– तुलसी घाट पर अमेरिका से आए प्रोफेसरों ने संकटमोचन मंदिर के महंत से की मुलाकात, कार्यशाला में हुए शामिल
श्री संकट मोचन मंदिर के महंत एवं आईआईटी बीएचयू के प्रोफेसर विश्वंभरनाथ मिश्र ने कहा कि तीनों लोको से न्यारी काशी नगरी की पहचान बाबा श्री काशी विश्वनाथ एवं उत्तरवाहिनी बहती मां गंगा से है। इसी को देखने के लिए पूरे विश्व से लोग काशी आते हैं। यही काशी की सुंदरता और पहचान है।
प्रो. मिश्र शुक्रवार को तुलसी घाट पर आयोजित हिंदुज्म काशी एवं गंगा पर आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे। कार्यशाला में भाग ले रहे अमेरिका के हवाई एवं लोयोला मैरीमाउंट यूनिवर्सिटी से आये 24-25 प्रोफेसरों को संबोधित करते हुए प्रो. मिश्र ने कहा कि हिंदुज्म, काशी व गंगा तीनों एक ही स्वरूप है। हिंदुज्म, काशी व गंगा तीनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। इन तीनों का संगम ही इनका पूरा स्वरूप है।
उन्होंने कहा कि मां गंगा काशी की पहचान है। और काशी सनातन धर्म की राजधानी हिंदुज्म की पहचान है। मां गंगा सनातन धर्म की जीवन रेखा है। इनके बिना सनातन धर्म अधूरा है। ठीक उसी तरह काशी भी मां गंगा और हिंदुज्म के बिना अधूरी है। प्रो. मिश्र ने कहा कि तीनों एक दूसरे से परस्पर जुड़े हैं। एक के खराब होने से तीनों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। मां गंगा प्रदूषण से पूरी तरह अभी मुक्त नहीं हुई है। जिस शहर में सीवरेज प्रणाली है, वहां भी मां गंगा प्रदूषण से कराह रही है। बनारस, प्रयागराज, कानपुर, पटना सहित गंगा के किनारे बसे शहरों का सीवेज गंगा में बहाया जा रहा है जिससे गंगा प्रदूषित हो रही है। मां गंगा को अगर प्रदूषण मुक्त करना है तो सबसे पहले इन सीवेज को गंगा में बहाने से रोकना होगा। तभी मां गंगा प्रदूषण मुक्त होंगी। साथ ही काशी की पहचान यहां के घाटों, मठों मंदिरों से है। उसकी प्राचीनता को बनाए रखते हुए काशी का विकास होना चाहिए। काशी और गंगा अगर बची रहेगी तो हिंदुज्म अपने आप फले फूलेगा।
कार्यशाला के उपरांत अमेरिका के डेलीगेट प्रोफेसरों ने प्रो. मिश्र से काशी और गंगा के बारे में सवाल-जवाब भी किया। जिसका महंत प्रो. मिश्र ने बहुत ही सहजता से जवाब दिया। उन्हें काशी के बारे में भी बताया। इस अवसर पर राजेश मिश्रा, अशोक पांडेय, रामयश मिश्र आदि भी मौजूद रहे।
आशा खबर / शिखा यादव