दिसंबर, 2021 को भारत में कलाश्निकोव शृंखला की एके-203 राइफलों का निर्माण करने को मंजूरी दी थी। इसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने 06 दिसम्बर को द्विपक्षीय चर्चा के बाद रूसी असॉल्ट राइफल एके-203 डील को अंतिम रूप दिया। भारत ने रूस के साथ एके-203 असॉल्ट राइफल के लिए 5,124 करोड़ रुपये के सौदे पर हस्ताक्षर किए हैं। रूस के सहयोग से उत्तर प्रदेश के अमेठी स्थित कोरवा ऑर्डिनेंस फैक्टरी में छह लाख से अधिक असॉल्ट राइफलों का उत्पादन किया जाना है लेकिन अभी यह योजना परवान नहीं चढ़ी है। यह सौदा उस समय हुआ था, जब भारत रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ पर आक्रामक रूप से जोर दे रहा है।

Leave a Comment

voting poll

What does "money" mean to you?
  • Add your answer

latest news