नंदी ने पत्र में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) के सहायक अभियंता (एई) राजीव त्यागी की दो गई प्रतिनियुक्ति पर सवाल उठाया। कहा, त्यागी को जीडीए में मृतक आश्रित कोटे से अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति दी गई थी।
विभागीय तबादले में अधिकारियों की मनमानी को लेकर मंत्रियों की नाराजगी का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ कि औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंदी ने अपने विभाग में अफसरों की मनमानी का मामला उठाकर हलचल मचा दी है। उन्होंने नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में प्रतिनियुक्ति पर अधिकारियों की तैनाती पर बड़ा सवाल उठाया है।
उन्होंने अपर मुख्य सचिव औद्योगिक विकास को लिखे पत्र में बताया है कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में दूसरे विभाग के अधिकारियों को पहले प्रतिनियुक्ति पर रखने और बाद में उनका विभाग में मर्जर करने और अनियमित तरीके से पदोन्नति के नाम पर गंभीर अनियमितता बरती गई है। मंत्री ने अपर मुख्य सचिव से रिपोर्ट के साथ इससे संबंधित पत्रावली भी तलब की है।
पत्र लिखकर बताया कि कैसे हो रहा खेल
नंदी ने पत्र में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) के सहायक अभियंता (एई) राजीव त्यागी की दो गई प्रतिनियुक्ति पर सवाल उठाया। कहा, त्यागी को जीडीए में मृतक आश्रित कोटे से अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति दी गई थी।
इसके बाद वर्ष 2008 में नियम कायदों को ताक पर रखकर औद्योगिक विकास विभाग के अधिकारियों ने त्यागी को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में प्रतिनियुक्ति पर तैनाती देते हुए उनके समकक्ष के बजाय उससे दो रैंक ऊपर के पद पर नियुक्ति दे दी।
प्राधिकरण केसक्षम अधिकारियों के त्यागी पर फिदा होने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रतिनियुक्ति के बाद न्यूनतम कार्यकाल पूरा किए बिना ही त्यागी की सेवा को औद्योगिक विकास विभाग में विलय कर दिया गया।
बिना पद के प्रमोशन भी दिए गए
वर्ष 2016 में त्यागी को पहले उप महाप्रबंधक (डीजीएम) और कुछ दिन बाद महाप्रबंधक (जीएम) के पद पर पदोन्नति दे दी गई। प्राधिकरण के अधिकारियों की मेहरबानी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कुछ दिन बाद ही त्यागी को प्रधान महाप्रबंधक (पीजीएम) के पद पर प्रोन्नति दे दी गई, जबकि उस समय प्राधिकरण में यह पद सृजित भी नहीं थे। साथ ही त्यागी को प्राधिकरण के महत्वपूर्ण काम दे दिए गए।
मांगा जवाब
मंत्री ने अपर मुख्य सचिव से यह भी पूछा है कि त्यागी की सेवा को मर्जर करने से लेकर पदोन्नति देने तक की सारी कार्यवाही किन नियमों और शासनादेश के तहत किए गए हैं। औद्योगिक विकास विभाग का कोई अधिकारी फिलहाल इस मामले में कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
आशा खबर / शिखा यादव